तीन लाख की आबादी का बादशाह नही बन पाने वाला बाबर कैसे बना दस करोड़ आबादी का महान बादशाह
15वीं शताब्दी में उज़्बेकिस्तान के फरगना पर एक तुर्क बादशाह का छोटे से अंतराल के लिए शासन था जिसका नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद था.
महीने में एक बार नहाता था, खाने में रोज मांस खाता था. बादशाह बनने का जुनून सवार था. जहीरुद्दीन के किस्मत में बदनसीबी लिखी थी. ना फरगना मिला ना ही समरकंद. दोनों राज्यों से बेआबरु होकर निकाले गए.
किसी भारतीय राजा ने बुलावा भेजा आओ सिंधु का दरिया पार कर आओ, यहां तुमसे लड़ने वाला कोई नंद वंश या सम्राट अशोक नही है और ना ही कोई कनिष्क या हर्षवर्धन है. टुकड़ों में टूटा हुआ भारत और कई जातियों में विभाजित समाज है. जिनका बादशाह इब्राहिम लोदी है.
फ़रगना घाटी बिल्कुल गोआ या मीज़रोम की तरह छोटी सी नन्ही सी घाटी थी. 15वीं शताब्दी में बाबर फ़रगना को जीत नही पाया. फ़रगना से भगाया गया मामूली बाबर पानीपत की जंग जीतकर भारत का बादशाह बनकर देश में मुग़ल साम्राज्य की नींव रख देता है.
फरगना घाटी की आबादी आज 37 लाख है और भारत की आबादी 135 करोड़ है.
15वीं शताब्दी में फरगना घाटी की आबादी 3 लाख थी और भारत की आबादी 10 करोड़. तीन लाख की आबादी का बादशाह नही बन पाने वाला बाबर, दस करोड़ आबादी का महान बादशाह बन गया.
इसमें दो बातें खास है
इसमें दो जानकारी नहीं है। एक, बाबर भयंकर अफीमची था और दो, उसने बेटे हुमायूँ को समझाया था कि अगर तुम हिंदुओं की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था को नहीं छेड़ोगे, तो वे तुमको राज करने देंगे।
1858 में अंग्रेजों को ये बात समझ में आई और इसके बाद से उन्होंने हिंदुओं को मैटर में हस्तक्षेप और सती और विधवा विवाह निषेध जैसे समाज सुधार बंद कर दिया। इससे उन्हें 90 साल और मिल गए।
✍🏻Kranti Kumar