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हाई कोर्ट से बोली केजरीवाल सरकार- केंद्र से पूछे, आखिर तीन दिन में किया क्या?
दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली में ऑक्सिजन की कमी समेत विभिन्न मुद्दों पर आज सुनवाई कर रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि इन प्लांट को स्थापित करने के लिए जो काम होना था, उस पर काम नहीं हो पाया है। दिल्ली सरकार के वकील नेअदालत से कहा कि केंद्र सरकार से पूछा जाए कि पिछले तीन दिनों में उसने क्या किया है सिर्फ अदालत में यह कहने के सिवा की हम ये कर रहे हैं।
हमारी जरूरत 700 एमटी ऑक्सिजन की जरूरत है
दिल्ली सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने कहा कि नई तकनीकों को तलाशा जा रहा है। राहुल मेहरा ने कहा कि हाई कोर्ट ने हमारे अधिकारियों से कहा था कि वे प्लांट के एलोकेशन को लेकर केंद्र के अधिकारी को लेटर लिखे, लेकिन हमें ऐसा करने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारी जरूरत 490 एमटी ऑक्सीजन नहीं है। बेड की उपलब्धता को देखते हुए हमने कहा था कि हमारी जरूरत 700 एमटी ऑक्सिजन की जरूरत है।
एसजी तुषार मेहता ने दलीलों पर जताई आपत्ति
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दूसरी तरफ कुछ संवेदना होनी चाहिए। कोई एपेथी नहीं है नागरिकों के प्रति। इस एसजी तुषार मेहता ने दलीलों पर आपत्ति जताते हुए उन्हे रोकने की कोशिश की। मेहरा ने कहा कि दिल्ली की जनता परेशान होती रहेगी और केंद्र जैसा चाहेगा, वैसा आवंटन करता रहेगा।
क्या लोग प्राइवेट तौर पर रेमडेसिविर खरीद सकते हैं
दिल्ली सरकार ने कहा कि रेमेडिसेविर की जरूरत पर निगरानी रखने के लिए नैशनल और स्टेट लेवल की योजनाएं हैं। कहीं कमी नहीं पड़ सकती। हमारे लिए लिमिट तय है। दिल्ली सरकार की इस दलील पर अदालत ने पूछा कि क्या जनता निजी लोगों से इसे खरीद सकती है। जवाब मिला नहीं।
ऑक्सिजन नहीं मिलेगी तो बेड कैसे बढ़ाएंगे
बेड की जरूरत के मुद्दे पर यह डिटेल अदालत के सामने रखी गई है। अगर हमें हमारी जरूरत के हिसाब से ऑक्सिजन नहीं मिलेगी तो कैसे हम इतनी बड़ी संख्या में बेड की संख्या बढ़ा पाएंगे जो हम बढ़ाना चाहते है। दिल्ली सरकार ने कहा कि हम आज हर रोज 1000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है जो हमें दिलाई जानी चाहिए। हम ऑक्सीजन उत्पादनकर्ता नहीं है। आज हमारे सामने दिक्कतें आ रही हैं। लेकिन आज हमें इसकी बहुत जरूरत है।
स्थिति अभी और बिगड़ने वाली है, बोले अमाइकस क्यूरी
अमाइकस क्यूरी राजशेखर राव ने बताया कि दिल्ली सरकार सही कह रही है कि उसकी जरूरत 700 से ज्यादा ऑक्सिजन की है और मिल रही है 400 के आसपास। जबकि महाराष्ट्र की जरूरत 1500 एमटी है पर उसके पास 1600 है। इस मुद्दे को देखे जाने की जरूरत है। राव ने कहा कि ऑक्सिजन प्लांट को तुरंत शुरु किया जाना चाहिए यहां, चाहे जो भी पक्ष जुड़ा है। क्योंकि स्थिति अभी आगे और बिगड़ने वाली है।
30 अप्रैल तक एलएनजेपी में ऑक्सिजन प्लांट होगा शुरू
दिल्ली सरकार हाई कोर्ट को उन आठ पीएसए के इंस्टालेशन के बारे में बताया जो यहां लगने थे। दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि 30 अप्रैल तक लोक नायक अस्पताल में ऑक्सिजन प्लांट शुरू हो जाएगा। सफदरजंदग अस्पताल में भी 30 अप्रैल तक प्लांट चालू हो जाएगा।
बेड खाली पड़े हैं लोग परेशान हो रहे हैं
केंद्र और दिल्ली सरकार की तीखी दलीलों के बीच जस्टिस ने केंद्र सरकार के अधिकारी पीयूष गोयल से कहा, 'आज की समस्या है कि ऑक्सिजन की वजह से अस्पतालों ने मरीजों को एडमिट करने से मना कर दिया है। बेड खाली पड़े हैं। लोग परेशान हो रहे हैं। ऑक्सिजन की कमी की वजह से जानें जा रही हैं।' इस पर सॉलिसिटर जनरल ने हाई कोर्ट से कहा कि मैं एक बार फिर आपसे अनुरोध करता हूं कि ऑक्सिजन के पैन इंडिया एलोकेशन पर न जाएं।
इमोशनल होने की जरूरत नहीं है
इस पर जब जस्टिस सांघी ने सवाल किया, मध्य प्रदेश की मांग कम है और 25 पर्सेंट से ज्यादा मिल रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? जवाब में एसजी ने कहा कि एमपी की अबादी दिल्ली से तीन गुना ज्यादा है। लेकिन मैं अधिकारी से कहता हूं कि आप एमपी के कोटे में कटौती कर दें और दिल्ली को दें। जस्टिस सांघी ने इस पर उन्हें टोकते हुए कहा, 'मिस्टर मेहता इमोशनल होने की जरूरत नहीं है। हम आपसे किसी का कोटा काटने के लिए नहीं कह रहे। तथ्यों और आंकड़ों पर बात कर रहे हैं।'
ऑक्सिजन नहीं मंगवा पाना दिल्ली की समस्या
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहे है। किसी भी तरह की बढ़ा चढ़ाकर बाते करने से पैनिक पैदा हो सकता है। ऑक्सिजन की सप्लाई जहां से शुरू की जानी थी, वह हमने की है। आज की तारीख में पर्याप्त ऑक्सिजन है। मेहता ने कहा कि दिल्ली की समस्या इसीलिए है क्योंकि वह ऑक्सिजन को यहां मंगवा नहीं पा रही है।
हाईकोर्ट ने भी माना ट्रांसपोर्टेशन समस्या
हाई कोर्ट ने भी कहा कि दिल्ली में ऑक्सिजन की उपलब्धता समस्या नहीं है, समस्या ट्रांसपोर्टेशन की है। दिल्ली इसीलिए परेशान है क्योंकि यहां उस तरह का कोई उद्योग नहीं है और क्रायोजेनिक टैंकर्स की यहां काफी कमी है। ये बोटलनेक है।