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देश के सभी स्कूलों व कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों के लिए फ़र्स्ट एड तथा सी पी आर प्रशिक्षण हो अनिवार्य -राष्ट्रीय लोक दल
नई दिल्ली : टीम-आर एल डी के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि हमारे देश मे प्रति वर्ष लगभग 15 -20 लाख लोगो की ह्रदयघात से मृत्यु हो जाती है अर्थात प्रतिदिन लगभग 5500 लोग वक्त से पूर्व ही काल के गाल मे समा जाते हैं और जिसका मुख्य कारण है समय पर समुचित इलाज का ना मिलना तथा आम जनता के मध्य जीवन रक्षक, कौशल और प्रशिक्षण की कमी।देश में ह्रदयघात मृत्युदर के इतना अधिक होने का यही सबसे बडा कारण है।
इसलिए उन्होंने विद्यार्थियो एवं युवाओं को जीवन प्राथमिक स्वास्थ्य सहायता ,सी पी आर ,रक्षक कौशल प्रशिक्षण आदि को शैक्षणिक करीकुलम का अनिवार्य हिस्सा बनाने की माँग की।
अनुपम मिश्रा ने लिखा है कि ह्रदयघात से बचाने का सीपीआर- कार्डियो पल्मोनरी रेसस्टिसेशन -एक बेहद कारगर तरीका है ,हृदय गति रुकने की स्थिति में इसका प्रयोग कार्डिएक अरेस्ट के दौरान किया जाता है। वैसे तो कार्डिएक अरेस्ट होने से पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और यह एक मेडिकल इमर्जेंसी होती है, फिर भी यदि आपके सामने किसी को ह्रदयघात हो जाए, तो उसे तुरंत सी पीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इस प्रक्रिया मे मरीज को आर्टिफिशल तरीके से ऑक्सीजन दी जाती है, ताकि ब्रेन को ऑक्सीजन मिलती रहे। कार्डिएक अरेस्ट के समय सीपीआर से मरीज के बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है, क्योंकि यदि 3 मिनट तक ब्रेन को ऑक्सीजन नहीं मिले , तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है। अरेस्ट के दौरान दिल की गति एकदम थम जाती है। देश में हृदय की बढ़ती समस्या को देखते हुए ख़ासकर पोस्ट कोविड के बाद यह जिस प्रकार से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है उसे दृष्टिगत रखते हुए हर स्कूल के बच्चों को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में वह आपताकालीन परिस्थितियों के दौरान किसी की जान बचा सके।
उन्होंने कहा कि देश के सभी स्कूल- कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों के लिए सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) का प्रषिक्षण अनिवार्य किया जाय ।आश्चर्य का विषय है कि आम जनता के बीच जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण की कमी भारत में ह्रदयघात मृत्युदर के अधिक होने का सबसे मुख्य कारण होने के बावजूद आज तक इस पर कोइ ठोस कदम नही उठया गया और न इस संबन्ध मे कोइ नीति बनायी गयी ।अनुपम मिश्रा ने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए लिखा है कि विलम्ब से ही सही पर अब वह समय आ गया है जब विधार्थियो - युवाओं को प्रशिक्षित किया जाय और यह कार्य तत्काल युद्ध स्तर पर शुरु किया जाय क्योकि प्रत्येक घण्टे पर लगभग 225 -250 लोग और हर मिनट 3-4 लोग मौत के मुँह मे समा रहे है जिसका प्रमुख कारण समय पर समुचित इलाज का ना मिलना है ।
अनुपम मिश्रा ने कहा, विद्यार्थियों के माध्यम से हम एक ऐसे समुदाय के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं, जो अगले कुछ वर्षो मे ही इस दिशा में उत्कृष्ट बदलाव का कारण बन जायेगा । इनको जीवन रक्षक तकनीकों के साथ प्रशिक्षित करके, हम जीवित रहने की दर में सुधार कर सकते हैं और इस प्रकार देश के लाखों लोगों को असमय मौत के मुँह से बचा सकते हैं।अनुपम मिश्रा ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि स्वास्थ्य संबंधी इस गंभीर समस्या को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री तत्काल कोई ठोस निर्णय लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री जी को इस हेतु यथाशीघ्र कार्यवाही हेतु निर्देशित करेंगे ताकि इसे देश के सभी स्कूलों व कॉलेजों के करीकुलम में इसे सम्मिलित करा कर लागू करवाया जा सके।पत्र की एक प्रति -डॉ. मनसुख मंडाविया जी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार को तथा एक प्रति बृजेश पाठक,स्वास्थ्य मंत्री,उत्तर प्रदेश सरकार ,उत्तर प्रदेश,लखनऊ को भी प्रेषित की ।