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भारत में कोरोना वायरस के दो मरीज मिले, 'कोरोना का कहर बरपा तो संभल नहीं पाएगा भारत'
दिल्ली में कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी है. अभी अभी मिली जानकारी के मुताबिक भारत की राजधानी दिल्ली में और तेलंगाना में कोरोना वायरस के दो मरीज मिले है. दोनों मरीज का प्राथमिक जाँच के लिए सेम्पल लिए गये है और उन्हें लेब में टेस्टिंग के लिए भेजा गया है.
भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक COVID19 के दो और मामले सामने आये है. जिसमें एक नई दिल्ली और एक तेलंगाना से रिपोर्ट आई है. फिलहाल दोनों रोगी स्थिर हैं और बारीकी से निगरानी की जा रही है. अभी किसी तरह की कोई बात नहीं है.
ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया चेतावनी है. फ़िलहाल अगर अंटार्कटिका को छोड़ दिया जाए तो कोरोना का संक्रमण सभी महाद्वीपों में फैल चुका है. चीन से उपजा यह वायरस अब ब्रिटेन, अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया, फ़िलीपींस, थाईलैंड, ईरान, नेपाल और पाकिस्तान जैसे कई देशों तक पहुंच चुका है. कोरोना वायरस संक्रमण का ख़तरा 'ज़्यादा' (High) से बढ़कर 'बहुत ज़्यादा' (Very High) हो गया है. जिस तरह अलग-अलग देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं वो ज़ाहिर तौर पर चिंताजनक है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन
ऐसे में भारत भी इसके ख़तरे से अछूता नहीं है. मगर दूसरे कई देशों में जहां कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्कता का माहौल देखा जा रहा है, वहीं भारत अब भी बेपरवाह नज़र आता है. भारत सरकार की ओर से जारी की गई एक विज्ञप्ति के अनुसार अभी तक भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का एक भी बड़ा मामला सामने नहीं आया है. लेकिन सवाल यह है कि भारत बड़े मामले का इंतज़ार क्यों कर रहा है?
'कोरोना का कहर बरपा तो संभल नहीं पाएगा भारत'
दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्तपाल में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर धीरेन गुप्ता का मानना है कि भारत में कोरोना जैसी महामारियों को लेकर पहले से की गई तैयारियां न के बराबर होती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रस एडोनम का कहना है कि कोरोना वायरस से निबटने के लिए फ़िलहाल 20 नई वैक्सीन तैयार की जा रही हैं. इन परीक्षणों के पहले नतीजे अगले कुछ हफ़्तों में आ जाएंगे.
कोरोना वायरस के दुनिया भर में फैलने की आशंकाओं के चलते दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में गिरावट देखी गई जिसका असर शुक्रवार को भारतीय शेयर बाज़ार पर भी पड़ा.
नाइज़ीरिया, मेक्सिको, बेल्जियम,नीदरलैंड,बेलारूस और लिथुआनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि हो चुकी है.
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर हमारे यहां अगर किसी को सड़क हादसे में चोट लगती है तो उसे इमर्जेंसी में भी भर्ती कराने की जगह नहीं होती. ऐसे में अगर कोरोना जैसा संक्रमण लाखों लोगों में फैल जाए तो हमारा स्वास्थ्य तंत्र इसे संभाल नहीं पाएगा. भारत के पास चीन जैसी क्षमता नहीं है कि छह दिन में अस्पताल खड़ा कर दे. भारत छोड़िए, चीन जैसा देश भी कोरोना के सामने बेबस नज़र आया. चीन ही क्यों, दुनिया के किसी भी देश में अगर लाखों लोग कोरोना जैसे संक्रमण के शिकार हो जाएं तो वो देश डगमगा जाएगा."
हालांकि केरल में तीन व्यक्तियों के कोरोन वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी लेकिन उन्हें ठीक कर दिया गया.
इस बारे में डॉक्टर धीरेन कहते हैं कि वो संक्रमण काफ़ी शुरुआती स्तर पर था इसलिए उससे निजात पाने में मुश्किल नहीं हुई. वो कहते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण बड़े स्तर पर फैला तो उसे संभालने के लिए न तो भारत के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.
भारत सरकार ने अब तक क्या किया है?
केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कोरोना के मामलों पर निगरानी रखने के लिए मंत्रियों के एक समूह (GoM) का गठन किया है. चीन से भारत आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है. किसी भी तरह की आशंका होने पर अलग रखकर उनका इलाज किया जा रहा है. कोरोना वायरस से जुड़ी शिकायत और सुझाव के लिए एक कॉल सेंटर शुरू किया गया है. इसका नंबर है: 01123978046. ये 24 घंटे काम करता है.
ट्रैवल एडवाइज़री जारी की गई. ट्रैवल पॉलिसी में बदलाव किए गए.
21 हवाई अड्डों और सी पोर्ट (बंदरगाहों) पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की गई है. थर्मल स्क्रीनिंग वो प्रक्रिया है जिसके तहत कोरोना जैसे वायरस के संक्रमण की जांच की जाती है.
एपिडेमिक डिज़ीजेस एक्ट, 1897
-इस क़ानून के तहत भारत में एचवनएनवन से संक्रमित लोगों को अलग रखे जाने और कुछ ख़ास अस्पतालों में उनका इलाज कराए जाने का प्रावधान है.
-यह एक्ट प्राइवेट अस्पतालों को एचवनएनवन से संक्रमित लोगों के लिए अलग रखे जाने की सुविधा की व्यवस्था करने और ऐसे मामलों की जानकारी सरकार तक पहुंचाने का निर्देश देता है.
कितना काम आएंगी ये तैयारियां?
डॉक्टर धीरेन सरकार की इन तैयारियों को नाकाफ़ी बताते हैं. उन्होंने कहा, "सरकार ने जो तैयारियां की हैं, उनका प्रभाव बहुत सीमित होगा. निगरानी भी सिर्फ़ उन्हीं लोगों पर रखी जा रही है जो या तो चीन से वापस आ रहे हैं या कोरोना से प्रभावित देशों की यात्रा पर जा रहे हैं.'' डॉक्टर धीरेन कहते हैं, ''कई बार कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में ख़ुद मरीज़ को इसका पता नहीं चल पाता और जब तक बीमारी की पुष्टि होती है, ये काफ़ी गंभीर हो चुका होता है. इसके अलावा कोरोना संक्रमण के टेस्ट की व्यवस्था भी सभी जगहों पर और सभी अस्पतालों में नहीं है, ये एक बड़ी समस्या है."