दिल्ली

चश्मदीद की कलम से : क्या हुआ था कल रात साक्षी जोशी के साथ!

News Desk Editor
4 May 2023 4:26 PM IST
चश्मदीद की कलम से : क्या हुआ था कल रात साक्षी जोशी के साथ!
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देर रात जंतर मंतर पर एकाएक पुलिस और पहलवानों के बीच झड़प हो गई. इस झड़प में दो पहलवान बुरी तरह चोटिल हुए उसके बाद यह घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. घटना का वीडियो वायरल होते ही मीडिया के लोगों का भी वहां जमावड़ा लगना शुरू हो गया उसी दौरान मैं भी वहां पहुंच चुका था. मैंने जब वहां पहुंचकर देखा तो पुलिस ने पूरे जंतर-मंतर पर बैरिकेडिंग लगाकर चाक-चौबंद व्यवस्था से बंद कर रखा था. किसी की भी एंट्री नहीं हो रही थी चाहे वह मीडिया पर्सन हो या राजनीतिक लोग. वहां एक आईपीएस अधिकारी यानी दिल्ली पुलिस के डीसीपी इस पूरे मामले की निगरानी कर रहे थे.

इसी समय लगभग रात के 12 : 30 बजे के आस पास कई नेताओं का वहां पहुंचना शुरू हो चुका था सबसे पहले पहुंचने वालों में कांग्रेस के नेता दीपेंद्र थे। पुलिस ने जाते ही उन्हें उठाया उनके प्रवेश नहीं मिलने दिया जंतर मंतर पर और उन्हें लेकर थाने चली गई। इसके बाद वहां पत्रकारों का पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ पुलिस ने पत्रकारों को एंट्री दी जिसमें मैं जब अंदर गया तो देखा था पहलवान बुरी तरह चोटिल था। तत्काल पुलिस ने एक एंबुलेंस मंगाई और उसे अस्पताल ले गए।

इसी दौरान मैंने देखा कि जनपथ की ओर हुई बैरिकेडिंग पर चिल्लाने की आवाज आ रही थी। मैं जब वहां पहुंचा तो साक्षी जोशी पुलिसकर्मियों में झड़प हो रही थी। कुछ महिला पुलिसकर्मी साक्षी जोशी को अपने घेरे में लिए हुए खड़ी थी। जबकि साक्षी जोशी चिल्ला रही थी बार-बार कह रही थी मैं एक पत्रकार हूं मुझे अंदर जाने दीजिए। लेकिन पुलिस के अधिकारी और पुलिस के कर्मचारी उन्हें वहां से नहीं दे रहे थे उनके साथ जबरदस्ती कर रहे थे धक्का-मुक्की हो रही थी, वहीं साक्षी जोशी कह रही थी कि मेरे कपड़े फाड़े जा रहे हैं।

उसके बाद आगे जाकर एक सुनसान चौराहे पर छोड़ दिया गया जहां कोई साधन आने जाने का था, वहाँ रात पौने दो बजे पर यातायात का साधन गुजरने की उम्मीद नहीं थी साक्षी जोशी बदहवास खड़ी यह नजारा देख रही थी कि आए थे तो रिपोर्टिंग करने या तो जान बचाना मुश्किल भारी हो रहा है। महिला और वह भी 1 बजकर चालीस मिनट पर एक मंदिर मार्ग थाने के चौराहे पर अकेली खड़ी है इस दौरान अगर कोई घटना की ज्योति के साथ देगी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। जिस देश में महिला सुरक्षा को लेकर बात होती हो वहाँ आधी रात को महिला को सड़क पर अकेले छोड दिया गया।

वहाँ पुलिस किसी भी मीडिया पर्सन की एंटी नहीं होने दे रही थी। मैंने देखा चर्चित पत्रकार अजीत अंजुम भी पहुंच चुके थे। उन्होंने वहां का नजारा माफ कर तुरंत नौ दो ग्यारह हो लिए। उसके बाद दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज पहुंचे नारेबाजी की और पुलिस ने जब उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया। तो भागने लगे जब भीड़ भाग रही थी तो कई लोगों के जूते वही छूट गए थे। इसमें कोंडली के विधायक कुलदीप कुमार भी थे।

तभी दूसरी और मैंने देखा दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को भी पुलिस गिरफ्तार करके ले जाने लगी उनके साथ भी बदसलूकी की गई इस पूरे घटनाक्रम में कई पत्रकारों के साथ भीम पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं था। आखिर पहलवानों की लड़ाई में पत्रकार भी दो-दो हाथ करते दिखे अखाड़ा पुलिस और पहलवानों का था नेता और पत्रकार अपना-अपना दाव लगा रहे थे लेकिन सब पर पुलिस का धोबी पछाड़ दाव भारी पड़ा और थोड़ी देर में वहाँ मामला शांत हो चुका था।

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