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"मैं और मेरे साक्षात्कार" का हुआ लोकार्पण, पत्रकारों के लिए बहुत ही उपयोगी है पुस्तक
श्रीमती सविता चड्डा की नवीनतम प्रकाशित कृति "मैं और मेरे साक्षात्कार" का लोकार्पण माननीय पूर्व उपमहापौर वरयाम कौर और वरिष्ठ पत्रकार हरीश चोपड़ा ,लतांत प्रसून, डा कल्पना पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर इस पुस्तक में जिन पत्रकारों, लेखकों के इंटरव्यू शामिल है वे भी इस अवसर पर उपस्थित थे । कार्यक्रम का शुभारंभ और संचालन करते हुए वरिष्ठ कवि और लेखक अमोद कुमार ने कहा कि " यह एक दुर्लभ कृति है जिसमें सविता चड्ढा के लेखन और समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण के दर्शन होते हैं ।
इस अवसर पर लेखिका ने उपस्थित सभी महानुभावों का स्वागत और अभिनंदन किया । उन्होंने कहा कि जब मैं पत्रकारिता का डिप्लोमा कर रही थी और जब मेरी पुस्तक "नई पत्रकारिता और समाचार लेखन " प्रकाशित हुई थी तब मुझे इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि कभी मेरे भी इंटरव्यू लिए जाएंगे और वह पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होंगे ।
उन्होंने कहा कि जिन लेखकों पत्रकारों ने मेरे इंटरव्यू लिए हैं मैं उनके प्रति बहुत आभारी हूं । सविता जी ने उन सब लेखकों, पत्रकारों को याद किया जिन्होंने 30 - 35 -40 वर्ष पूर्व उनके इंटरव्यू लिए और वे सब पत्र-पत्रिकाओं में , देश और विदेश में प्रकाशित किए हुए । उन्होंने इस पुस्तक के कवर पर मुरारीलाल त्यागी जी के चित्र का उल्लेख करते हुए बताया कि यह चित्र उस अवसर का है जब त्यागी जी मेरे ही निवास पर वे कल्पांत पत्रिका के लिए मेरा इंटरव्यू करने आए थे।
इसी अवसर पर श्रीमती वरयाम कौर, पूर्व उपमहापौर दिल्ली ने सविता चड्डा की पारिवारिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें लेखन के संस्कार इनकी माताजी से ही मिले हैं । उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण बात का उल्लेख किया , उन्होंने कहा कि सविता जी की माता जी जो स्कूल चलाती थी मैं उसी की विद्यार्थी रही हूं। उन्होंने इस पुस्तक को बहुत ही उपयोगी कहा और यह भी कहा कि वह उनके द्वारा किए गए लेखन और परिश्रम की वे कद्रदान है ।
इस अवसर पर पंजाब केसरी के पत्रकार हरीश चोपड़ा ने लेखिका को इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई देते हुए इस पुस्तक की बहुत सराहना की और कहां इस पुस्तक की उपयोगिता पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत अधिक होने वाली है। उन्होंने बताया कि लगभग 30 वर्ष पूर्व जब उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया था तब उन्होंने सविता जी का इंटरव्यू लिया था । उन्हें बहुत खुशी है कि उस इंटरव्यू को आज इस पुस्तक में शामिल किया गया है।
इसी अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार लतांत प्रसून ने कहा कि सविता चड्डा एक बहुत ही कर्मठ महिला है और पत्रकारिता पर इनका बहुत बड़ा कार्य है। यह पुस्तक भी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
लोकार्पण समारोह में बोलते हुए डॉ रवि शर्मा 'मधुप' ने कहा कि यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है। इसमें संगृहीत 23 साक्षात्कार (17 हिंदी में और 6 अंग्रेज़ी में) लेखिका सविता चड्ढा के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों को उद्घाटित करते हैं। साहित्य लेखन और परिवार के दायित्व, नारी की स्थिति, बच्चों का पालन-पोषण, भारत में हिंदी, साहित्यकार की भूमिका आदि विविध विषयों पर आपके विचार इस पुस्तक को पूर्णता प्रदान करते हैं। इस पुस्तक में संगृहीत मेरे द्वारा लिए गए साक्षात्कार में सविता जी ने भारत में हिंदी की विभिन्न रूपों में उपस्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर विशद चर्चा की है। उन्होंने महत्त्वपूर्ण पुस्तक के लिए लेखिका को हार्दिक बधाई दी।
