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दिल्ली पुलिस दागदार: दिल्ली दंगा केस में कोर्ट ने पुलिस की जांच को बताया हास्यास्पद, 25 हजार का जुर्माना ठोका
दिल्ली दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के कम से कम 25 मामले अदालत में उजागर हो चुके हैं।
दिल्ली पुलिस दागदार:दिल्ली दंगा केस में कोर्ट ने पुलिस की जांच को बताया हास्यास्पद, कहा- पुलिस ने आरोपियों के बचाव का रास्ता बनाया, 25 हजार का जुर्माना ठोका
पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने पुलिस को घोंडा निवासी की अपील पर केस दर्ज करने को कहा था। इस व्यक्ति ने कहा था कि दंगों के दौरान उसकी आंख में गोली लगी थी। दिल्ली पुलिस ने FIR रजिस्टर करने के आदेश का विरोध किया था।
अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने में फेल हुए अफसर : कोर्ट
इस मामले पर कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, "ऐसा दिख रहा है कि पुलिस ने अलग FIR में आरोपियों के बचने के लिए रास्ता बनाया और दुख की बात है कि पुलिस अधिकारी अपनी जांच के दौरान संवैधानिक कर्तव्य निभाने में फेल हो गए।'
बता दें कि CAA के विरोध-प्रदर्शनों के बीच उत्तर-पूर्व दिल्ली में पिछले साल 24 फरवरी को दंगे भड़के थे। इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। पुलिस ने इस मामले में 751 एफआईआर दर्ज की हैं।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से कहा- सुधार के लिए कदम उठाएं
दिल्ली की कोर्ट ने भजनपुरा पुलिस पर जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना SHO और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाया गया है। एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने इस ऑर्डर की कॉपी पुलिस कमिश्नर को भी भिजवाई है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच और निगरानी का स्तर पुलिस कमिश्नर की नजर में भी आना चाहिए। पुलिस की जांच हास्यास्पद रही। अदालत ने पुलिस कमिश्नर से कहा कि इस मामले को देखते हुए सुधार के लिए कदम उठाए जाएं।
24 घंटे में FIR दर्ज करने का आदेश दिया था
अक्टूबर 2020 में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि मो. नासिर की शिकायत पर 24 घंटे के भीतर FIR दर्ज की जाए। नासिर ने अपनी शिकायत में कहा था कि 24 फरवरी 2020 को उसके ऊपर फायरिंग की गई। एक गोली उसकी बाईं आंख में लगी थी। नासिर ने अपनी शिकायत में नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौर और अन्य लोगों को आरोपी बनाया था। इसके बावजूद जब कोई FIR नहीं दर्ज की गई तो नासिर कोर्ट पहुंचे।
कोर्ट ने गिनाई पुलिस की खामियां
ASJ विनोद यादव ने अपने आदेश में कहा कि नासिर के साथ घटना 24 फरवरी की शाम को उत्तरी घोंडा में हुई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने FIR 25 फरवरी को मोहनपुर, मौजपुर के संबंध में दर्ज की।
कोर्ट ने यह भी कहा कि गोली लगने से घायल हुए 7 लोगों के बारे में जांच एजेंसी को जानकारी थी, लेकिन फिर भी FIR दर्ज करते समय IPC की धारा 307 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 नहीं लगाई गई।
पुलिस ने कहा था- FIR तो पहले से ही दर्ज है
कोर्ट में पुलिस ने कहा था कि दिल्ली दंगा मामले में पहले से ही एक FIR दर्ज है। इसमें नासिर के अलावा 6 अन्य लोगों के घायल होने की बात भी दर्ज है। जिन लोगों का नाम नासिर ने अपनी शिकायत में लिखा है, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। नरेश और उत्तम तो उस वक्त दिल्ली में ही मौजूद नहीं थे और सुशील अपने दफ्तर में था।
नासिर के वकील महमूद प्राचा ने अदालत से कहा था कि दिल्ली पुलिस ने जो FIR दर्ज की है, उसमें नासिर की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्राचा ने कहा था कि नासिर की शिकायत पर अलग FIR दर्ज की जानी चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कानून बनाया है।