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छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाले के "किंग-पिन" (सूर्यकांत तिवारी) की गिरफ्तारी के बाद होगी प्रदेश के बड़े-बड़ों पर कार्यवाही
विजया पाठक
छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्यवाही चल रही है, जिसमें एक आईएएस अधिकारी और 02 अन्य अधिकारी कस्टडी में हैं। इसके साथ ही प्रदेश की आईएएस दंपति रानू साहू और उनके पति की गिरफ्तारी होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार ईडी की प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर खास नजर है। खासतौर पर रायपुर के दो आइपीएस अफसर जिसमें से एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर वहीं है, जिन्होंने गिरफ्तार हुए आईएएस अधिकारी की धर्मपत्नी के शिकायती पत्र को ड्राफ्ट किया था। मेरी नज़र में इन चार सालों में भ्रष्टाचार और दमन का मुख्य कारण प्रदेश में मलाई खाने वाले यही अफसर थे। जो शायद यह भूल गए कि वो अखिल भारतीय सेवा से आते हैं और उनका मूल विभाग केंद्र का कार्मिक मंत्रालय है। निश्चित ही प्रदेश सरकार द्वारा गिरफ्तार अधिकारी को सस्पेंड नहीं किया जाएगा जबकि इन पर सीधी कार्यवाही का अधिकार कार्मिक मंत्रालय रखता है, वो भी बिना मूल कैडर को बिना सूचना दिए। खैर प्रदेश के "सरकार और सुपर सरकार" के इशारे पर गलत-सलत काम करने वाले आईएएस, आईपीएस, आइएफएस अधिकारियों और राज्य स्तरीय अधिकारियों की पूरी कुंडली दिल्ली में बैठकर तैयार की जा रही है। अब तो बहुत से अधिकारी छत्तीसगढ़ के इस डूबते जहाज से छलांग मारकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
भूपेश बघेल जब सत्ता में आए तो लगा कि अब कांग्रेस का यह नेता प्रदेश राजनीति में लंबी पारी खेलेगा। पर कुर्सी मिलते ही इनके तेवर बदल गए। इनकी कार्यप्रणाली में आए परिवर्तन का मुख्य श्रेय इनकी चांडाल चौकड़ी को जाता है। जिस तरह प्रदेश में पैसा उगाहने की फैक्ट्री या ईडी की भाषा में कार्टेल बनाया गया, वैसा शायद ही देश के किसी और प्रदेश में हुआ होगा। देश में पहली बार ईडी ने अपनी प्रेस रिलीज में "कार्टेल" शब्द का उपयोग किया और इसका किंग पिन सूर्यकांत तिवारी को बताया। अब यह निश्चित है कि आने वाले समय में किंगपिन उर्फ सूर्यकांत तिवारी जो अभी फरार है, उसकी गिरफ्तारी होते ही ना जाने कितने और लोग गिरफ्तार होंगे। रायपुर में महत्त्वपूर्ण जगह पर पदस्थ आईपीएस के साथ कुछ जमीन जायदाद की खरीद हो या मैडम के लिए उगाही या सुपर बॉस के बेटे को रिश्वत देने की बात हो, ऐसे ना जाने कितने नाम इस समय ईडी के पास हैं, जिनकी आगे गिरफ्तारी होना है। फिलहाल यह किंग पिन बेल लेने की जुगत में घूम रहा है।
प्रदेश में गरवा-घुरवा की सच्चाई "मरती गाएं, बदहाल गौठान"
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनते ही भूपेश बघेल ने नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी अपनी फ्लैगशिप योजना के रूप में चालू कर दी थी। इस योजना का ढोल वो प्रदेश ही नहीं देश भर में पिट आए हैं, जिसमें उन्होंने अच्छी खासी मासिक आय तक होने की घोषणा भी कर दी थी। इस योजना के दो प्रमुख भाग जो कि गरवा और घूरवा है, इसमें गौ वंश, गौठानों से आमदनी एकत्रित करना रहता है। जैसे गोबर को बेचकर पैसा कमाना इत्यादि है। अभी हाल में ही बड़े जोर शोर से प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गोबर से बिजली संयंत्र की घोषणा भी की थी, पर प्रदेश में गौ वंश और गौठानों की सच्चाई ग्राम अचानकपुर से सामने आ गई है। यहां निमोनिया और चारे की कमी से 8 गायों की मौत हो गई, गौठान के संचालन को लेकर सरपंच और सचिव और गौठान समिति पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। गायों की मौत के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए हैं। ग्रामीणों ने गौठान में अव्यवस्था होने के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि गोठान में 70 जानवरों के रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। शेड का भी निर्माण नहीं किया गया है। धूप और बारिश में भी उन्हें छांव नहीं मिल पाती। महत्वपूर्ण बात यह है की यह ग्राम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विधानसभा क्षेत्र में आता है। जब मुख्यमंत्री के क्षेत्र में गौठानों का हालत यह है तो प्रदेश भर में गौठानों और गौवंश की क्या ही स्थिती होगी। खैर गायों की खैर खबर कौन ले, जब छत्तीसगढ़ का पूरा एडमिनिस्ट्रेशन दहशत में हो तो मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप स्कीम और प्रदेश का अन्य जरूरी कार्यों पर कौन ध्यान देगा? वैसे भी छत्तीसगढ़ प्रदेश में सबका ध्यान सिर्फ पैसा कमाने में है, तो गरवा-घुरवा स्कीम के "पोस्टर ब्वॉय/गर्ल गौवंश" की कौन सुध लेगा?