दिल्ली

निर्भया केस: जानें केंद्र सरकार की क्या है याचिका, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई

Sujeet Kumar Gupta
25 Feb 2020 5:01 AM GMT
निर्भया केस: जानें केंद्र सरकार की क्या है याचिका, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई
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नए डेथ वॉरंट के मुताबिक, अब चारों दोषियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, मुकेश सिंह, अक्षय कुमार सिंह को एक साथ 3 मार्च की सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी.

निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने के दिल्ली हाईकोर्ट के खिलाफ केंद्र व दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ सुबह 10.30 बजे सुनवाई करेगी। जस्टिस भानुमति के अवकाश पर होने के कारण पिछले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। इस मामले में कोर्ट पहले ही चारों दोषियों को नोटिस जारी कर चुका है।

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि चारों दोषी साजिश के तहत एक के बाद एक अपने अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल कर रहे है। चारों दोषी कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि जिन दोषियों के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं, उन्हें फांसी दी जाए। इससे पहले, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चारों दोषियों को साथ ही फांसी दी जाएगी। कोर्ट ने दोषियों को सभी उपलब्ध विकल्प इस्तेमाल करने को एक सप्ताह की मोहलत दी थी।

बता दें कि बीते पिछले हफ्ते राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप में चारों दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वॉरंट जारी कर दिया था. नए डेथ वॉरंट के मुताबिक, अब चारों दोषियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, मुकेश सिंह, अक्षय कुमार सिंह को एक साथ 3 मार्च की सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी. यह तीसरी बार है जब निर्भया के दोषियों का डेथ वॉरंट जारी किया गया था. इसके पहले दोषियों के लिए 22 जनवरी और 1 फरवरी को डेथ वॉरंट जारी हो चुका है. हालांकि, 3 मार्च को भी दोषियों को फांसी होगी? ऐसा यकीन से नहीं कहा जा सकता, क्योंकि दोषियों के वकील का दावा है कि अभी उनके पास कई कानूनी विकल्प बचे हैं।

चारों दोषियों में एकमात्र पवन गुप्ता के पास अभी तीन कानूनी विकल्प बचे हुए हैं. उसकी रिव्यू पिटीशन खारिज हो चुकी है. क्यूरेटिव पिटीशन का ऑप्शन बचा हुआ है. पवन गुप्ता के पास दया याचिका भेजने का कानूनी विक्लप भी बाकी है. अगर ये दया याचिका खारिज हो जाती है, तो वह सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका के खिलाफ याचिका भी दायर कर सकता है.


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