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क्या आप जानते हैं कि हिमाचल स्थित मंडी के राजा का दिल्ली आवास कहाँ था और आज क्या है नाम?
शिवनाथ झा
भारत की सड़कों से भारत की कहानी (22): क्या आप जानते हैं कि हिमाचल स्थित मंडी के राजा का दिल्ली आवास, यानी #मंडीहॉउस कहाँ था और आज क्या है वहां? आखिर सात सड़कों का मिलन-स्थल का पूरा इलाका 'मंडी हॉउस' के नाम से विख्यात हुआ?
कितना दुःखद आश्चर्य है कि जिस स्थान पर दिल्ली के करोड़ों लोग नित्य, सुवह से रात तक आवागमन करते हैं, व्यावसायिक दृष्टि से अपने-अपने साथियों से वार्तालाप करते हैं, प्रेमी-प्रेमिका मिलने हेतु स्थान का चयन करते हैं, कलाकार अपनी कलाओं से देश-विदेश के लोगों के ह्रदय में अपना स्थान बनाते हैं - वह स्थान कहाँ था या आज वह स्थान कहाँ है, किस नाम से जाना जाता है या जिसके नाम पर आज उसका वजूद है, अस्तित्व है - 99.9 फीसदी लोग नहीं जानते हैं।
अगर कौन बनेगा करोड़पति में सम्मानित अमिताभ बच्चन साहेब के ज्ञान पेटिका में इस स्थान का नाम आये और सामने गर्म कुर्सी पर बैठे मोहतरमा अथवा मोहतरम से यह प्रश्न पूछा जाय कि उस समय का वह स्थान आज की दिल्ली में कहाँ है? किस नाम से जाना जाता है? चाहे प्रश्न लाखों अथवा करोड़ों का हो - उम्मीद है बिरले कोई होंगे जो ज्ञान पेटिका से निकले शब्दों, वाक्यों को संतुष्ट कर पाएंगे और सम्मानित बच्चन साहब 'टुकुर-टुकुर' देखते रहेंगे।
कल इस इलाके में चतुर्दिक घूम रहा था। लोगों से पूछ रहा था 'भैय्या मुझे मंडी हॉउस जाना है" कहाँ है यह मंडी हॉउस?" सभी भैय्या, बाबू, महिला, पुरुष, युवक, युवतियां का मुखमण्डल 'नकारात्मक' छाप छोड़ रहा था । सभी यही कहे कि आप 'वहीँ' हैं, मंडी हॉउस में ही हैं लेकिन यह नहीं बता पाए कि 'वह कहाँ था या आज कहाँ है, किस नाम से जाना जाता है? यह शुभ संकेत नहीं है न तो इतिहास के लिए और ना ही भविष्य के लिए।
बहरहाल, राष्ट्रीय राजमार्ग 20 से पठानकोट और राष्ट्रीय राजमार्ग 21 से चंडीगढ़ से जुड़ा कल का हिमाचल स्थित राजा मंडी का 'मंडी स्टेट' की स्थापना 1527 में राजा अजबर सेन ने किया था। मंडी इस्टेट' के 18 वे राजा राजा योगिन्दर सेन बहादुर दिल्ली में अपना आवास बनाया था यमुना नदी के तट पर दिल्ली सल्तनत में । उनका आवास दिल्ली सल्तनत में उस ज़माने में अपने-आप में एक अजूबा स्थान था, बिलकुल खुला, बगीचों के साथ, बेहतरीन, सुन्दर। उस आवास का नाम 'मंडी हॉउस' था। यह नाम उनके स्टेट पर था, यानी 'मंडी स्टेट का द्योतक था।
हिमाचल प्रदेश में 'मंडी' शिमला से कोई 145 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है। इसे माधवनगर के नाम से भी जाना जाता था। दिल्ली में 'मंडी हॉउस' आज़ादी के एक-दो साल बाद तक रहा लेकिन समयांतराल हिमाचल सरकार को दे दिया गया एक शर्त पर कि चाहे इतिहास में कितना भी परिवर्तन हो, दिल्ली सल्तनत के इतिहास में कितने भी पन्ने जुड़ें, फटें; इस स्थान का नाम, यानी मंडी स्टेट के राजा का मंडी हॉउस का नाम कभी नहीं बदले। शर्त मंजूर रहा।
दिल्ली में तक़रीबन 22 राजाओं-महाराजाओं का उनके स्टेट के नाम से आज भी विशालकाय भवनें हैं। कुछ भवनों पर आज भी उन का मालिकाना है, शेष सरकार के अधीन हो गया। मसलन कोटा हॉउस, कश्मीर हॉउस, कपूरथला हॉउस, जोधपुर हॉउस, जामनगर हॉउस, उदयपुर हॉउस, जैसलमेर हॉउस, जयपुर हॉउस, हैदराबाद हॉउस, ग्वालियर हॉउस, फरीदकोट हॉउस, धौलपुर हॉउस, कोचीन हॉउस, बीकानेर हॉउस, बरोदा हॉउस, बहावलपुर हॉउस, , नाभा हॉउस, पटियाला हॉउस, सिरोही हॉउस, टेहरी गढ़वाल हॉउस, त्रावणकोर हॉउस और मंडी हॉउस। एक दरभंगा हॉउस या कल्याणी निवास भी था।
सन 1948 में और उसके बाद मंडी के राजा का दिल्ली निवास हिमाचल सरकार के अधीन आ गया। स्वाभाविक है हिमाचल सरकार नए तरीके से, अपने तरीके से मंडी हॉउस का निर्माण की और फिर अपना नाम दिया - हिमाचल भवन। लेकिन शर्त के अनुसार आज भी आईटीओ से दाहिने सिकंदरा रोड, तिलक मार्ग से आने वाली भगवानदास रोड, इण्डिया गेट से आने वाली कॉपरनिकस मार्ग, कनॉट प्लेस से आने वाली बाराखंभा रोड, संसद की ओर से आने वाली फिरोजशाह रोड, बंगाली मार्किट से आने वाली तानसेन मार्ग, सफ़दर हाश्मी मार्ग - यानी सात सड़कें जहाँ मिलती हैं, उस गोल चक्कर और सड़कों का अपना-अपना अस्तित्व, वजूद होने के बाद भी, आज सम्पूर्ण इलाका 'मंडी हॉउस' के नाम से जाना जाता है। इलाका पर्यायवाची हो गया मंडी हॉउस का।
परन्तु हकीकत यह है कि आज का हिमाचल भवन 'कल' का मंडी हॉउस, यानी हिमाचल के राजा मंडी का निवास स्थान था, जो नाम से आज भी जीवित है। मंडी हॉउस मेट्रो स्टेशन भी उसी भूमि का भाग है। 🙏
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