- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
IAS Inspirational Story: सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उनके लिए आगे की पढ़ाई करना आसान नहीं था क्योंकि उनकी फीस उनका परिवार नहीं दे पा रहा था. पैसे की तंगी के कारण उन्होंने ग्वालियर जाने का फैसला किया
Nirish Rajput IAS: अगर आप सपने देखते हैं और उन्हें सच करने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार होते हैं तो आपको आपके लक्ष्य पर पहुंचने के लिए कोई नहीं रोक सकता जैसा कि सभी जानती है कि यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है. हर साल लाखों बच्चे इस परीक्षा को पास करने का सपना देखते हैं लेकिन इसमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जो इस परीक्षा को पास कर पाते हैं और उन गिने-चुने लोगों में से कुछ ऐसे भी होते हैं जो लोगों के लिए मिसाल कायम कर देते हैं. ऐसी ही कुछ कहानी है आईएएस निरीश राजपूत की, जिनके पास संसाधनों की कमी थी बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और यूपीएससी परीक्षा पास की.
निरीश राजपूत मध्यप्रदेश में रहते हैं. उनके पिता एक टेलर थे और उनका परिवार आर्थिक तंगी से काफी जूझ रहा था उनके पास घर चलाने के भी पैसे नहीं थे. उनके पिता ने एक बार घर चलाने के लिए दोस्तों से पैसे भी उधार लिए थे.परिवार की आर्थिक स्थित को देखते हुए निरीश ने यूपीएससी परीक्षा पास करने की सोची और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए.
अपनी प्रारंभिक पढ़ाई निरीश ने सरकारी स्कूल से की. उसके बाद आगे पढ़ना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि उनके परिवार वाले उनकी फीस नहीं दे पा रहे थे. पैसों की तंगी के कारण उन्होंने ग्वालियर जाने का फैसला किया और उन्हें वहां नौकरी मिली. उन्होंने बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके पास नोट्स बनाने के पैसे नहीं थे जिसके लिए उन्होंने अखबार तक बेचा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दिनों में निरीश राजपूत ने एक दोस्त के लिए काम करना शुरू किया था. उनके दोस्त ने निरीश को अपने कोचिंग सेंटर में टीचर के पद पर नियुक्त किया. इसके बाद उनके दोस्त ने 2 साल बाद उन्हें अपने कोचिंग सेंटर से निकाल दिया. इसके बाद वह अपनी किस्मत को आजमाने के लिए दिल्ली चले गए. निरीश बताते हैं कि दिल्ली में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दिनों में उन्होंने एक दोस्त से नोट्स उधार मांगे थे और कोचिंग के पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने चलते स्टडी की थी. इसी बीच उन्होंने तीन बार सिविल सेवा परीक्षा में एग्जाम दिया लेकिन वह असफल रहे उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार चौथे अटेम्प्ट में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की और 370वीं रैंक हासिल की.