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कृषि मंत्रालय के उच्च अधिकारी पहुंचे मा दंतेश्वरी हर्बल फार्म बस्तर कोंडागांव, हर्बल चाय पीकर हुए गदगद और बोले बड़ी बात
दिल्ली से कृषि मंत्रालय की खाद्य विभाग की एक टीम ने छत्तीसगढ़ का गौरव कहे जाने वाले 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर' एवं हर्बल प्रसंस्करण इकाई का भ्रमण किया। इस टीम का नेतृत्व खाद्य विभाग कृषि मंत्रालय की उपायुक्त विश्वजीत हालदार क्रर रहे थे। इनके साथ आशुतोष सिंह रायपुर के महाप्रबंधक तथा सपन कुमार महाप्रबंधक एफसीआई एवं बस्तर जिले के एफसीआई के प्रमुख सान्याल , जिला कोंडगांव के खाद्य आपूर्ति विभाग के जिला प्रबंधक अनिल सहारे, एवं रायपुर से आए उच्चाधिकारियों ने मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के ऑस्ट्रेलियन टीक तथा काली मिर्च के प्लांटेशन का निरीक्षण किया व लगी हुई फसल से होने वाले संभावित सालानाआय का भी मौके पर ही आकलन किया।
इसमें अंतर्वर्ती फसल के रूप में की जा रही हल्दी, प्लीज तथा मीठी तुलसी जाने स्टीविया की खेती का भी इन्होंने निरीक्षण तथा आकलन किया। हर्बल समूह के अनुराग त्रिपाठी तथा दसमती नेताम ने उन्हें दुर्लभ वनौषधियों की खेती की जानकारी खेतों पर ही प्रदान की। टीम के द्वारा के द्वारा "मां दंतेश्वरी हर्बल प्रसंस्करण इकाई" का भी निरीक्षण किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस इकाई में कोरोनावायरस से लड़ने में मदद करने वाले भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय /आयुष मंत्रालय के द्वारा अनुशंसित "आयुष क्वाथ" एवं कई तरह के फूड सप्लीमेंट बनाए जाते हैं। यहां की आयुष क्वाथ की भारी मांग बताई जाती है । विशेष रुप से बस्तर की महिलाओं के द्वारा गाई गई जड़ी बूटियों से तैयार की गई प्रमाणित जैविक हर्बल चाय पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है। बिना शक्कर डालें यह चाय अपने आप मीठी हो जाती है , फिर भी यह हर्बल चाय जीरो कैलोरी होती है, साथ ही 12 प्रकार की असाध्य बीमारियों से भी बचाती है ।
इसकी बेहतरीन बात यह भी है,कि इसमें ना तो चाय काफी में पाए जाने वाले कोई भी हानिकारक पदार्थ जैसे कि कैफीन आदि हैं और ना ही इसमें कोई केमिकल मिलाया जाता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय के रोगियों ,पेट संबंधी बीमारियों और सर्दी जुखाम के लिए तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इसे बहुत ही कारगर माना जाता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन का गुणवत्ता प्रमाण पत्र भी प्राप्त है। कार्यक्रम के अंत में संस्था की ओर से टीम के सभी सदस्यों को बस्तर की यह अनूठी हर्बल चाय भेंट की गई तथा पुन: बस्तर पधारने का नेवता दिया गया।
कृषि मंत्रालय के उच्च अधिकारी ने कहा कि बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में विश्व स्तरीय दुर्लभ वनस्पतियों का ऐसा प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म देखकर वह आश्चर्यचकित भी हैं और प्रसन्न भी। उन्हें हर्बल चाय का स्वाद तथा खुशबू उन्हें बहुत पसंद आई है, वह उसे अपने साथ लेकर जा रहे हैं तथा इसे कृषि मंत्रालय के अन्य उच्चाधिकारियों को भी पिलाएंगे। उन्होंने कहा कि वह सेवानिवृत्ति के उपरांत राजाराम त्रिपाठी तथा मा दंतेश्वरी हर्बल फार्म समूह के साथ मिलकर इसी पद्धति को अपनाते हुए "बहु स्तरीय उच्च लाभदायक" खेती ही करेंगे।