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दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों के कई बड़े चेहरें भी दिल्ली शराब घोटाले में शामिल
दिल्ली सरकार के बहुचर्चित आबकारी नीति घोटाले में अब अरेस्ट होने वाले आरोपियों की संख्या बढ़ती जा रही है। अभी हाल ही में पंजाब के शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक दीप मेहरात्रा के बेटे व व्यवसायी गौतम मेहरोत्रा को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने गिरफतार किया है। इसके अलावा तेलगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राॅव की बेटी और बीआरएस की एमएलसी के कविता के पूर्व सीए को भी हाल ही में ईडी ने गिरफतार किया है। ऐसे में कहीं ना कहीं दिल्ली सरकार के आबाकारी नीति घोटाले में की परत अब धीरे धीरे खुलती हुई नजर आ रही है। दरअसल दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर पर यह आरोप लगा है कि उसने मनमाने तरीके से शराब नीति को बनाया। इसके अलावा दिल्ली की आप सरकार पर आरोप है कि उसने नियमों की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से दिल्ली में जरूरत से ज्यादा शराब की दुकानें हर गली और नुक्कड़ पर आवंटित कर दी है।
नियमों की अनदेखी करके रेवड़ियों की तरह बाटी गई शराब की दुकानें
दिल्ली सरकार की ओर से आबकारी नीति में अपने हिसाब से बदलाव करके उनका आवंटन किया गया था जिससे दिल्ली में शराब पीने वालों की संख्या ज्यादा बढ़ गई और लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ा। दरअसल दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति को इस तरह से बदल दिया जिसमें नियमों को ताक पर रखकर धडल्ले से अपने लोगों को शराब की दुकानें आवंटित कर दी गई। इसके अलावा शराब की दुकानों की संख्या भी पहले की तुलना में दुगुनी कर दी गई। नतीजतन सरकार की नई आबकरी नीति के चलते दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या जहां तेजी से बढ़ गई। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ने के साथ अरविंद केजरीवाल सरकार का रेवेन्यू भी तेजी से बढ़ गया। ऐेसे में कहीं ना कहीं सरकार ने अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकारी नियमों की अनदेखी की और नियमों को ताक पर रखकर दुकानों का आवंटन कर दिया। इसके अलावा दिल्ली सरकार की ओर से आबकारी नीति में जमकर घोटाला हुआ है जो आने वाले समय में उजागर हो सकता है। ऐसे में दिल्ली सरकार के कई बड़े नेता और मंत्री इस आबकारी घोटाले में फंस सकतें हैं। दरअसल दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस मामले में फंसते हुए नजर आ रहें हैं। इसके अलावा यदि दिल्ली के शराब नीति घोटाले में जांच सही पाई गई तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में बुरी तरह से फंस सकतें हैं।
अरविंद केजरीवाल के ईमानदारी पर उठता सवालियां निशान
दिल्ली सरकार के शराब नीति घोटोल के सामने आने के बाद एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल की कट्रटर ईमानदार नेता वाली छवि धूमिल हुई है। ऐसे में शराब नीति घोटाला उजागर होने के बाद अब अरविंद केजरीवाल के ईमानदारी वाले दावें पर सवालियां निशान उठना लाजिमी है। दरअसल अरविंद केजरीवाल जहां एक तरफ अपने आप को कट्रटर ईमानदार बतातें हैं तो वहीं दूसरी ओर उनकी पार्टी के नेताओं पर लगातार भष्टाचार और घोटाले के आरोप लगतें जा रहें है। अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन जहां मौजूदा समय में मनी लांड्रिंग के केस में तिहाड़ जेल में बंद चल रहें हैं। वहीं दूसरी ओर शराब नीति घोटाले और शिक्षा घोटाले में दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आरोपी बनाए गए हैं। इसके साथ ही यहां बता दें कि मनीष सिसोदिया के घर ईडी की टीम पहले ही छापा मार चुकी हैं। इसके साथ ही ईडी की टीम ने शराब नीति घोटाले में भी मनीष सिसोदिया को भी आरोपी माना है। ऐसे में कहीं ना कहंीं दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रहीं हैं।
ईडी ने भी माना, शराब नीति घोटाले का पैसा गोवा चुनाव खपाया
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर हाल ही में ईडी ने शराब नीति घोटाले का पैसा गोवा के चुनाव में खपाने का आरोप लगाया है। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार के मंत्रियों पर ईडी की तलवार लटकती हुई नजर आ रही है। ऐेसे में जब दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया भी शराब घोटाले में आरोपी हंै तो आने वाले समय में उनपर आरोप सही साबित होने पर उनको सजा और जेल भी हो सकती है। नतीजतन शराब नीति घोटाल में दोषी पाए जाने पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का राजनीतिक कैरियर पर भी ग्रहण लग सकता है। इसके अलावा आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी की सरकार पर भी संकट गहराता हुआ दिख रहा है। दरअसल इसका असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा जिसमें आम आदमी पार्टी का वोट बैंक खिसकता हुआ नजर आ रहा है।
शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर उठें सवाल
शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर जहां पहले से ही ईडी ने शिकंजा कस रखा है। वहीं दूसरी ओर यदि ईडी यदि इस जांच के दायरें को बढ़ाती है तो कहीं ना कहीं इस जांच के दायरें में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी आ सकते हैं। क्योंकि दिल्ली के सीएम उस समय भी वहीं थें जब यह शराब नीति बनाई गई और इसमें दुकानों के आवंटन प्रक्रिया में भारी स्तर पर नियमों की अनदेखी और गड़बड़ी करते हुए घोटाल किया गया था। ऐसे में दिल्ली सरकार पर यह सवाल उठता है कि आखिर उसने शराब नीति को बनाते वक्त नियमों की अनदेखी क्यों कि । दिल्ली सरकार पर दूसरा सवाल यह भी उठता है कि आखिर किस वजह से दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली में दुकानों की संख्या बढ़ाई थी। क्या दिल्ली सरकार को पैसा चाहिए था गोवा के विधानसभा चुनाव में खपाने के लिए या कोई और बात थी। दरअसल अभी ईडी की जांच चल रही हैं और जांच के बाद ही इन सभी सवालों पर से पर्दा उठ पाएगा। लेकिन जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि अन्ना के आंदोलन से निकलकर राजनीति पार्टी का रूप लेने वाली आम आदमी पार्टी अब क्या इस स्तर पर उतर चुकी है कि पैसे के लिए वह नियमों की अनदेखी करना भी उसे ईमानदारी लगती है। जो भी हो मौजूदा समय में दिल्ली शराब नीति घोटाला आप के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के गले की हड्डी बनता जा रहा है।