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दिल्ली: मजदूरों के साथ दुर्घटनाओं पर श्रम कार्यालय का घेराव, बड़े आंदोलन की चेतावनी!
मजदूर एकता केंद्र, भारत (एमईके) ने दिल्ली खास तौर पर आनंद पर्वत औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों के साथ होती गंभीर दुर्घटनाओं और श्रम कानूनों के खुलेआम उल्लंघन को लेकर लेबर ऑफिस, पूसा रोड का घेराव किया। ज्ञात हो कि आनंद पर्वत, रामा रोड और आस-पास के क्षेत्र में लाखों की संख्या में मजदूर काम करते हैं, लेकिन विडम्बना है कि मजदूरों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जो श्रम कानून बनाए गए थे, उनका पालन नहीं होता है और इस औद्योगिक क्षेत्र के फैक्ट्री मालिकों द्वारा सुरक्षा मानकों को धड़ल्ले से नज़रअंदाज़ किया जाता है।
ज्ञात हो कि ज्यादातर फैक्टरियों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने और श्रम क़ानूनों के पालन न होने से आए दिन तरह-तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं। ज्यादातर फैक्ट्रियों में खतरनाक मशीनों पर सुरक्षात्मक उपकरण नहीं लगे होते हैं। इसके बावजूद इन मशीनों पर बिना ग्लव्स व अन्य सुरक्षा के इंतज़ामों के मजदूरों से काम करवाया जाता है। इस कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कई बार मजदूरों के हाथ की उँगलियाँ, पूरा हाथ या पूरा पैर तक कट जाता है। कई बार दुर्घटना इतनी बड़ी होती है कि मजदूरों की जान तक चली जाती है। छोटी फैक्टरियों की स्थिति यह है कि उनमें से जहरीली गैस निकलने के लिए कोई खिड़की तक मौजूद नहीं है। ऐसी फैक्टरियों में मजदूरों को बिना मास्क के मशीन पर काम करवाया जाता है। नतीजतन आए दिन किसी-न-किसी कारखाने में मजदूरों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। हाल ही में मुंडका और फिल्मिस्तान अनाज मंडी में हुई दुर्घटनाएं फैक्टरियों में व्याप्त सुरक्षा नियमों की खुलेआम अवहेलना को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
दुर्घटना के ज़्यादातर मामलों में घायल मजदूर का ठीक से इलाज नहीं होता है। मालिक घायल मजदूर को छोटे-मोटे क्लीनिक पर ले जाकर मलहम-पट्टी करवा देते हैं और कुछ खर्चा-पानी देकर गाँव भेज देते हैं। साथ ही, वह मजदूरों को यह कहकर भी डराते हैं कि अगर किसी को उन्होंने बताया या पुलिस में शिकायत की तो खर्चा पानी रोक देंगे। खर्चा रोक देने व इलाज नहीं हो पाने के डर से मजदूर दुर्घटना होने पर कहीं शिकायत भी नहीं कर पाते हैं। कानून के तहत यह ज़रूरी है कि हादसों की जानकारी तुरंत पुलिस व श्रम विभाग के अधिकारियों को दी जाए। लेकिन, मालिक साँठ-गाँठ कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करते हैं। चूंकि ज्यादतर फैक्ट्री मालिक उनके यहाँ काम कर रहे मजदूरों के नाम और ब्यौरे का कोई भी रजिस्टर नहीं रखते हैं, इसलिए फैक्ट्री में किसी दुर्घटना के समय मालिकों द्वारा मजदूरों को क्षतिपूर्ति के लिए साफ तौर पर मना करना बेहद आसान होता है और मजदूर किसी भी प्रमाण या पहचान पत्र के अभाव में मालिकों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं कर पाते है।
यह दुर्घटनाएं श्रम कानूनों के पालन न होने व सुरक्षा के ज़रूरी इंतज़ाम न होने की वजह से होती हैं। मालिक अपना मुनाफा बनाने के लालच में खतरनाक मशीनों को चलाने वाले मजदूरों के लिए कोई सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं करते हैं और न ही वो मजदूरों का ईएसआई कार्ड बनाते हैं जिससे कि चोट लगने या बीमार होने पर मजदूरों का सही से पूरा इलाज नहीं हो पाता है।
इन फैक्ट्रियों में न्यूनतम मजदूरी, पीएफ़ व अन्य श्रम कानूनों का भी पालन नहीं होता है जो मजदूर अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन होता है। यानी मालिक एक तो पहले मजदूरों का अति-शोषण कर अपना मुनाफा बनाते हैं, और उन्हें चोट लगने या उनके बीमार पड़ने की स्थिति में उनका इलाज या मुआवज़ा तक नहीं देते हैं। उलटे, उन्हें डरा-धमकाकर शिकायत करने और अपना अधिकार सुनिश्चित करने से भी रोकते हैं।
इन सभी गंभीर मुद्दों के संबंध में श्रम उपयुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में मुख्य जो मांगें उठाई गईं वे हैं: दिल्ली खासकर आनंद पर्वत औद्योगिक क्षेत्र की सभी फैक्ट्रियों में श्रम निरीक्षक को भेजकर सभी फैक्ट्रियों के मजदूरों का ब्यौरा मंगवाया जाए एवं फैक्ट्री का सुरक्षा ऑडिट करवाया जाए; सभी मजदूरों को दुर्घटना और बीमारी की स्थिति में उपयुक्त पूरा मुआवज़ा, बीमारी भत्ता और पर्याप्त अवकाश मिले और उनके वेतन से कोई भी छुट्टी के पैसे न काटे जाएँ, यह सुनिश्चित किया जाए और दुर्घटना के जिम्मेदार फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ पुलिस एफआईआर व अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए; सभी फैक्ट्री मालिकों को नोटिस जारी कर यह आदेश दिया जाए कि वह फैक्ट्री में कार्यरत सभी मजदूरों का ई.एस.आई. कार्ड बनाएँ; सभी फैक्ट्री मालिकों को नोटिस जारी कर मजदूरों की स्थाई उपस्थिती रजिस्टर और पहचान पत्र/लेबर कार्ड बनाने का आदेश दिया जाए; सभी फैक्ट्री मालिकों को नोटिस जारी कर यह आदेश दिया जाए कि वह सभी मजदूरों को सुरक्षा के सारे साधन मुहैया कराएं और सुरक्षा मानकों की अवहेलना कर रहे फैक्ट्री मालिकों पर तुरंत कार्रवाई की जाए तथा उनकी फैक्ट्री बन्द की जाए; सभी फैक्ट्री मालिकों को नोटिस जारी कर न्यूनतम मजदूरी, पीएफ, बोनस के संबंध में श्रम कानूनों व अन्य श्रम कानूनों का सख्ती से पालन करवाया जाए। यूनियन ने एक हफ्ते के भीतर मांगें नहीं माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
दिनेश कुमार
सदस्य, कार्यकारिणी
मजदूर एकता केंद्र, भारत (एमईके)