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ये खबर आपको कहीं नहीं मिलेगी, क्योंकि इससे टीआरपी और लाइक शेयर नहीं बढ़ते!
देश के सभी राज्यों में अब कोरोना के मार का असर साफ दिख रहा है. लोग अब खाने के लिए भी परेशान नजर आ रहे है. अगर आप सडक पर खड़े होकर किसी से उसके रोटी रोजगार के बारे में पूंछ लेंगे तो अचानक ही उसका गला रुंध जाएगा और उपर वाले की और देखने लगेगा. एसी ही एक कहानी छतीसगढ़ के रायपुर में देखने को मिली. यह खबरें आपको मीडिया में कहीं नहीं मिलेगी क्योंकि इन खबरों से देश की असली तस्वीर जनता के सामने आ जाएगी और सरकार के बदनामी हो जाएगी.
यह रामरती है एमपी के बालाघाट की निवासी है. जो रायपुर के कबीरनगर में सड़कों पर 20 के चार भट्टे बेंच रही हैं भुट्टे बेंच रही हैं. पति की रिपेयरिंग की दुकान थी जो लॉकडाउन में बंद हो गई. जिससे एक दिन खाने के लाले पड़ना तय था. एक बेटा पढ़ रहा था और दूसरा मोची का काम कर रहा था, मोची का काम भी बंद हो गया. जो थोड़ा बहुत जमा था वो लॉकडाउन के खत्म हो गया.
अब फिर से रायपुर में दो सप्ताह का नया लॉकडाउन लगा है. यह 4 घण्टे की छूट में मकई बेंच रही हैं,जिस वो किसी से खरीद कर लाई है. कल 200 रुपये का बेचा था जिसके उन्हें 30 रुपये का मुनाफा मिला आज 40 रुपये मिलेंगे. कहती है आटे का जुगाड़ करूं तो सब्जी नही मिलती,सब्जी मिल जाए तो तेल नमक नही. आधे से ज्यादा हिन्दुस्तानी ऐसी ही जिंदगी जी रहे. लेकिन खबर कहीं नही है.
अब इन खबरों की चिंता जनता को भी नहीं है जनता की भी मसाले दार खबरें चाहिए. जिसमें अनावश्यक एंकर किसी को लताड़ रहा हो. एक प्रवक्ता दूसरे पर हावी हो रहा हो और लग रहा हो कि अगली बार ये आपस में भीड़ जायेंगे असली देश के देश भक्त तो ये ही है. जिसकी वजह से हम आज जीवित है.