- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
तारा जयप्रकाश 68 वर्ष की है और कुन्नूर में रहती हैं। तारा क्रोशिया से कुशन कवर, शॉल, बेबी सूट, टिशु बॉक्स बेडशीट जैसी चीजें बनाती है और शहर में आयोजित होने वाले मेले में ग्राहकों को भेजती हैं। 60 से 65 साल की उम्र पार करते ही लोग सोचते हैं कि अब रिटायरमेंट की उम्र आ गई है और अब आराम करना चाहिए लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो उम्र को सिर्फ नंबर की तरह समझते हैं और ऊंचाइयों को छू लेते हैं। ऐसे ही कुछ हुआ कुन्नूर की 68 वर्षीय तारा जयप्रकाश के साथ। तारा बचपन में शौक शौक में क्रोशिया सीखा करती थी लेकिन उन्होंने इसी क्रोशिया के वर्क को आज अपना बिजनेस बना लिया है ।
तारा के पति वायु सेना में कार्यरत थे जिस वजह से उन्हें देश के अलग-अलग शहरों में रहना पड़ता था। पति के रिटायरमेंट के बाद तारा ने कुन्नूर में रहना पसंद किया। उन्होंने घर पर ही रह कर पहले क्रोशिया से बेडशीट ,कुशन कवर ,तोरण बच्चों के लिए गर्म कपड़े आदि बनाकर लोगों को फ्री में दिए ।लोगों को उनका काम बहुत पसंद आने लगा। तब उनसे लोगों ने अपने हुनर को बिजनेस में बदलने के लिए कहा। पहले तारा इस काम को पार्ट टाइम में करती थी लेकिन फिर धीरे-धीरे उनके बच्चों ने भी इसमें हाथ बटाना शुरू कर दिया और फिर उन्होंने इसे फुल टाइम बिजनेस बना लिया। अब तारा अपने बनाए हुए सामान को डायरेक्ट ग्राहकों को भेज देती है। वही वह शहर में होने वाले आयोजनों में भी भाग लेती हैं।
तारा कहती है उन्होंने आज तक जितने भी सामान बनाए हैं उसकी मार्केटिंग उनके ग्राहकों ने ही की है। उन्होंने कभी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का यूज नहीं किया है। उनके उत्पादों की कीमत ₹100 से शुरू होकर 10 से ₹12000 तक जाते हैं। तारा हमेशा नए-नए डिजाइन बनाने की कोशिश करती हैं और मेहनत के आधार पर वह उसकी कीमत तय करती हैं ।तारा कहती है कि ढलती उम्र में अक्सर लोगों को लगने लगता है कि अब वह कुछ नहीं कर पाएंगे और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती हैं लेकिन अगर महिलाएं अपने हुनर और अपनी क्षमता को पहचाने तो बहुत कुछ कर सकती हैं।
वह कहती हैं कि अगर उन्होंने यह काम 20 साल पहले शुरू किया होता तो वह आज बहुत आगे निकल गई होती और वह दूसरे लोगों को रोजगार भी दे सकती। तारा कहती है उन्होंने हमेशा अपने ग्राहकों को नई नई चीजें उपलब्ध कराई हैं। बाजार में चल रहे ट्रेंड के हिसाब से उन्होंने चीजें बनाई ।वह अन्य उत्पाद भी बनाती हैं जैसे गर्म पानी की बोतल का कवर, हैंगिंग प्लांटर आदि का कवर।