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दिल्ली हिंसा की बड़ी खबर: दिल्ली के लोग दंगों से बच भी जाए तो प्रदूषण मार डालेगा!

Shiv Kumar Mishra
27 Feb 2020 6:30 PM GMT
दिल्ली हिंसा की बड़ी खबर: दिल्ली के लोग दंगों से बच भी जाए तो प्रदूषण मार डालेगा!
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दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली और पानी के साथ साथ मुफ्त दंगे और मुफ्त प्रदूषण भी मिल रहा है.

दिल्ली के लोगों को मुफ्त बिजली और पानी के साथ साथ मुफ्त दंगे और मुफ्त प्रदूषण भी मिल रहा है. और स्थिति ये हो गई है कि दिल्ली के लोग अगर दंगों से बच भी जाए तो प्रदूषण उन्हें मार डालेगा. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एक बार फिर दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है. दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में से 6 भारत के हैं. इन शहरों में दिल्ली से सटा गाजियाबाद सबसे ऊपर है, जहां PM 2.5 का साल भर का औसत स्तर 110 रहा. यानी पिछले साल गाजियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर था.

दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा के अलावा आपको नक्शे में बंधवारी भी दिखाई दे रहा है, जो गुरुग्राम ज़िले का ही एक हिस्सा है. भारत के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट और लंबी है. 10 की जगह 30 शहरों की लिस्ट देखी जाए तो इसमें 21 भारत के हैं. जबकि 50 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में 26 भारत के हैं. जबकि दिल्ली वर्ष 2019 में दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर और सबसे प्रदूषित राजधानी रही है. दिल्ली में पिछले वर्ष PM 2.5 का औसत स्तर 98 रहा.

IQ Air नामक संस्था की ये रिपोर्ट हवा में PM 2.5 कणों की मात्रा के आधार पर तैयार की गई है. ये कण इतने बारीक होते हैं कि सांस के साथ आपके फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और खतरनाक बीमारियों का कारण बनते हैं. दिल्ली में पिछले साल PM 2.5 का औसत स्तर भले ही 100 से कम रहा हो, लेकिन कई बार ये 1 हज़ार से ऊपर भी पहुंच गया था.

यानी ज़हरीले कणों का जो स्तर 300 के पार पहुंचते ही बेहद ख़तरनाक मान लिया जाता है, वो पिछले वर्ष दिल्ली में 3 गुना से भी ऊपर पहुंच गया. तो ऐसे में जबकि दिल्ली के लोग पहले ही ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं. अब दिल्ली की हवा में ज़हरीले विचारों का प्रदूषण भी घुल गया है. सुविधा की सियासत करने वालों पर तो आप फिर भी ये आरोप लगा सकते हैं कि वो हिंदू-मुसलमान करते हैं. लेकिन प्रदूषण का ज़हर कोई फर्क नहीं करता. ये धर्म के आधार पर भेदभाव भी नहीं करता.

State of Global Air 2019 नामक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में प्रदूषण से भारत में 12 लाख लोगों की मौत हो गई थी. यानी हर महीने प्रदूषण हमारे देश में 1 लाख लोगों की जान ले रहा है. हर रोज़ प्रदूषण की वजह से 3 हज़ार से ज्यादा लोग मर रहे हैं और हर घंटे इसके चलते 140 लोगों की जान जा रही है.

अब आप सोचिए कि प्रदूषण कैसे एक महामारी बन चुका है. इसे लेकर स्थिति आपातकाल जैसी हो गई हैं. लेकिन इसके बावजूद किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. बारिश आती है तो प्रदूषण कम हो जाता है, आप खुश हो जाते हैं. लेकिन फिर एक बार अक्टूबर-नवंबर आते-आते दिल्ली और देश के कई शहर गैस चैंबर बन जाएंगे.

प्रदूषण ऐसा दंगाई बन गया है, जो आपको चुनौती देकर आपके सिर पर खड़ा है. आप चेहरे पर मास्क लगाइए, पानी का छिड़काव कीजिए, बच्चों के स्कूल बंद कीजिए. लेकिन ज़हरीली हवा की ये हिंसा अब बेकाबू हो गई है. दिल्ली का ये प्रदूषण उन लोगों को भी शिकार बनाएगा जो दंगा फैला रहे हैं और उन लोगों पर भी कोई रहम नहीं करेगा, जो दंगे में बर्बाद हो गए. प्रदूषण मंदिर और मस्जिद में हिंदू और मुसलमान में कोई अंतर नहीं करता और प्रदूषण कभी किसी को लेकर असहनशील भी नहीं होता. इसलिए बेहतर ये होगा कि हम आपस में लड़ने के बदले प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई करें.

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