दिल्ली

स्लम के बच्चों को शिक्षित, सुरक्षित और नेतृत्वकारी बनाता है बाल मित्र मंडल

Shiv Kumar Mishra
25 Aug 2021 2:02 PM IST
स्लम के बच्चों को शिक्षित, सुरक्षित और नेतृत्वकारी बनाता है बाल मित्र मंडल
x

लेख- रोहित श्रीवास्तव

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के फ्लैगशिप कार्यक्रम बाल मित्र मंडल के तहत दिल्ली की झुग्गी बस्ती इंदिरा कल्याण विहार की बारह बच्चियों ने ओखला फेज-1 थाने में पूरे उत्साह और जोश के साथ रक्षाबंधन मनाया। उन्होंने अपनी सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को राखी बांधी। पुलिसकर्मियों ने भी मासूम बच्चियों को उनकी सुरक्षा का बचन दिया। देश की राजधानी दिल्ली से आई यह खबर आपका ध्यान जरूर आकर्षित करेगी। मसलन रक्षा बंधन मनाना बेशक कोई असामान्य घटना न हो, लेकिन अगर यही पवित्र त्यौहार दिल्ली जैसे महानगर की झुग्गियों में रहने वाली बच्चियों और उनकी सुरक्षा की शपथ लेने वाले सुरक्षाकर्मियों के बीच मनाया जाए, तो यह मौका विशेष बन जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी की संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की इस अनूठी पहल के दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस पहल से समाज और समाज की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के बीच जो खाई आई है उसे भरा जा सकता है। इन बच्चियों का पुलिसकर्मियों को राखी बांध कर उनका आभार व्यक्त करना उनके उत्साह और हौसले को बढ़ाएगा। इससे स्लम की बच्चियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच एक भावनात्मक रिश्ता भी बनेगा। इस मौके पर इन बच्चियों ने उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है उसे पुलिस अधिकारियों के समक्ष रखा। पुलिस अधिकारियों ने उन सभी समस्याओं को हल करने का भरोसा भी बच्चियों को दिया।

इस तरह का संवाद समाज की उन बच्चियों के साथ, जिनके पास बेशक ऐशो आराम वाली ज़िन्दगी न हो, फिर भी वे अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ आज सर्वसमाज के लिए एक मिशाल स्थापित कर रही हैं। इन अबोध बच्चियों को यह आवाज बाल मित्र मंडल ने दी है। बाल मित्र मंडल श्री कैलाश सत्यार्थी की एक अभिनव पहल है। जिसके तहत शहरी स्लम इलाकों में बाल मित्र समाज बनाने का प्रयास किया जाता है। इस परियोजना के तहत इलाके का कोई बच्चा बाल मजदूरी नहीं करता और सभी बच्चे स्कूल में शिक्षा हासिल करते हैं। साथ ही बच्चों में नेतृत्व गुण विकसित करने के लिए बाल पंचायत का भी गठन किया जाता है। बाल मित्र मंडल के जरिए शहरों के स्लम में रह रहे बच्चों का सशक्तिकरण हो रहा है। यह पहल बच्चों को एक ऐसा मंच दे रही है जहां वे न सिर्फ खुद को सशक्त कर रहे हैं बल्कि वे वर्तमान और भविष्य की आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श भी बन रहे हैं। वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं और अपने स्तर पर बदलाव भी ला रहे हैं। आज यह बच्चियां बाल दुर्व्यापार, यौन शोषण और बाल मजदूरी के प्रति जागरूक हैं तो इसके पीछे बाल मित्र मंडल की वो सोच है जिसका उद्देश्य इन बच्चों को न सिर्फ उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है बल्कि किसी भी मासूम बच्चे पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उनको मानसिक रूप से मजबूत बनाना भी है।


बाल मित्र मंडल परियोजना देश के शहरी इलाकों, ख़ास कर स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इस मॉडल को सरकार को सभी स्लम बस्तियों में लागू करना चाहिए। बाल मित्र मंडल न सिर्फ बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है बल्कि उन्हें बाल दुर्व्यापार ,बाल श्रम, बाल विवाह और बाल यौन शोषण जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए सशक्त बनाता है। साथ उन्हें शिक्षा के साथ जोड़ने का काम भी करता है। देश के बच्चों के सर्वागीण विकास में यह शहरी इलाकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब बच्चा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगा तो वो खुद ही अपने आप को बाल श्रम, यौन शोषण और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों से बचा पाएगा। वो अपने मां-बाप और समाज से सवाल करना सीख पाएगा। उसे कोई गलत तरीके से छुएगा तो वो उसे डट कर डांट पाएगा। ऐसा एक जागरूक बच्चा अन्य बच्चों को जागरूक करेगा और वो अन्य किसी दूसरे को, इस तरह यह बाल अधिकारों की जागरूकता की श्रृंखला बढ़ती जाएगी और एक दिन हर बच्चा सही मायने में आज़ाद वातावरण में सांस ले पाएगा।


बाल मित्र मंडल के जागरुक बच्चे, बच्चों से जुड़े या किसी अन्य सामाजिक मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ऐसे बच्चों को लाखों लोगों तक उनकी बात पहुंचाने का मंच प्रदान करता है। बाल मित्र मंडल का उद्देश्य है कि शहरी स्लम में हर बच्चा सुरक्षित, मुक्त और शिक्षित हो। वह अपने उद्देश्य में सफल भी हो रहा है।

Next Story