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LG VS दिल्ली सरकार : केंद्र के पास ACB, ट्रांसफर-पोस्टिंग पर बड़ी बेंच करेगी सुनवाई
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सारे एग्जिक्यूटिव अधिकार दिए हैं लेकिन भूमि से संबंधित मामले एलजी के हक में है। इसमें ट्रांसफर और पोस्टिंग एक अहम मुद्दा था। सर्विसेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग केंद्र सरकार करेगी जबकि ग्रेड-3 और ग्रेड-4 के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का मामला दिल्ली सरकार के अधीन होगा। वहीं बिजली विभाग के ट्रांसफर, पोस्टिंग और बिजली के रेट दिल्ली सरकार तय करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, चुनी हुई दिल्ली की सरकार कमशिन ऑफ इन्क्वायरी का गठन नहीं कर सकती। जस्टिस सीकरी ने कहा, 'जरूरी है जॉइंट सेक्रटरी के ऊपर के अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का का अधिकार एलजी के पास रहे। हालांकि नीचे के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर सीएम ऑफिस के नियंत्रण में हो सकता है।'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि जमीन से जुड़े मामले दिल्ली सरकार के नियंत्रण में रहेंगे। इसके मुताबिक दिल्ली सरकार जमीनों के रेट और मुआवजे की राशि तय कर सकती है। दिल्ली सरकार को राहत मिली है कि जमीनों का सर्किल सीएम ऑफिस के कंट्रोल में होगा। ऐंटी करप्शन ब्रांच ACB का अधिकार भी केंद्र को दिया गया है क्योंकि पुलिस बल केंद्र के नियंत्रण क्षेत्र में है।
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दानिक्स का अधिकार सरकार के पास रहेगा, लेकिन एलजी की सहमति भी जरूरी है। अगर कोई विवाद रहता है कि दोनों पक्ष राष्ट्रपति के पास जा सकते हैं। अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही है। सभी पक्षों को सुनने के बाद इस पीठ ने 3 महीने पहले यानी एक नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने पीठ के समक्ष इस मसले को उठाते हुए मामले में जल्द फैसला सुनाने का अनुरोध किया था।
दिल्ली सरकार की ओर से पीठ को अनुरोध किया गया कि इस संबंध में फैसला जल्द सुनाया जाए क्योंकि प्रशासन चलाने में कई दिक्कतें आ रही है। पिछले साल संविधान पीठ ने अपना फैसला देते हुए कहा था कि दिल्ली में पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि को छोड़कर उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के किसी अन्य कामकाज में दखल नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले में कहा गया था कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा और अगर किसी मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद हो जाए तो उपराज्यपाल उसे राष्ट्रपति के समक्ष रेफर करेंगे। हालांकि इस फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने कहा था कि संविधान पीठ के फैसले के बाद भी कई मसलों पर गतिरोध बरकरार है।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने 21 मई 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि से जुड़े मामले एलजी के अधिकार क्षेत्र में दिए गए थे। केंद्र सरकार गृह मंत्रालय ने 21 मई 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि से जुड़े मामले एलजी के अधिकार क्षेत्र में दिए गए थे। ब्यूरोक्रेट की सर्विस के मामले भी एलजी को दिए गए थे।