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चुनाव बंगाल में हो रहे पर स्थिति महाराष्ट्र व दिल्ली में बेकाबू है कोरोना के कारण! ऐसा क्यों?
कई लोगों ने कहा कि चुनाव बंगाल में हो रहे पर स्थिति महाराष्ट्र व दिल्ली में बेकाबू है कोरोना के कारण! ऐसा क्यों? आइये थोड़ी नजर डाल लेते हैं वस्तुस्थिति पर। राजनीतिक पूर्वाग्रह से सोचिएगा तो नहीं समझ पाइयेगा।
महाराष्ट्र में चुनाव नहीं है, पर कोरोना महामारी चरम पर है और उसमें भी मुम्बई, ठाणे, पुणे व नागपुर जैसे महानगरों में सर्वाधिक। कई कारणों में, इसका एक बड़ा कारण है महाराष्ट्र का नगरीकरण (50% से ज्यादा), यूपी के बाद सबसे ज्यादा जनसंख्या, दूसरे राज्यों से हमेशा होता प्रवास (जिससे जनसंख्या दबाव लगातार रहता और घटिया आवास की समस्या होती रहती) और सर्वाधिक तेजी से पारदर्शिता के साथ कोरोना मरीजों की टेस्टिंग!
यूपी की जनसंख्या सर्वाधिक है, पर महाराष्ट्र से कम कोरोना मरीज हैं क्योंकि यूपी में नगरीकरण महाराष्ट्र की तुलना में बेहद कम है ( लगभग 22%) और टेस्टिंग की दर उससे भी कम। जहाँ नगरीकरण व जनसंख्या घनत्व ज्यादा है, वहाँ हालात यूपी में भी बेकाबू हैं ही!
दिल्ली में हालात बेकाबू दिख रहे क्योंकि दिल्ली का जनसंख्या घनत्व, नगरीकरण का स्तर, दूसरे राज्यों से प्रवास व टेस्टिंग की गति ज्यादा है!
यही स्थिति केरल, पंजाब इत्यादि राज्यों में भी है उनकी-उनकी जनसंख्या के अनुपात में।
अब समझ आ रहा होगा कि पिछड़े बिहार व पश्चिम बंगाल में कोरोना क्यों उपर्युक्त राज्यों की तुलना में कम दिख रहा फिलहाल। अरे भैया, नगरीकरण हैं ही नहीं, उद्योग हैं ही नहीं, शहर हैं ही नहीं, टेस्टिंग उस अनुपात में हो ही नहीं रहे, पारदर्शिता हैं ही नहीं तो मरीज उतनी संख्या में मिलेंगे कैसे!
चुनाव में रैली भी कराते रहिये तो क्या फर्क पड़ता है, जब टेस्टिंग उस अनुपात में होगी ही नहीं!
इस हमाम में अधिकाँश नँगे हैं। हम अधिकाँश। बस दूसरों पर दोष मढ़ते रहिये, आपदा में भी अवसर तलाशते रहिये। खुद मास्क न पहनिए, पर 'दो गज दूरी और मास्क है जरूरी' का उपदेश मंच से आपस में चिपकी मूढ़ भेड़ों की भीड़ को देते रहिये!
ऑक्सीजन की कमी से जान जाए तो जाए, सरकार मुनादी कराते रहेगी कहीं कमी न होने दी जाएगी। कुछ उसमें भी पैसे कमाने की जुगत में लगे हुए हैं। खैर, जीवन यात्री अपने जान-माल की सुरक्षा खुद करें। बाकी किसी असुविधा के लिए हमें खेद तो हमेशा से हइये है!