दिल्ली

क़ुर्बानी को लेकर पुलिस की मनमानी कार्यवाही पर रोक लगाए सरकार

Shiv Kumar Mishra
28 July 2020 2:30 PM GMT
क़ुर्बानी को लेकर पुलिस की मनमानी कार्यवाही पर रोक लगाए सरकार
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आख़िर किस कानून के अंतर्गत पुलिस प्रशासन बड़े जानवरों की क़ुर्बानी से रोक रही है-? जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष ने उठाया प्रश्न।

नई दिल्ली।जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने देश के विभिन्न भागों, विशेषकर उत्तर प्रदेश में क़ुर्बानी को लेकर ज़िला पुलिस प्रशासन के माध्यम से तानाशाही और अत्याचार किए जाने पर रोष प्रकट किया है और कहा है कि क़ुर्बानी इस्लाम का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक धार्मिक कार्य है।इसमें किसी भी प्रकार की रुकावट (बाधा) खड़ी न की जाए। उन्होंने बताया कि जमीयत को लिखित तौर पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से शिकायतें मिली हैं कि पुलिस जानवरों को पकड़ कर ले जा रही है।और बहराइच, गाज़ीपुर, गाज़ियाबाद आदि में ज़िला प्रशासन ने बड़े जानवरों की क़ुर्बानी पर रोक लगा दी है।

इसी तरह से देश के विभिन्न भागों से भी ऐसे ही क़ुरबानी में रुकावटों वाले समाचार प्राप्त हो रहे हैं. प्रश्न यह है कि आख़िर पुलिस ने किस क़ानून के तहत बड़े जानवरों पर प्रतिबंध लगाया है।और वह यह सब किसके इशारे पर कर रही है-? इस संबंध में पुलिस के माध्यम से अत्याचार, बर्बरता और तानाशाही तथा खुलेआम क़ानून का मज़ाक बनाए जाने से जनता में तीव्र असंतोष और रोष पाया जाता है। हम पुलिस के इस तरह के अत्याचारों की घोर निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि सरकारें इन सब पर तुरंत रोक लगाएं। और इस बात को सुनिश्चित बनाया जाए कि मुसलमान पूरी सरलता के साथ क़ुर्बानी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य को पूर्ण कर सकें।

अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग और क़ुर्बानी से संबंधित सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की है उस पर जनता चल रही है। मुस्लिम नेता तथा संस्थाएं इसके संबंध में लोगों को लगातार जागरुक कर रहे हैं। जहां तक गाइडलाइन की बात है तो इसमें कहीं भी बड़े जानवर की क़ुर्बानी पर प्रतिबंध नहीं है। अगर पुलिस प्रशासन इससे बढ़कर किसी के धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप करती है और मनमर्ज़ी के आदेश - नियम थोपती है तो इसके परिणाम बहुत ख़राब और नकारात्मक होंगे।

अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद ने यह चेताया है कि अगर सरकार ने समय रहते क़दम नहीं उठाया तो देश में अशांति और दंगों की परिस्थितियां पैदा हो जाएंगी। और उसकी ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकार होगी। उन्होंने जमीअत उलमा ए हिंद के कार्यकर्ताओं और ज़िम्मेदारों को भी अवगत कराते हुए निर्देश दिए हैं कि अगर उनके क्षेत्र में क़ुर्बानी को लेकर कोई परेशानी होती है या पुलिस अत्याचार करती है तो आप लिखित रूप में इसकी सूचना जमीयत उलमा ए हिंद के कार्यालय को दें।ताकि जमीयत उलमा ए हिंद के द्वारा सरकार और संबंधित अधिकारियों से मिलकर उस समस्या को हल कराने (समाधान) का पूरा पूरा प्रयत्न किया जाए।

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