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केजरीवाल ने बनाई समिति तब कन्हैया को नहीं माना दोषी, तो अब चार साल बाद देशद्रोह क्यों?
साल 2016 में जेएनयू में कन्हैया कुमार के दिए गये भाषण पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पाया था कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश तोड़ने वाले नारे नहीं लगाये थे. तो फिर अब केजरीवाल ने कन्हैया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की इज़ाजत क्यों दे दी? यह ट्विट एक प्रियंका झा नाम की सोशल एक्टिविस्ट ने कही है.
इस बात पर अब एक सवाल तो बनता ही है जिस सरकार ने अपनी पुरानी सरकार में कन्हैया कुमार के नारे में कंही देशद्रोह नजर नहीं आया था तो यकायक दिल्ली हिंसा के बाद उनको उसी भाषण में देश द्रोह नजर आया और अब उनकी सरकार कन्हैया पर देश द्रोह का केस चलाने की अनुमति प्रदान करता है. जहाँ पहले कन्हैया की जमानत तक की व्यवस्था केजरीवाल की पार्टी करती नजर आती है तो उसी समर्थक को जेल भेजकर क्या संदेश देना चाहती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पाया था कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश तोड़ने वाले नारे नहीं लगाये थे। तो फिर अब केजरीवाल ने कन्हैया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की इज़ाजत क्यों दे दी?@kanhaiyakumar
— Priyanka Jha (@JhaPriyankha) March 1, 2020
साल 2016 के राजद्रोह के एक मामले में दिल्ली सरकार ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी है .जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ( Jawaharlal Nehru University) में देश विरोधी नारे लगाए जाने से संबंधित मामले में शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत दस अन्य आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति दे दी है. यह मामला 13 माह से दिल्ली सरकार के पास लंबित था.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले की जांच की थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने चार्जशीट दाखिल करने संबंधी फाइल पर अनुमति नहीं दी थी. अनुमति मिलने के बाद कन्हैया पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा.
जेएनयू में लगे थे देश विरोधी नारे
9 फरवरी 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो सामने आए थे, इसके बाद मामले की जांच की गई. फिर कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. जेएनयू के इस मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान, आकिब हुसैन, मुजीब, उमर गुल, बशरत अली व खालिद बसीर सहित 10 लोगों के खिलाफ अदालत में 14 जनवरी 2019 को आरोपपत्र दाखिल किया था. मगर दिल्ली सरकार ने इस मामले में देश द्रोह के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी.