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क्या अमोल पालेकर के इस यात्रा में शामिल होने पर मीडिया कवर करेगा?
भारत की राजनीति में कई यात्राएँ महत्वपूर्ण रही हैं। कुछ पैदल की गई हैं तो कुछ ट्रेन और बस से। मंदिर को लेकर बीजेपी की यात्रा बस और ट्रेन से पूरी हुई थी। मगर ख़ूब कवर होता था। राहुल गांधी पैदल चल रहे हैं। अगर ये यात्रा ट्विटर पर न दिखे तो इसके बारे में कुछ पता न चले। इस लिहाज़ से भारत के दो छोर को पैदल चल छूने की यह यात्रा सबसे कम कवर हुई।
इस यात्रा को लेकर कई लोग उत्साहित हैं, मगर शामिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। कई तरह के भय से घिरे हैं। बहुत लंबे समय तक लोगों ने दूरी बना कर रखी। पता चलता है कि विपक्ष का निर्माण कितना जटिल और मुश्किल हो चुका है। इसके बाद भी कई लोग इस भय से बाहर आ रहे हैं। कल ट्विटर पर देखा कि टीवी सीरीयल में काम करने वालीं दो अभिनेत्रियों ने इसमें हिस्सा लिया है। रश्मि देसाई और आकांक्षा। इस माहौल में उनके लिए कितना मुश्किल रहा होगा। उनका कितना कुछ दांव पर लगा होगा। फिर भी दोनों इस यात्रा में शामिल होती हैं।
यह तस्वीर अमोल पालेकर और उनकी साथी संध्या गोखले की है। दोनों भारत जोड़ों यात्रा में शामिल हुए हैं।
जिस तरह से भारत जोड़ों यात्रा को लेकर चुप्पी साधी जा रही है, उसमें राजनीतिक असहमति कम, भय की मात्रा ज़्यादा है। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो अमोल और संध्या का यहाँ जाना अपने आप में एक स्टेटमेंट हैं। बयान है। बड़ी बात है। यह तस्वीर दोनों की उपस्थिति से कहीं ज़्यादा उन सभी की अनुपस्थिति का अहसास करा रही है, जो किसी भय के कारण इस यात्रा से दूरी बना रहे हैं। अगर राजनीतिक असहमति से दूर हैं तब फिर कोई बात नहीं।
अमोल पालेकर पर्दे पर फ़िल्मी हीरो की छवि को तोड़ने आए थे। उनका हीरो बनना ढिशुम ढिशुम करना नहीं था।
फिर भी हीरो बने। पर्दे पर समाज के प्रतिनिधि बने रहे और पर्दे के बाद भी। कई अवसरों पर लिखने और बोलने से पीछे नहीं हटे। संध्या गोखले का भी जवाब नहीं। इस तस्वीर में उनकी निर्भीकता झलक रही है। दोनों एक-दूसरे के जीवन साथी हैं। विचार साथी हैं। कौन किसे लेकर चल रहा है, बताना मुश्किल है। एक गाना याद आता है। मुझे लेके साथ चल तू। ओ साथी चल।
क्या अमोल पालेकर के इस यात्रा में शामिल होने पर मीडिया कवर करेगा? वैसे यात्रा तो चल रही है।