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कुरान और हदीस में स्पस्ट रूप से यह लिखा है, तो फिर राम मंदिर पर विवाद क्यों?
बीजेपी प्रवक्ता अश्वनी उपाध्याय
माननीय प्रधानमंत्री जी,
कुरान और हदीस में स्पस्ट रूप से लिखा है कि किसी विवादित भूमि पर या दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थलों को तोड़कर वहां मस्जिद बनाना हराम है और ऐसी मस्जिद में नमाज पढ़ना बिलकुल नाजायज है लेकिन कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए कांग्रेस सरकार ने 1991 में एक कानून [पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991] बनाकर मुगलों द्वारा मंदिरों को तोड़कर बनाई गयी अवैध मस्जिदों को वैध घोषित कर दिया I यह कानून बनाने से पहले किसी भी प्रकार का सर्वे, जाँच या शोध भी नहीं किया गया और जल्दबाजी में यह कानून बनाकर कांग्रेस ने विवादित धार्मिक स्थलों का बातचीत द्वारा समाधान का रास्ता भी बंद कर दिया I
अयोध्या में भगवान राम का मंदिर, मथुरा में भगवान कृष्ण का मंदिर, जौनपुर में अटल देव मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, विदिशा में विजय मंदिर, बटना (गुजरात) में रूद्र महालय मंदिर और अहमदाबाद में भद्रकाली मंदिर के अतिरिक्त सैकड़ों अन्य हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिर हैं जिस पर मुगलों द्वारा अवैध रूप से बनाई गयी मस्जिदों का विवाद चल रहा था लेकिन दोनों पक्षों से बातचीत किये बिना ही कांग्रेस ने इस कानून को 1947 से लागू कर दिया और मुगलों द्वारा बनाई गयी सभी अवैध मस्जिदों को वैध घोषित कर दिया I
यह कानून केवल हिंदू जैन और बौद्ध विरोधी ही नहीं है बल्कि यह ईस्लाम के मूल भावना के भी खिलाफ है इसलिए इस कानून को तत्काल समाप्त करना चाहिए और विवादित धार्मिक स्थलों की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक आयोग बनाना चाहिए I इस आयोग में दो इतिहासकार और दो पुरातत्व विशेषज्ञ जरुर होना चाहिए जिससे यह आयोग 6 महीने के अन्दर देश के सभी विवादित स्थलों की वस्तुस्थिति पर अपनी रिपोर्ट पेश कर सके I देश की एकता-अखंडता तथा आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए यह आयोग बहुत जरुरी है I
1991 से पहले इस तरह का कोई कानून नहीं था और चूँकि अवैध स्थानों या दूसरे के धार्मिक स्थलों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों में किसी भी तरह की नमाज या इबादत हराम और नाजायज है इसलिए हिंदुओ को यह उम्मीद थी कि ऐसे अवैध मस्जिदों को मुस्लिम समाज खुद ही हिंदुओं को सौंप देगा लेकिन अब जबतक यह कानून रहेगा तबतक मुस्लिम समाज चाहकर भी मुगलों द्वारा बनाई गयी अवैध मस्जिदों को हिंदुओं को नहीं सौप सकता है इसलिए यह कानून समाप्त करना और एक उच्चस्तरीय न्यायिक आयोग बनाना बहुत जरुरी है I