
भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ मॉडल का नायाब नमूने, दमन, भ्रष्टाचार और अत्याचार है, गरीबों के स्कूल पर डाला डाका

विजया पाठक
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़ मॉडल इन दिनों कारनामों के लिए चर्चा में है। इस छत्तीसगढ़ मॉडल में लूट है, भ्रष्टाचार है, बेईमानी है, अत्याचार है, अन्याय है। इस मॉडल के नाम पर भूपेश बघेल पूरे राज्य को गर्त में ले जाने के लिए तैयार है भूपेश बघेल भले ही यह कहते नहीं थक रहे हैं कि छत्तीसगढ़ मॉडल से प्रदेश का विकास हो रहा है लेकिन हकीकत में यह विनाश ही कर रहे हैं। कुछ कारनामें तो ऐसे हैं कि जिनका जिक्र करते ही सारी सच्चाई सामने आ जाती है। अपनी झूठी वाहवाही लूटने के चक्कर में भूपेश बघेल कांग्रेस हाईकमान के सामने भी गलत जानकारियां देते हैं। जब कोई भूपेश बघेल की सच्चाई को उजागर करता है तो उसके उपर कई गैरकानूनी तरीके से परेशान करते हैं। वहीं सरकार के अंदर भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कई मंत्रियों/अफसरों ने बताया है कि प्रदेश के हालात बहुत खराब हैं और प्रदेश में कांग्रेस की हालात कमजोर होती जा रही है। अब सवाल उठता है कि यदि विकास के ऐसे ही मॉडल होते हैं तो विनाश की क्या परिभाषा होगी?
गरीबों के स्कूल पर भूपेश बघेल ने डाला डाका-
छत्तीसगढ़ में आज भूमिहीन किसानों की बहुत बात हो रही है। 03 फरवरी को भूमिहीन किसानों और मजदूर को न्याय योजना के तहत पहली किश्त दी जायेगी। एक किस्सा भूमिहीन मजदूरों के गरीब बच्चों के पढ़ने के विद्यालय को लेकर भी है। दरअसल भिलाई में एक सरकारी स्कूल था, जिसे नगरपालिका संचालित करता था। बाद में यह स्कूल साडा के अंदर आ गया। इस जमीन को भूपेश बघेल के मालगुजार दादाजी ने गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए दान में दे दिया था। इस गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए बना "जनता उच्च माध्यमिक विद्यालय" को लेकर तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बहुत बड़ा षडयंत्र रचा। भूपेश बघेल ने अपने दादाजी को "मानसिक रूप से विक्षिप्त" साबित कर डाला। अपने तरफ से इस जमीन को उन्होंने अपनी आजीविका के लिए वापस मांगा और तब के साडा के अध्यक्ष लक्ष्मण चंद्राकर के साथ मिलकर गरीब बच्चों के शिक्षा के मंदिर "जनता उच्च माध्यमिक विद्यालय" को उजाड़ डाला।
छत्तीसगढ़ मॉडल की नान घोटाला की शुरूआत-
भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर पूरे देश में घूम रहे हैं। ऐसे मॉडल पर बाकी राज्य भी चलने लग जाए तो भारत को सूडान बनने में देर नहीं लगेगी। जो लूट-खसोट अभी के छत्तीसगढ़ ने देखी वैसी कभी नहीं देखी। भूपेश बघेल द्वारा 36,000 करोड़ के नान घोटाले को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है। इसके मुख्य अभियुक्त प्रदेश चला रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने तो सुप्रीम में कहा था कि भूपेश बघेल के आदेश पर बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स के सदस्यों, मुख्यमंत्री, कानून अधिकारी ने इस घोटाले में दो वरिष्ठ आईएएस को बचाने के लिए मामला कमजोर कर दिया। यह गरीब का राशन था, जिसे इन भ्रष्टाचारियों ने खा डाला। इस मॉडल की एक तस्वीर इनकी खासमखास प्रिय अफसर के घर से आयकर विभाग द्वारा 150 करोड़ का बेनामी लेनदेन निकला, जिसका मामला अभी विचाराधीन है और जांच जारी है। इस मॉडल में दो भूतपूर्व पत्रकार और वर्तमान में सलाहकार भी हैं, जिन्होंने जनसंपर्क विभाग के माध्यम से वारे-न्यारे कर दिए। इस भ्रष्ट्राचार के मॉडल में खनिज का शराब का 50,000 करोड़ का पैसा भी है, जिसे सूर्या, महापौर और उसके भाई है। छत्तीसगढ की जनता यह जानना चाहती है कि इस छत्तीसगढ़ से भ्रष्टाचार का मॉडल कब खत्म होगा।
जमीनों की बंदरबाट
नया रायपुर के नाम पर जमीन का जो खेल रचा जा रहा है वो किसी से छुपा नहीं है। और तो और इस छत्तीसगढ़ का "कू-मॉडल" के खिलाफ कोई लिखता है या आवाज उठाता है तो उसे पुलिस महकमें के कुछ अधिकारियों से दबाने की पूरी कोशिश की जाती है। केस दर्ज होते हैं। पत्रकार को सैनिटाइजर पिलाया जाता है। यह सब भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ मॉडल की सच्चाई है।
छत्तीसगढ़ में जारी है आदिवासियों का शोषण
सत्ता में आने के समय कांग्रेस ने आदिवासियों से उनकी रक्षा, विकास और बड़े औद्योगिक घरानों से उनकी जल, जंगल एवं जमीन को बचाने के वायदे किये थे। उस समय कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने तो आदिवासियों के साथ में अड़ानी को दी जाने वाले लेमरू खदान के खिलाफ अनशन भी किया था। पर सत्ता मिलते ही भूपेश बघेल ने सबसे पहले प्रदेश के आदिवासियों को लूटा। अभी कल की ही घटना में मासूम आदिवासियों को मार कर नक्सली बता दिया गया। जिस लेमरू खदान जिसका विरोध राहुल गांधी ने किया था उनके बात न मानते हुए भी भूपेश बघेल ने यह खदान का संचालन अड़ानी को सौंप दिया।
गोबर प्रदेश में हुई छत्तीसगढ़ की पहचान
छत्तीसगढ में झूठ की भी खेती होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब तो पूरे देश में जा जाकर गोबर से आमदनी के बारे में बताते हैं। एक न्यूज वेबसाइट में तो इन्होंने गौठान से प्रति माह 15,000-20,000 हजार की आमदनी बता दी। मुख्यमंत्री जी झूठ भी सोच समझकर बोलना चाहिए। अगर एक व्यक्ति को 15,000 के हिसाब से साल का एक लाख अस्सी हज़ार की कमाई हो जाती है। अगर प्रदेश में एक लाख लोगों से ही गोबर खरीदने में सरकार को 1800 करोड़ खर्च करने होने और अगर दस लाख लोगों से गोबर खरीदा जायेगा तो कुल 18,000 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे। धान के पैसे भी इतनी किश्तों में दिए जाते हैं कि किसान उसका असली फायदा ही नहीं ले पाता।
नाखुश प्रदेश के कर्मचारी
ऐसा ही एक मामला भूपेश बघेल की वादाखिलाफी का है। सरकार के 3 साल होने के बाद भी प्रदेश में एक लाख अस्सी हजार कर्मचारियों का नियमितीकरण नही किया गया। यह सभी 1.80 लाख कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। कुल लब्बोलुवाब यह है कि प्रदेश की खस्ता हालत और भ्रष्टाचार मॉडल से आम छत्तीसगढ़िया बहुत परेशान हो चुका है। ऐसी अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात से छत्तीसगढ़ को मुक्त होना चाहिए।