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साउथ कोरिया में खेती की एडवांस तकनीकों से सीख कर रमेश ने सोचा कि क्यों न इस तकनीक को भारत में अपनाया जाए। उन्होंने काम के साथ-साथ 6 महीनों की खेती की तकनीक भी सीखी और भारत वापस आकर नोएडा के सेक्टर 63 में 100 स्क्वायर फीट जगह पर केसर उगाना शुरू किया।आपने केसर खेती कश्मीर में देखी होगी लेकिन नोएडा के एक छोटे से कमरे में 64 साल के इंजीनियर रमेश केसर उगा रहे हैं और इससे खूब अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।साल 1980 में NIT कुरुक्षेत्र से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद, रमेश ने बहुत ही लार्ज स्केल की मल्टिनेशल कंपनीज़ में जॉब की। 35 साल के अपने कार्यकाल में उन्हें दुनिया के बहुत सारे देशों में जाने का मौका मिला।
साउथ कोरिया में खेती की एडवांस तकनीक देखकर रमेश ने सोचा कि इन तकनीकों को भारत में भी लाना चाहिए और उन्होंने अपने छोटे से कमरे में केसर गाना शुरू कर दिया। अब इस काम से करीब ₹400000 महीना कमाते हैं और रमेश कश्मीर से ₹200000 के बीज भी मंगवा रहे हैं। उन्होंने बताया, "भारत में केसर की जितनी डिमांड है, उसका सिर्फ 30% भाग ही कश्मीर से आता, बाकी 70% केसर ईरान से इंपोर्ट होता है। यह जो डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप है, वही अपने आप में एक बहुत बड़ी मार्केट है।" रमेश बताते हैं कि केसर फार्मिंग में बहुत ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं होती है। इसे कोई भी घर का सदस्य आराम से कर सकता है।आगे उन्होंने बताया, "केसर बहुत ही अच्छे रेट पर बिकता है, अगर आप होल सेल में बेचना चाहें, तो बड़े आराम से ढाई लाख रुपया/kg पर आप इसे बेच सकते हैं,
रिटेल में अगर बेच सकें 1 ग्राम, 2 ग्राम, 5 ग्राम के पैकेट्स में तो 3.50 लाख रुपये/kg और अगर एक्सपोर्ट करते हैं, तो 6 लाख रुपया/kg तक भी की कमाई कर सकते हैं।"रमेश नोएडा में ही 'आकर्षक सेफ्रॉन इंस्टीट्यूट' नाम से ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं और अब तक 105 लोगों को केसर उगाने की यह तकनीक सिखा चुके हैं।
साल 1980 में NIT कुरुक्षेत्र से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद, रमेश ने बहुत ही लार्ज स्केल की मल्टिनेशल कंपनीज़ में जॉब की। 35 साल के अपने कार्यकाल में उन्हें दुनिया के बहुत सारे देशों में जाने का मौका मिला।उसका सिर्फ 30% भाग ही कश्मीर से आता, बाकी 70% केसर ईरान से इंपोर्ट होता है। यह जो डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप है, वही अपने आप में एक बहुत बड़ी मार्केट है।