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अमर सिंह का शव उनके आवास पर पंहुचा, शिवपाल यादव ने किये श्रद्धा सुमन अर्पित
राज्यसभा सांसद अमर सिंह का शव सिंगापुर से उनके छतरपुर स्तिथ आवास पर आज शाम पहुँच गया है. उनके मिलने वालों का उनके आवास पर उनको श्रद्धांजलि देने का तांता लगा हुआ है. उनका अंतिम संस्कार कल सोमवार को किया जायेगा. अमर सिंह का पार्थिव शरीर फिलहाल दिल्ली स्थित उनके घर छतरपुर में रखा गया है.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि अमर सिंह जी के दिल्ली स्थित आवास (छतरपुर) में उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ. आप स्मृतियों में सदा जीवंत रहेंगे...
महाकवि गोपाल दास 'नीरज' के शब्दों में...
"ना जन्म कुछ, ना मृत्यु कुछ
बस इतनी ही तो बात है
किसी की आँख खुल गई
किसी को नींद आ गई"
राज्यसभा सांसद अमर सिंह का शनिवार दोपहर सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था. वो पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. कुछ ही दिन पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. जिसके बाद वो ठीक हो रहे थे. एक वीडियो में खुद भी उन्होंने इस बात की तस्दीक की थी कि वो बीमारी से जूझ रहे हैं और जल्द ठीक होकर वापस आएंगे. हालांकि शनिवार को उनके मौत की खबर आई.
64 साल के अमर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से ही की थी. एक जमाने में वो मुलायम सिंह के सबसे करीबी थे. यही वजह थी की पार्टी में उनकी हैसियत नंबर दो की होती थी. हालांकि आखिर में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे. आखिर के दिनों में उनकी बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही थी. वो खुलकर पीएम मोदी की तारीफ करते थे. हालांकि उन्होंने कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की थी.
कभी समाजवादी पार्टी के धाकड़ नेता रहे अमर सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो यारों के यार थे. हर पार्टी के नेताओं से अच्छे संबंध थे. हर क्षेत्र में अमर सिंह के दोस्त थे. वे मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के साथ भी खड़े हुए जिनकी कभी मुश्किल परिस्थितियों में अमर सिंह ने मदद की थी. उनके बच्चन परिवार, अनिल धीरूभाई अंबानी, मुलायम सिंह यादव और राष्ट्रीय राजनीति के बीच बहुत अच्छे लिंक थे.
दिवंगत नेता के इन्हीं गुणों को याद करते हुए पीएम मोदी लिखते हैं, 'वह काफी ऊर्जावान नेता थे. वे पिछले कुछ दशकों में देश की राजनीति के अहम उतार-चढ़ाव के गवाह रहे हैं. वो अपने जीवन में दोस्ती के लिए जाने जाते रहे हैं. उनके निधन की खबर सुनकर दुखी हूं. उनके परिवारजनों और दोस्तों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.'
1991 में देश में आर्थिक उदारवाद की शुरुआत के बाद दिल्ली दरबार में अमर सिंह जैसे लोगों की जगह बन गई. कुछ लोग उन्हें पसंद करते थे, कुछ की वे जरूरत थे. कई लोग उनसे नफरत करते थे और उन्हें 'दलाल' बोलते थे. हालांकि उन्होंने इसे कभी बुरा नहीं माना और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डंके की चोट पर कहा था कि 'हां वे मुलायम सिंह यादव के लिए एक दलाल हैं.'