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डॉ कुमार विश्वास बोले सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ हैं ?
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर आबोहवा भयावह स्तिथि में आती नजर आ रही है. जहाँ प्रदूषण की स्तिथि बिगडती नजर आ रही है वहीँ आम जनता भी अब बेहाल होती नजर आ रही है. आँखें भी अब असहाय हालात में अपने आंसुओं को नहीं रोक पा रही है तो नाक भी बेतहाशा टपकी जा रही है. लेकिन सरकार है जो जस की तस मूक दर्शक की तरह देख रही है.
इस बात को लेकर डॉ कुमार विश्वास कब चुप बैठने वाले है उन्होंने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ हैं ? गला बेहद ख़राब हो गया हैं, NCR में फैले प्रदूषण के कारण आँख-नाक से पानी बह रहा है,खाँसी ने क़ब्ज़ा शुरू कर दिया है. पता नहीं "हम-आप-व्यवस्था" कौन ज़िम्मेदार है पर 'हवा' जैसी ज़रूरी चीज़ भी इस लोकतंत्र में न मिले तो कहाँ जाएँ ?
कुमार ने कहा कि साल तो बदल गई लेकिन हालात जस के तस बने हुए है इस सतत प्रक्रिया में कोई बदलाब नहीं दिख रहा है. आखिर इस के लिए कौन जबाब देह होगा?
उधर अभी अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरफ से एडवाइजरी जारी हुई है कि दिल्ली में पराली के बढ़ते धुएँ के चलते प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है. इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के सभी स्कूल 5 नवम्बर तक बंद रहेंगे.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते नॉर्थ MCD के अधीन आने वाले स्कूलों की सोमवार-मंगलवार रहेगी छुट्टी. ईस्ट MCD के स्कूलों की शनिवार और सोमवार को छुट्टी रहेगी. सोमवार को प्रदूषण के स्तर की समीक्षा होगी, अगर हालात ऐसे ही रहे तो छुट्टी को आगे भी बढ़ाया जा सकता है.
दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के प्रदूषण (Pollution) के लिए पराली (Stubble Burning) बदनाम हो चुकी है. इसे लेकर किसान सवालों के घेरे में हैं. उन पर देश की राजधानी की हवा को जहरीला करने का आरोप है. इसलिए उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा और पंजाब तक के किसानों पर एफआईआर हो रही है. राष्ट्रीय किसान संघ के फाउंडर मेंबर बीके आनंद ने सवाल उठाया है कि प्रदूषण (Air pollution in Delhi) में जब पराली का योगदान महज 10 से 30 फीसदी के बीच है तो सिर्फ किसानों (Farmers) पर ही एफआईआर (FIR) क्यों की जा रही है. कंस्ट्रक्शन (निर्माण कार्य) जैसे जो इसके दूसरे बड़े कारक हैं उसके लिए जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर क्यों नहीं?
पराली पर ये है सफर- CPCB की रिपोर्ट
वायु प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है इसके आंकड़े रोज बदलते रहते हैं. इसकी निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक संस्था है सफर (SAFAR), जिसका पूरा नाम है इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च. इसके मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 27 प्रतिशत योगदान है.
यह बीते 15-16 अक्टूबर को 10 फीसदी से भी कम था. हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी एजेंसी के इस दावे को खारिज कर दिया था. केजरीवाल ने कहा था, 'अनुमान लगाने वाला खेल' बंद होना चाहिए और आंकड़े जारी करने वाली एजेंसियों को जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए.
हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की भी रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड के मुताबिक 29 अक्टूबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली का 25 फीसदी योगदान था.
दिल्ली के प्रदूषण पर वर्ष 2016 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी), कानपुर ने एक स्टडी की थी. इसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को सबमिट (सौंपी) की गई थी. यह रिर्पोट सार्वजनिक है. इसमें बताया गया है कि यहां प्रदूषण के लिए कौन कितना जिम्मेदार है. इस रिपोर्ट के बाद भी नेता लोग सिर्फ पराली और किसानों पर निशाना साध रहे हैं.
>>पीएम10 (पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर, ये हवा में वो पार्टिकल होते हैं जिस वजह से प्रदूषण फैलता है) में सबसे ज्यादा 56 फीसदी योगदान सड़क की धूल का है.
>>पीएम 2.5 (पीएम 2.5 का अर्थ है हवा में तैरते वह सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन से कम होता है) में इसका हिस्सा 38 फीसदी है.
किसानों पर दर्ज FIR पर सवाल
किसान नेता बीके आनंद कहते हैं कि सरकारी एजेंसियां खुद साफ कर रही हैं कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जिम्मेदार नहीं है. इसमें रोड साइड की धूल, कंस्ट्रक्शन और वाहन बड़े कारक हैं. सबसे ज्यादा एफआईआर तो दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के उन नगर निगमों और डेवलपमेंट प्राधिकरणों के अधिकारियों पर होने चाहिए जिनकी कामचोरी से सड़कों पर धूल जमा है. लेकिन सरकार के लिए सॉफ्ट टारगेट सिर्फ किसान हैं इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है.