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छत्तीसगढ़ में भारत सरकार की फंडिंग वाली योजनाओं पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, CM बघेल और मंत्री रूद्र गुरु और रविंद्र चौबे के विभाग पर ED की नजर
विजया पाठक
छत्तीसगढ़ में भारत सरकार की योजनाओं को अफसरों ने अपनी आमदनी का जरिया बना लिया है। राज्य में IT -ED के छापो के बीच तीन बड़े विभागों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है। यहाँ भी IAS और IFS अफसरों ने अरबो का घोटाला कर सरकार को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री बघेल के प्रभार वाले क्रेडा में सलाना करोड़ो का घोटाला हो रहा है। हालात यह है कि भ्रष्टाचार के लिए बड़े अफसरों के निर्देशों की अवहेलना करने के चलते दो एग्जीक्यूटिव इंजिनियर को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ये अफसर घोटाला कर ,नगद रक़म बड़े अफसरों को सौपने से इंकार कर रहे थे। उन्होंने विभागीय कार्यो में ईमानदारी और गुणवत्ता पर जोर दिया था। सूत्रों के मुताबिक एक अफसर ने क्रेडा से इस्तीफा दे दिया। जबकि दूसरे को समय पूर्व सेवा निवृत्ती दे दी गई। बताया जाता है कि आला अफसरों और उनके चुनिंदा ठेकेदारों की मनमानी के चलते क्रेडा में रोजाना करोड़ो रूपए की ब्लैकमनी बनाई जा रही है। यहाँ तैनात कुछ अफसरों ने रायपुर से लेकर दिल्ली और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। ये अफसर हार्टिकल्चर और बीज निगम के ठेकेदारों के जरिये खुद ठेकेदारी कर रहे है। सरकार की विभिन्न योजनाओं में आपूर्ति होने वाले सोलर उपकरणों को बाजार भाव से ऊंची कीमतों पर सप्लाई किया जा रहा है। बताया जाता है कि प्रतिमाह सिर्फ क्रेडा से लगभग 20 करोड़ की ब्लैकमनी इकट्ठा की जा रही है। यहाँ पदस्थ अफसरों की चल - अचल संपत्ति अरबो में है।
मंत्री रविन्द्र चौबे और रुद्र गुरु पर भी ईडी की है नजर
यही हाल मंत्री रूद्र गुरु के PHE और रविंद्र चौबे के सिंचाई विभाग का है। यहाँ भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में मंत्री रूद्र गुरु के विशेष दो सहयोगियों का ठेकेदारों से मोटी रकम लेते एक वीडियो सामने आया था। इसमें नुरू पंडा और RG नामक नेता का साथी पप्पू कुछ अफसरों के साथ ब्लैकमनी लेते देते दिखाई दे रहे थे। उनकी आवाज भी साफ़ -साफ़ सुनाई दे रही थी। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों की आपत्ति के बाद इस वीडियो को सोशल मीडिया से हटाए जाने की खबर है। बताया जाता है कि PHE विभाग में जल - जीवन मिशन योजना की फंडिंग में करोड़ो का हेरफेर किया जा रहा है। इसके भुगतान में मंत्री से लेकर निचले स्तर SDO तक कमीशन फिक्स कर दिया गया है। इस योजना को शुरुवाती दौर से ही अफसरों ने अपनी कमाई का जरिया बना लिया था। अफसरों की काली करतूतों की वजह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केबिनेट बुलाकर करीब 10 हजार करोड़ के टेंडर निरस्त किये थे। इस वाक्ये के दो साल बाद भी अफसरों की कमीशनखोरी कम नहीं हुई। यहाँ कमीशन का स्तर मंत्री स्तर पर 20 परसेंट , विभाग 15 परसेंट और जिले में पदस्थ अफसरों के लिए भी 15 परसेंट एवं अन्य खर्चो के लिए 5 परसेंट तक पहुंच गया है। शेष 55 फीसदी बजट में टेंडर के अनुरूप कार्य करने के लिए ठेकेदारों को काम सौपे जा रहे है। इसमें ठेकेदार 5 से 10 परसेंट तक लाभ कमाते है ,तो जल -जीवन मिशन में कार्य 40 परसेंट से भी कम बजट में किया जा रहा है।
बोध घाट प्रोजेक्ट में हुआ है बड़ा खेल
मंत्री रविंद्र चौबे के सिंचाई विभाग में भी भ्रष्टाचार और टेंडर मैनेज करने का खेल जोरो पर है। यहाँ 16 हजार करोड़ की बोध घाट परियोजना के लिए भी टेंडर मैनेज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्र बताते है कि इसके लिए हुई डील में नागार्जुन नामक एक कम्पनी ने एक कथित पत्रकार को दो करोड़ रूपए का भुगतान किया था। बदले में आला अफसरों और एक मंत्री के साथ इस कम्पनी के मालिकों की बैठक की खबर है। बताया जाता है कि सिंचाई विभाग के ठेको में भी PHE की तर्ज पर कमीशन खोरी जोरो पर है।
छत्तीसगढ़ में भारत सरकार की कई योजनाए राज्य सरकार की वित्तीय मदद से संचालित हो रही है। इन योजनाओं में कारोबारी IAS और IPS अफसरों की तर्ज पर IFS अफसर भी शामिल हो गए है। अखिल भारतीय सेवाओं के ये अफसर लगभग 500 करोड़ से ज्यादा के आसामी बताये जाते है। सूत्रों के मुताबिक IT -ED को इन अफसरों की अवैध कमाई और घोटालो का ब्यौरा शिकायत कर्ताओं ने सौंपा है। इसकी जाँच जारी है। बताया जाता है कि क्रेडा ,PHE और सिंचाई विभाग में जल्द ही केंद्रीय जाँच एजेंसियां दाखिल हो सकती है।