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18 साल के रूहानी वर्मा ने R+D Studio के आर्किटेक्ट श्रीधर राव के साथ मिलकर बनाया है कचरे और प्लास्टिक वेस्ट से भारत का पहला कार्बन-नेगेटिव शौचालय।
अमृतसर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पार्किंग पर एक रंगीन इग्नू के आकार की संरचना हर किसी को अपनी और आकर्षित करती है इस सुंदर स्ट्रक्चर को देखकर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि यह एक पब्लिक टॉयलेट है लेकिन इसके पास जाने पर जब आप यहां लगा बोर्ड देखेंगे, तो आपको और अधिक आश्चर्य होगा, क्योंकि यह पब्लिक टॉयलेट बना है कचरे और प्लास्टिक वेस्ट से। यह देश का पहला कार्बन नेगटिव टॉयलेट है, जिसे बनाने में किसी भी प्राकृतिक रिसोर्स का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यह कमाल का टॉयलेट है जिसे 18 साल के रूहानी वर्मा ने बनाया है रूहानी जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में पड़ी हुई है उन्होंने अपने एक इको प्रोजेक्ट के लिए या टॉयलेट के बारे में सोचा था. रूहानी कहती है कि सड़क पर पड़े कचरे से उन्हें इस काम की प्रेरणा मिली
रूहानी वर्मा अमृतसर में रहती है और बचपन से ही वह पर्यावरण की देखभाल करना चाहती थी ऐसे में वह अपने आसपास को साफ रखना और प्लास्टिक कचरे को रीसायकल करना भी सीखते रहती थी. एक बार छुट्टियों में उन्होंने एक आर्किटेक्चर फर्म में इंटर्नशिप की थी और वहीं उन्हें कचरे से एक संरचना बनाने का आईडिया आया।
उन्होंने इंटरनेट पर देखा कि लोग कई तरह की तकनीक इस्तेमाल करके ईंट बना रहे हैं। लेकिन रूहानी चाहती थीं कि वह प्लास्टिक वेस्ट से इस तरह की ईंट बनाएं।
इसके बाद रूहानी ने आर्किटेक्ट श्रीधर राव से संपर्क किया। श्रीधर आर+डी स्टूडियो में पार्टनर हैं, उनकी टीम इस तरह के काम में काफी माहिर है। रूहानी को अपने काम में आर+डी टीम की रिसर्च और मेन्युफैक्चरिंग दोनों में मदद मिली। उन्होंने खूब सारी प्लास्टिक भी जमा की इस तरह महीनों की मेहनत के पास सितंबर 2022 में अमृतसर एयरपोर्ट के पार्किंग एरिया में उन्होंने सार्वजनिक शौचालय लांच किया उन्होंने करीब 400000 सिंगल यूज प्लास्टिक बैग से 1000 टाइल्स और 150 लेगो स्टाइलिश बनाएं उनका कहना था कि अगर इतने प्लास्टिक सड़क पर रहते तो लगभग 150 किलोमीटर एरिया को दूषित करतेअगर भविष्य में ऐसे और टॉयलेट्स बनें, तो हम देश की दो समस्याओं को एक साथ हल कर सकते हैं। रूहानी जैसे युवाओं की सोच से ही यह बदलाव मुमकिन है।
यह देश का पहला कार्बन नेगटिव टॉयलेट है, जिसे बनाने में किसी भी प्राकृतिक रिसोर्स का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यह कमाल का टॉयलेट है जिसे 18 साल के रूहानी वर्मा ने बनाया है रूहानी जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में पड़ी हुई है उन्होंने अपने एक इको प्रोजेक्ट के लिए या टॉयलेट के बारे में सोचा था.