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निर्भया केस: 3 दोषियों ने केस में दिया नया मोड़ फिर खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
नई दिल्ली। जैसे-जैसे फांसी की तारीख नजदीक आ रही है वैसै-वैसे निर्भया के दोषियों ने बचने के अलग-अलग तकरीब निकालने में लगे है,अब निर्भया के तीन दोषी विनय, अक्षय और पवन एक-दो दिन में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करेंगे, जिसमें इनके द्वारा जेल में किए गए अच्छे कामों का जिक्र किया जाएगा और अदालत को बताया जाएगा कि जेल में रहते दोषियों में सुधार हुआ है। इसलिए इनकी फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया जाए।
विनय, अक्षय और पवन के वकील एपी सिंह ने बताया कि जेल से कागजात नहीं मिलने की वजह से क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने में देरी हो रही है। बुधवार को वह अपने मुवक्किलों से मिलने जेल पहुंचे थे। उनका आरोप है कि जेल नंबर तीन में बंद होने के बावाजूद काफी प्रयास के बाद उनसे मिलने का मौका मिला।
उन्हें याचिका दाखिल करने के लिए दोषियों से कागजात पर हस्ताक्षर करवाने था। उन्होंने बताया कि क्यूरेटिव पिटीशन में नए तत्थों को सामने रखना होता है। इसलिए जेल प्रशासन से जेल में रहते दोषियों के अच्छे कार्यों का ब्यौरा मांगा है। एपी सिंह ने बताया कि विनय ने जेल में रहते कई अच्छे काम किए हैं।
उसने तनावग्रस्त एक कैदी को खुदकुशी करने से बचाया है। वहीं, उसने कई अच्छी पेंटिंग भी बनाई हैं। वह ब्लड डोनेशन कैंप में भी शामिल हुआ। अक्षय जेल में सुधार कार्य के तहत चलाए जा रहे योगा शिविर में शामिल हुआ है।
बतादें कि निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की तैयारियां जेल में चल रही हैं. इस बीच, खबर आई है कि चारों दोषियों को फांसी देने के लिये जल्लाद 30 जनवरी को दिल्ली पहुंच जाएगा। जहां पर 1 फरवरी को चारों दोषियों को फांसी देनी है, संभावना जताई जा रही है कि चारों दोषियों को पवन जल्लाद फांसी देंगे. उनके ठहरने के लिए फ्लैट की व्यवस्था किए जाने की भी बात सामने आई है. इसके लिये तिहाड़ जेल प्रशासन ने जेल मुख्यालय के पास स्थित सेमी ओपन जेल के एक फ्लैट को खाली कराया है।
गौरतलब है कि, दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था. सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी. मामले में एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और तीन साल की सजा के बाद उसे सुधार गृह से रिहा किया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा मामले में सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.