डा कल्पना पांडे ने सविता चड्ढा को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए अपने एहसास काव्य के माध्यम से इस प्रकार प्रस्तुत किए।
ख़ूबसूरत ज़िंदगी का तुम नया अंदाज़ हो
भाव में हर राग में सुंदर सी इक आवाज़ हो
नित नई आराधना में तुम समर्पित राग हो
खिलखिलाती ज़िंदगी का तुम ही तो आगाज़ हो
लेखनी से भर ही देती तुम नया एहसास हो
गीत हो या की ग़ज़ल हो प्रेम का सद्भाव हो
दर्द में तन्हाइयों में तुम मधुर सा साज़ हो
तुम हो सविता तुम किरण हो रूपसी संसार हो
झिलमिलाती धूप में शीतल सुखद सी छांँव हो
मांँ हो तुम बेटी तुम्हीं हो सारे रिश्ते की हो खान
खूबसूरत प्यारी बगिया का तुम्हीं सविता हो नाम।
पंडित प्रेम बरेलवी अपने वक्तव्य में कहा
आदरणीय सविता चड्ढा जी की आज एक और किताब 'मैं और मेरे साक्षात्कार' हम सबके समक्ष है। इससे पहले उनकी कृतियों में उपन्यास, कहानियों, कविताओं, स्त्री विमर्श, बाल साहित्य और पत्रकारिता की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। रेडियो, टेलिविज़न के लिए भी आपका योगदान सराहनीय है। सविता जी ने समाज की बुराइयों, कमियों को समाप्त करने, नये सुसंस्कृत समाज और सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण करने को ध्यान में रखकर साहित्य सृजन किया है। आपका साहित्य आज की बहकती हुई पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए बहुत उपयोगी है। अत्यधिक संघर्षरत जीवन में इतना अनमोल साहित्यिक सृजन हर कोई नहीं कर पाता। आपके लिए मेरा शे'र है-
"आग से खेलना भी पड़ता है।
आदमी यूँ बड़ा नहीं होता।।
इस पुस्तक में प्रकाशित सविता जी का साक्षात्कार 15-16 साल पहले मैंने किया था। इस पुस्तक में उस साक्षात्कार को जगह देकर आपने मुझे भी कृतज्ञ किया है। ऐसी साहित्य विभूति सविता जी को उनकी इस पुस्तक के विमोचन और जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ, बधाई।
जितेंद्र प्रीतम ने एक चैनल के लिए सविता जी का साक्षात्कार लिया था उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा,
अत्यन्त सरल व सहज व्यक्तित्व की स्वामिनी, माननीया श्रीमति सविता चडढा जी को उनके जन्मदिवस तथा उनकी सद्य प्रकाशित पुस्तक 'मैं और मेरे साक्षात्कार' के लोकार्पण के इस शुभ दिन पर हृदयतल से अनन्त व अशेष हार्दिक शुभकामनाऐं ।
सविता चडडा जी का व्यक्तित्व एवं व्यवहार दोनो बहुत चुम्बकीय हैं, उनसे मिलने वाले लोग,उनकी सरलता से मंत्रमुग्ध हुए बिना नही रह सकते । पहली बार मिलने पर भी प्रतीत होता है जैसे हमारा इनसे न जाने कितना पुराना परिचय है । एक सफल प्रशासनिक अधिकारी, एक सम्मानित लेखिका, एक कुशल गृहिणी, तथा एक समर्पित माँ जैसे अनेकानेक महत्वपूर्ण दायित्वो का निर्वहन सविता चडढा जी ने जिस कुशलता के साथ किया है, वो अवर्णनीय है ।
आपके जन्मदिवस पर, ईश्वर से यही प्रार्थना है कि साहित्य और स्वास्थ्य दोनो का धन आपको प्रचुरता से उपलब्ध रहे ।
"आपके व्यक्तित्व की पहचान,
आपकी निर्मल निश्छल मुस्कान
आपके होठों पर सदैव रहे विद्यमान"
इन्ही पंक्तियों के साथ, आपको पुनः जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाई ।
इस अवसर पर राजेंद्र नटखट नीनू कुमार, लतिका बत्रा, पूनम मनकटोला ज्योति वर्धन साहनी ने लेखिका को शुभकामनाएं दी और लेखिका के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला । पुस्तक के प्रकाशक और निदेशक धर्मेंद्र कुमार ने भी इस अवसर पर लेखिका का अभिनंदन किया और उनके समग्र लेखन को अत्यंत सारगर्भित और समाजोपयोगी लेखन बताते हुए लेखिका को अपनी शुभकामनाएं दी।
जिन लेखकों ने इंटरव्यू इस पुस्तक में शामिल है उन्हें प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्रम माला द्वारा उनका सम्मान भी किया गया । उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त को लेखिका सविता चड्डा का जन्मदिन भी होता है।