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शिवसेना ने मांगा एमजे अकबर का इस्तीफा, मोदी सरकार पर बढ़ा दबाव
यूसुफ़ अंसारी
नई दिल्ली। कांग्रेस और वामपंथी दलों के बाद अब बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना ने भी यौन शोषण के आरोपों से घिरे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर के इस्तीफे की मांग की है. इससे पीएम नरेंद्र मोदी पर केंद्रीय मंत्रीमंडल से एमजे अकबर को हटाने का दबाव बढ़ गया है. शिवसेना की इस मांग से अभी तक अकबर का बचाव कर रही बीजेपी सकते में है. महिला विकास और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी पहले ही ऐसे सभी आरोपों की जांच कराने के में हक़ राय देकर मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा चुकी हैं.
ग़ौरतलब है कि विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर उनके साथ बतौर जूनियर सहयोगी के रूप में काम कर चुकीं नौ महिला पत्रकारों ने यौनशोषण के आरोप लगाए हैं. इन सभी महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया फेसबुक और ट्वीटर पर दुनिया भर में यौन शोषण के खिलाफ चल रहे मी-टू अभियान के तहत चुप्पी तोड़ते हुए अपनी आपबीती बयान की है. इन सबकी कहानी काफी हैरान करने वाली हैं. अगर इनकी लिखी कहानी को ही शिकायत मान कर पुलिस मामला दर्ज करे तो एमजे अकबर के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है. दोषी पाए जाने पर उन्हें कम से कम पांच साल की सज़ा भी हो सकती है. यह अलग बात है कि पुलिस किसी महिला पत्रकार की तरफ से शिकायत मिलने तके बावजूद एमजे अकबर के मंत्री रहते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती.
बीजेपी के कई बड़े नेताओं का मानना है कि पीएम मोदी को अपनी सरकार की साख बचाने के लिए एमजे अकबर से इस्तीफा मांग लेना चाहिए. वहीं मोदी मंत्रीमंडल के ज़्यादातर मंत्री मानते हैं कि पीएम मोदी अकबर का इस्तीफा नहीं लेंगे. एक मंत्री के इस्तीफे की विपक्ष की मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह साफ कह चुकें हैं कि बीजेपी में इस्तीफे नहीं होते. एमजे अकबर के क़रीबी सूत्रों के मुताबिक वो विदेशी दौरे से लौटते ही अपना इस्तीफा पीएम मोदी को सौंप देंगे. इस्तीफा स्वीकार करना है या नहीं, ये पीएम की मर्ज़ी पर निर्भर करेगा.
एमजे अकबर पर पहला आरोप लगने के बाद पहले कांग्रेस ने एमजे अकबर से यौन शोषण के आरोपों पर सफाई मांगी और जैसे-जैसे आरोप लगाने वाली महिलाओं का तादाद बढ़ती गई कांग्रेस की मांग इस्तीफे से लेकर उऩ्हें बर्खास्त करने तक आ गई है. कांग्रेस के अलावा वामपंथी दलों ने भी एमजे अकबर को हटान की मांग की है. अब शिवसेना ने भी इनके सुर में सुर मिला लिया है. शिवसेना के विपक्षी दलों के साथ सुर मिलाने से मोदी सरकार पर अकबर को मंत्रीमंडल से हटाने का दबाव बढ़ गया है. बीजेपी के कई नेता मानते हैं कि दबाव तो है लेकिन पीएम मोदी दबाव के आगे झुकने वाले नहीं है.
एमजे अकबर पर लगौ यौन शोषण के आरोपों से मोदी मंत्रीमंडल में खासी बेचैनी है. हर मंत्री डरा हुआ है. सबको डर ये है कि कब कौन महिला किस नेता या मंत्री पर आरोप लगा दे. आरोप सही हैं या ग़लत यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल तो इज़्ज़त का जनाज़ा निकल ही जाएगा. राजनीति में पहले महिलाओं के यौन शोषण का मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन ज़्यादातर मामले दब जाते हैं. लेकिन मीटू अभियान के इस दौर में जब दुनियाभर में दिग्गज बेनक़ाब हो रहे हैं उसे देखते हुए अब ऐसे किसी मामले को दबान आसान नहीं है.
मीटू अभियान के तहत पहले तरह कई फिल्म एक्ट्रेसेज़ ने नाना पाटेकर, अलोकनाथ और सुभाष घई जैसे सीनियर कलाकारों और फिल्म प्रोड्यूसर्स को बेनक़ाब किया. अब विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर इसकी ज़द में आए हैं. मोदी सरकार में महिला विकास और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी के कह चुकी हैं कि ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग महिलाओं का यौन शोषण करते हैं और हर जगह यह होता है. उन्होंने यह भी कहा है कि अब अगर कुछ महिलाएं इस बारे में बोलने की हिम्मत दिखा रहीं हैं तो उनके आरोपों को गंभीरता से लेकर जांच और कार्वाई करनी चाहिए.
मेनका गांधी का बयान पीएम मोदी को असहज करने वाला है. मेनका गांधी यह बयान देकर एक तरह से एमजे अकबर को हटाने और उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच की मांग कर रहीं हैं. इसलिए लगता है कि धीरे-धीरे पीएम मोदी पर एमजे अकबर को हटाने का दबाव बढ़ रहा है. सत्ता के गलियारों से लगातार भ्रमित करने वाली खबरें आ रहीं हैं. पहले ख़बर आई थी की प्रधानमंत्री कार्यालय ने अकबर को विदेशी दौरा बीच में ही छोड़कर वापिस बुला लिया है. लेकिन वहीं दूसरी खबर आई कि उन्हें नाइजीरिया से ही दूसरे विदेशी दौरे पर भेज दिया गया है. अब वो दो-चार दिन बाद लौटेंगे.
इस मामले ने मोदी सरकार और बीजेपी को सांसत में डाल दिया है. ऊपर से मंत्रियों और नेताओं को इस पर पूरी तरह मुंह बंदज रखने के निर्देश हैं. इल सिए कोई कुछ नहीं बोल रहा. कोई बोल रहा है तो अपनी और सरकार दोनों की ही फजीहत करा रहा है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पूरी तरह खामोश रह कर बच गईं. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद स इस बारे में पूछे गए सवाल से यह कर पल्ला झाड़ लिया था कि यह मामला मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों से संबंधित नहीं है. इस पर उनका काफी मजाक उड़ा.
स्मृति ईरानी यह कह कर फंस गई कि आरोप अकबर पर लगें हैं तो जवाब भी वहीं देंगे. अब सोशल मीडिया पर लोग उनसे पूछ रहे हैं कि इस हिसाब से राफेल पर पीएम को बोलना चाहिए क्योंकि आरोप सीछे उन्हीं पर लगे हैं. वहीं मध्य प्रदेश की एक बीजेपी नेता ने यह कर पार्टी की फजीहत करा दी कि आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार भी मासूम नहीं है. मंत्रियों और नेताओं के ऐसे उलूल जुलूल बयानों से बीजेपी और मोदी सरकार दोनों का किरकिरी हो रही है.