दिल्ली

निर्भया गैंगरेप केस में 4 दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, देखिए- ऐसा दिखता है डेथ वॉरंट

Sujeet Kumar Gupta
7 Jan 2020 11:21 AM GMT
निर्भया गैंगरेप केस में 4 दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, देखिए- ऐसा दिखता है डेथ वॉरंट
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दिल्ली में साल 2012 में हुए बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप केस में 4 दोषियों के खिलाफ कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया है. चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी दोषियों को 14 दिन का वक्त मिला है। मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी होगी। वहीं, दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि क्येरिटव याचिका दायर करेंगे।

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की. इस दौरान मीडिया को भी अंदर नहीं जाने दिया गया. सुनवाई के दौरान निर्भया की मां और दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं. गौरतलब है कि निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को पहले ही फांसी की सजा दी जा चुकी है.

चारों दोषियों के पास विकल्प के तौर पर अब दया याचिका लगाने का ही मौका है, क्यूरेटिव पिटीशन भी एक और विकल्प है लेकिन कानूनी जानकार कहते हैं कि इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन लगाने के विकल्प लगभग ना के बराबर हैं. क्योंकि यह मामला क्यूरेटिव पिटीशन लगाने के लिए फिट नहीं है।

ऐसा दिखता है डेथ वॉरंट.

जो कानूनी कागजात फॉर्म नंबर 42 देख रहे हैं, यही होता है ब्लैक वॉरंट यानी डेथ वॉरंट. इसमें लिखा भी हुआ है वॉरंट ऑफ Execution Of A Sentence Of Death. पहले खाली कॉलम में जेल का नंबर लिखा होता है, जिस जेल में फांसी दी जाएगी. दूसरे कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले सभी दोषियों के नाम लिखे जाते हैं. खाली कॉलम में केस का FIR नंबर केस नंबर लिखा जाता है।

उसके बाद के कॉलम में जिस दिन ब्लैक वॉरंट जारी हो रहा है, वो तारीख पहले लिखी जाती है, उसके बाद के कॉलम में फांसी देने वाले दिन यानी मौत के दिन की तारीख लिखी जाती है और किस जगह फांसी दी जाएगी वो लिखा जाता है, जिसके बाद अगले खाली कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले दोषियों के नाम के साथ बकायदा यह आगे फॉर्म में साफ-साफ लिखा है कि जिस-जिस को फांसी दी जा रही है, उनके गले में फांसी का फंदा जब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए।

फांसी होने के बाद मौत से जुड़े सर्टिफिकेट और फांसी हो गई है ये लिखित में वापस कोर्ट को जानकारी दी जाए, सबसे नीचे समय दिन और ब्लैक वॉरंट जारी करने वाले जज के साइन होते हैं. उसके बाद ये डेथ वॉरंट जेल प्रशासन के पास पहुंचता है, फिर जेल सुप्रीटेंडेंट समय तय करता है उसके बाद फांसी की जो प्रक्रिया जेल मैनुएल में तय होती है उस हिसाब से फांसी दी जाती है।




गौरतलब है कि निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को पहले ही फांसी की सजा दी जा चुकी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा था कि वह दोषियों को नोटिस जारी करने को कहा था।

बतादें कि 16 दिसंबर 2012 की रात का है. चलती बस में एक 23 साल की पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया. फिर सभी ने मिलकर उसके साथ हैवानियत की हद पार की. बाद में पैरामेडिकल स्टूडेंट को मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया. इलाज के दौरान कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई थी. इस अपराध के लिए पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को मौत की सजा सुनाई गई. वहीं, मुख्य आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग 3 साल बाल सुधार गृह में रहने के बाद छूट चुका है।

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