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आजादी के 75 साल बाद भी देश राष्ट्रभाषा के लिए तरस रहा है : डॉ राजाराम त्रिपाठी
कोंडागांव दिनांक 14 सितम्बर दिन बुधवार को हिंदी-दिवस के उपलक्ष्य में "माँ दंतेश्वरी हर्बल इस्टेट" कोंडागांव में संध्या 5.30 बजे से हिंदी साहित्य भारती तथा हिन्दी साहित्य परिषद की जिला इकाइयों एवं जनजातीय चेतना कला संस्कृति व साहित्य की मासिक पत्रिका "ककसाड़" के संयुक्त तत्वावधान में "हिंदी की दशा व दिशा" विषय पर परिचर्चा व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय मासिक पत्रिका "ककसाड़" के सम्पादक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व हिंदी के सेवानिवृत्त व्याख्याता यशवंत गौतम ने की।
विशेष आमन्त्रित अतिथि थे, छ ग हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के जिलाध्यक्ष हरेंद्र यादव समाज सेवी व मुस्लिम समाज कोंडागांव के जिला अध्यक्ष व साहित्य प्रेमी मोहम्मद यासीन, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक आर के जैन, शा उ मा वि मसोरा के प्राचार्य व साहित्यकार शिवलाल शर्मा, जिला ग्रन्थालय की अधीक्षिका लालिमा सोनी जी तथा बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार ऐंकटराव सर।
कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी साहित्य भारती जिला कोंडागांव के जिलाध्यक्ष उमेश मण्डावी व युवा शायर सैयद तौसीफ आलम ने किया ।
सर्वप्रथम आमन्त्रित अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के छाया चित्र पर दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
ततपश्चात हिंदी दिवस पर वर्तमान में हिंदी की दिशा व दशा पर परिचर्चा शुरू हुई जिसमें पहले वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार यशवंत गौतम ने अपने विचार रखे उन्होंने कहा हिंदी समृद्ध भाषा है। इसको जन जन की भाषा बनाने हम सबको व्यक्तिगत प्रयास करने की आवश्यकता है तथा शुरुआत अपने घर से ही करनी चाहिए। लोकप्रिय शिक्षक आर के जैन ने हिंदी की महत्ता पर अपने विचार रखे तथा उसके इतिहास पर प्रकाश डाला। मोहम्मद यासिन ने अपने संक्षिप्त उदबोधन में कहा कि अंग्रेजी में कई अक्षर साइलेंट होते हैं पर हिंदी की तो बिंदी भी बोलती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार हरेन्द्र यादव ने भी हिंदी के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। अपनी ओजस्वी वाणी से कवि शिवलाल शर्मा ने हिंदी की वर्तमान स्थिति का कटु सत्य आंकलन प्रस्तुत कर सबको सोचने पर विवश कर दिया।उन्होंने कहा जिस तरह हम अंग्रेजी स्कुलों के मोह में फंसे हैं उससे आने वाली पीढ़ी के लिए हिंदी इतिहास बन जायेगा।
हिंदी के भाषाविद बृजेश तिवारी ने हिंदी की स्थिति पर प्रकाश डाला तथा भाषा के आधार पर प्रान्त बनाने को दुखद बताया.
मुख्य अतिथि डॉक्टर राजा राम त्रिपाठी ने उन कारणों को सबके विस्तार से समक्ष रखा जिनके कारण हिंदी आज पर्यन्त राष्ट्रभाषा नही बन पाई। उन्होंने कहा कि हर देश की कोई न कोई राष्ट्रभाषा होती है, जो उस देश की पहचान होती है, पर यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि देश की आजादी के 75 साल बाद आज भी यह देश की राष्ट्रभाषा के लिए तरस रहा है, यह शर्मनाक है।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम यशवंत गौतम ने अपनी भावपूर्ण कविता से सबको मोहित किया ततपश्चात नवोदित कवियित्री राखी सिंग ने अपनी मधुर आवाज में भाषा को समर्पित बेहतरीन कविता सुनाकर सबको मन्त्र मुग्ध किया। समाज सेविका
ज्योति जैन ने भी हिंदी पर केंद्रित कविता सुनाई और तालिया बटोरी।
कवि शिवलाल शर्मा ने अपनी ओजस्वी आवाज़ में वर्तमान भूत व भविष्य को समेटती भावपूर्ण तथा मार्मिक कविता सुनाकर सबको प्रभावित किया। युवा कवियित्री मधु तिवारी ने अपनी विशिष्ट शैली में कविता सुनाकर अपनी अलग छाप छोड़ी। मुख्य अतिथि डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने बस्तर की वर्तमान दशा को अपनी मार्मिक कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर सबको सोचने पर विवश किया और प्रशंसा पाई। वरिष्ठ साहित्यकार हरेन्द्र यादव ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में सबको गुदगुदाया। हास्य व्यंग्यकार उमेश मडावी ने हिंदी की वर्तमान स्थिति पर व्यंग्य सुनाकर तालिया बटोरी।
युवा शायर सैयद तौसीफ आलम ने अपनी कविताओं व शायरी से समा बांधा तथा सबको मन्त्र मुग्ध किया। कार्यक्रम के अंत मे आभार प्रदर्शन हिंदी साहित्य भारती कोंडागांव के जिलाध्यक्ष उमेश मण्डवी ने किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष रूप से संपदा समाजसेवी संस्था की महासचिव शिप्रा त्रिपाठी व उनकी पूरी टीम का सहयोग रहा जिसकी सबने भूरि भूरि प्रशंसा की ।
इस अवसर पर विजय पांडे सुनीता पांडे शंकर एस पी विश्वकर्मा के साथ ही
बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी शामिल रहे।
प्रेषक
उमेश मण्डावी,महासचिव छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद, कोंडागांव।