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मुंबई की सड़क पर पिज्जा बेचने वाले अथर्व की कहानी हम सबके लिए प्रेरणा है। वह इस बात के उदाहरण हैं कि हालातों से हार मानने के बजाय आप लगातार कोशिश करते रहें, तो सफलता ज़रूर मिलती है। दरअसल, अथर्व ने IHM (इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट) से अपनी पढ़ाई पूरी की और एक होटल में नौकरी करने लगे लेकिन फिर आया कोविड, महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लगा दिया गया और अथर्व की नौकरी चली गई। हालांकि, अथर्व ने हार नहीं मानी और पिज़्जा बेचने का फैसला किया। उन्होंने मुंबई के लालबाग में ठेला लगाना शुरू किया और हर शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक पिज़्ज़ा बेचने लगे।
अथर्व ने इससे पहले IHM से पढ़ाई पूरी करने के बाद, कई होटल्स में काम किया। लेकिन लॉकडाउन के दौरान, जब उनकी नौकरी चली गई, तो घर में पैसों की बहुत तंगी हो गई थी। उस मुश्किल दौर में भी उन्होंने अपनी सेविंग्स से अपने परिवार को संभाला।।मुंबई के रहनेवाले अथर्व ने IHM (इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट) से अपनी पढ़ाई पूरी की और एक होटल में नौकरी करने लगे। लेकिन फिर आया कोविड, महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लगा दिया गया और अथर्व की नौकरी चली गई। उसके बाद अथर्व ने जो किया वह हम सबके लिए प्रेरणादायी है।
घर के हालात देखकर अथर्व ने खुद का ऑनलाइन फूड बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया। लेकिन फूड डिलीवरी में इतनी दिक्कतें आईं कि उन्हें उस बिज़नेस को भी बंद करना पड़ा। इससे वह निराश तो बहुत हुए, लेकिन हार नहीं मानी। इस बार उन्होंने लालबाग के गुरूजी रोड पर एक ठेला लगाना शुरू किया। शुरुआत में अथर्व सिर्फ दक्षिण भारतीय चीज़ें ही बनाते थे।
फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपने मेन्यू में मोमोज़ और पिज़्जा जैसे आइटम्स भी शामिल किए। उनका बनाया पिज़्जा लोगों को काफी पसंद आने लगा। तब अथर्व और भी कई तरह के पिज़्ज़ा बनाने लगे और आज उनका यह ठेले वाला पिज़्जा इतना हिट हो चुका है कि इसका स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं।
अब आगे अथर्व अपना एक पिज़्ज़ा कैफे शुरू करना चाहते हैं। वह कहते है ना! मुश्किलों से घबराकर नहीं, धैर्य से जीत मिलती है, अथर्व इसका बेहतरीन उदाहरण हैं!अथर्व ने हार नहीं मानी और पिज़्जा बेचने का फैसला किया। उन्होंने मुंबई के लालबाग में ठेला लगाना शुरू किया और हर शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक पिज़्ज़ा बेचने लगे।अब उन के पिज्जा का टेस्ट चखने लोग दूर-दूर से आते है।