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दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 10 हजार का जुर्माना, PIL भी हुआ खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग को देश में आगामी चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाने और बैलेट पेपर पर वापस जाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि चार सप्ताह में दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण में जमा करने का आदेश दिया है।चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा कि वकील सी.आर. जया सुकिन की ओर से दायर याचिका अफवाहों और निराधार दावों पर आधारित थी और जनहित याचिका के बजाय एक "प्रचार हित याचिका" थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा ईवीएम के कामकाज पर ठोस रूप से कुछ भी तर्क नहीं दिया गया है। हमें रिट याचिका में शामिल होने का कोई कारण नहीं दिखता है। यह भी उल्लेख किया गया कि याचिका चार दस्तावेजों पर आधारित थी, जिनमें से एक समाचार था और अन्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उनके प्रतिनिधित्व और याचिका से संबंधित थे और सुकिन को खुद ईवीएम के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ईवीएम और ईवीएम के कामकाज को देखे बिना रिट याचिका दायर की गई खबर को पढ़ लिया है... जिसे चुनाव आयोग के साथ-साथ संसद ने भी मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि सुकिन इस मुद्दे पर शोध करने और उचित बयान देने के बाद नई याचिका दायर कर सकते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतें पहले ही इस पर गौर कर चुकी हैं और इस पर फैसला कर चुकी हैं।
वहीं, व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता सुकिन ने तर्क दिया कि ईवीएम के इस्तेमाल से "लोकतंत्र खतरे में था" क्योंकि मशीन के हैक होने का खतरा था।
उन्होंने बताया कि जापान और अमेरिका सहित कई देशों ने बैलट पेपर से मतदान प्रणाली को चुना है और अपनी चुनाव प्रक्रिया के लिए ईवीएम के उपयोग से परहेज किया है।
सुकिन ने अदालत को बताया कि ईवीएम अन्य देशों द्वारा बनाई गई थी और यहां तक कि वे देश भी इसे इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। अमेरिका ने पिछले नवंबर में चुनाव हुए थे और यहां तक कि कोविड-19 के दौर में भी उन्होंने बैलट पेपर का इस्तेमाल किया था।
अपनी याचिका में सुकिन ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा कराए गए चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए, और मतदाताओं की इच्छा को दर्शाते हैं। ईवीएम को पूरे भारत में पारंपरिक मतपत्रों से बदला जाना चाहिए। मतदान मतपत्रों के माध्यम से किसी भी देश की चुनावी प्रक्रिया के लिए एक अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी तरीका है।