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बड़ी ख़बर : 100 दिन बाद शाहीन बाग खाली, दिल्ली पुलिस ने टेंट हटा सड़क खाली करवाई
नई दिल्ली : नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर से शाहीन बाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हटाना दिया है। दिल्ली और नोएडा को जोड़नेवाली इस सड़क पर लगे टेंट को भी हटाया गया। कोरोना वायरस के खतरे के बावजूद ये लोग धरने पर थे। कोरोना की वजह से दिल्ली समेत पूरा भारत लॉकडाउन है। बावजूद इसके मंगलवार को महिलाएं फिर से जुटने लगीं। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को हटा वहां से टेंट उखाड़ दिया गया। साथ ही कुछ को हिरासत में भी लिया गया। शाहीन बाग में महिलाएं पिछले 100 दिनों से धरने पर बैठी थीं।
#WATCH Delhi Police clears the protest site in Shaheen Bagh area, amid complete lockdown in the national capital, in wake of #Coronavirus pic.twitter.com/N6MGLTLs5Z
— ANI (@ANI) March 24, 2020
इसपर जॉइट सीपी देवेश श्रीवास्तव ने कहा, 'कोरोना वायरस के बढ़ने के कारण लोगों से अपील की जा रही थी। लोकल भी हमसे मांग कर रहे थे। आज सुबह हमने इस कार्रवाई की शुरुआत की सात बजे। शुरुआत में कुछ शरारती तत्व माहौल को बिगाड़ना चाहते थे। वे नहीं माने, तो उन्हें हिरासत में लिया गया है।' जॉइंट सीपी ने बताया कि करीब 10 से 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है। विरोध करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। देवेश श्रीवास्तव ने आगे कहा कि हमारा मकसद इलाके में शांति बहाल करना है। कोरोना को लेकर सख्त आदेश थे कि भीड़ जमा न हो।
DCP South East:People at the protest site in Shaheen Bagh were requested today to clear the site as lockdown has been imposed. But after they refused, action was taken against violators as the assembly was unlawful. Protest site has been cleared.Some protestors have been detained https://t.co/lVgXzL9WD6 pic.twitter.com/0uBdwGHKMw
— ANI (@ANI) March 24, 2020
फिलहाल पुलिस ने धरने वाली जगह से टेंट पूरी तरह हटा दिया है। कोरोना वायरस के मद्देनजर दिल्ली में धारा 144 लागू है। इसके बावजूद वहां कुछ प्रदर्शनकारी जुटे हुए थे। एक पुलिसर्मी ने बताया कि सुबह भी काफी महिलाएं धरने पर बैठी हुईं थी। हमने उनसे कहा कि 144 लगाई गई है, इसलिए धरने को खत्म कर दें। लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद पुलिस को बलपूर्वक उनको हटाना पड़ा।
इससे पहले पुलिस ने 31 मार्च तक सिर्फ चार लोगों को बैठने की इजाजत दी थी। यह भी कहा गया था कि चार से फालतू वहां जो भी दिखा उसे अरेस्ट कर लिया जाएगा। प्रदर्शनकारियों को भी अलग-अलग बैठने को कहा गया था।