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अनूठे औषधीय पौधे 'अनाटो' का जिला ग्रन्थालय परिसर में हुआ रोपण, लालिमा सोनी की विशेष पहल
छत्तीसगढ़ : इसी रविवार को जिला ग्रंथालय कोण्डागांव परिसर में औषधीय पौधों का रोपण कार्य संपन्न हुआ।
यह कार्यक्रम जिला ग्रंथालय की ग्रंथालय प्रभारी श्रीमती लालिमा सोनी की विशेष पहल पर संपन्न हुआ। तामझाम से दूर बेहद सादे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे "आयुष मंत्रालय औषधीय पादप बोर्ड" भारत सरकार के माननीय सदस्य डॉ राजाराम त्रिपाठी जी तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वरिष्ठ पत्रकार जमील अहमद खान में की। वृक्षारोपण के लिए औषधीय पौधों एवं जैविक खाद की उपलब्धता "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" के सौजन्य से कराई गई।
पौधों का रोपण जिला ग्रंथालय के कर्मचारी एवं सदस्यों के साथ 'संपदा समाज सेवी संस्थान के साथियों ने श्रमदान करके संपूर्ण किया | उल्लेखनीय है कि परिसर में अब तक नीम, आंवला, सहजन, जामुन तथा श्यामा तुलसी, नारियल आदि के पौधे लगाए गये तथा आज विशेष रूप से अनाटो के पौधों का रोपण किया गया । अनाटो एक बहुवर्षीय मध्यम आकार का बहु उपयोगी औषधीय पौधा होता है, जो कि बस्तर के जलवायु में बड़े आसानी से फलता फूल सकता है। इस बहु उपयोगी पौधे के फल,बीज, पत्ते, जड़, छाल यानि कि इस पौधे का प्रत्येक भाग कई असाध्य रोगों को ठीक करने के काम आता है। 12 महीने हरा भरा रहने वाला यह सदाबहार पेड़ न केवल अनमोल औषधि देता है, बल्कि यह जल संरक्षण करने में भी सक्षम है तथा भूक्षरण अर्थात मिट्टी के कटाव को भी रोकने में बहुत कारगर है।
इस पौधे को जानवर नहीं खाते हैं, इसलिए विशेष देखभाल की आवश्यकता भी नहीं होती। डॉ त्रिपाठीजी ने कहा कि यूं तो सरकारी योजनाओं के तहत प्रतिवर्ष लाखों पौधे रोपे जाते हैं, किन्तु प्राय: समुचित देखभाल के अभाव में वे जीवित नहीं बच पाते। प्रशासन अगर चाहे तो पौधों को लगाने तथा उनकी उचित देखभाल कर उन्हें जिंदा रखने में ये संस्थाएं प्रभावी मदद कर सकती हैं। इसी तरह अन्य सरकारी अर्ध सरकारी प्रतिष्ठानों के परिसरों में भी चयनित उपयोगी पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए इस कार्य में हम वृक्षारोपण करने वाले संस्थाओं की पौधे, जैविक खाद से लेकर हर तरह से यथासंभव मदद करने के लिए तैयार हैं, किंतु इसके लिए उन्हें भी आगे आना होगा।
जिला प्रशासन द्वारा भी इस दिशा में कई नवाचारों की पहल की गई है। इसी तारतम्य में जो शासकीय अथवा अन्य संस्थाएं अगले वर्ष वृक्षारोपण करना चाहती हैं,वो अभी से ही बस्तर की महिलाओं के द्वारा संचालित इस "मां दंतेश्वरी हर्बल समूह" से सीमित मात्रा में मुफ्त अथवा रियायती मूल्यों पर पौधे प्राप्त करने हेतु इस संस्था से संपर्क कर आवश्यकता अनुसार पौधों के लिए अपना पंजीयन करवा सकती हैं, जिससे कि इस समूह की महिलाएं उनकी आवश्यकता के अनुरूप पौधे तैयार करने की आवश्यक तैयारी कर सकें। वैसे भी अब यह सिद्ध हो चुका है कि जहां कहीं भी सरकारी संस्थाएं तथा स्थानीय समाज सेवी संस्थाएं मिल जुलकर काम करती हैं, उसके बेहतर परिणाम मिलते हैं।
लालिमा सोनी जी के द्वारा अपने कार्यालय परिसर में निजी स्तर पर प्रयास कर के इस तरह के उपयोगी औषधीय पौधो के रोपण का कार्य न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी है। ऐसे प्रयास भले कितने ही छोटे क्यों ना हो उन्हें बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। डॉ त्रिपाठी ने यह भी कहा कि पौध रोपण के उपरांत यदि किसी भी कारणवश पौधे मर जाते हैं तो उनकी जगह पर नए पौधे लगाना भी बहुत जरूरी है और इस कार्य में भी वह पूरी सहायता करेंगे तथा जरूरत पड़ने पर और पौधे भी उपलब्ध करवाएंगे।
सुश्री सोनी ने आश्वस्त करते हुए कहा कि कि वह तथा जिला ग्रन्थालय के सभी साथी इस अभियान में उनके साथ एक टीम की भांति जुटे हुए हैं, तथा सब मिलकर इन पौधों को हर हाल में न केवल जीवित रखेंगे बल्कि उनकी जरूरी देखभाल भी अवश्य करेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री अनुराग त्रिपाठी -निदेशक "मां दंन्तेश्वरी हर्बल फार्म "एवं "संपदा " समाज सेवी संस्थान की अध्यक्ष जसमती नेताम, शंकर नाग, कृष्णा नेताम, ऋषिराज त्रिपाठी, सोमन नाग,श्रवण कुमार, उमेश नाग आदि की उपस्थिती तथा सहभागिता सराहनीय रही।