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निर्भया केसः दोषी पवन को लगा झटका कोर्ट ने खारिज की पिता की याचिका, तो मुकेश की सुनवाई कल दी जायेगी ये दलील
नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में एकमात्र गवाह यानी निर्भया के दोस्त की गवाही को चुनौती देने वाली पवन के पिता की याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट के सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है। इस याचिका में पवन के पिता ने पटियाला हाउस कोर्ट के ही एक पुराने फैसले को चुनौती दी थी। मामले में दोषी पवन गुप्ता के पिता हीरालाल गुप्ता ने अर्जी दायर कर आरोप लगाया कि निर्भया के दोस्त व मामले में एकमात्र गवाह अवनींद्र ने पैसे लेकर मीडिया चैनलों को साक्षात्कार दिए जिससे मामले की जांच प्रभावित हुई। उनके इस दावे को निराधार पाते हुए अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
पुरानी याचिका में अदालत ने क्या कहा था
ऐसी ही एक याचिका पवन के पिता ने पहले भी डाली थी जिसे पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी सुधीर कुमार सिरोही ने सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दिया। दंडाधिकारी सुधीर कुमार सिरोही ने कहा था कि याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि मामले की जांच प्रभावित हुई। इसलिए पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट के समक्ष हीरालाल गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कहा कि युवक के साक्षात्कारों से प्रतीत होता है कि वह दोषियों को फांसी पर लटका देखना चाहता है।
शनिवार को डाली गई याचिका, ये है पूरा मामला
निर्भया के दोषी मुकेश की आखिरी याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। बता दें कि दोषी मुकेश कुमार सिंह ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ठुकराने के फैसले को चुनौती दी थी, जिस पर मंगलवार को तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। बता दें कि मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उसकी याचिका पर जल्द सुनवाई हो। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी के समक्ष सोमवार को ही याचिका का उल्लेख करें। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले के दोषी मुकेश की याचिका पर कहा कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे (सुनवाई से) ज्यादा जरूरी कुछ नहीं हो सकता।
निर्भया मामले में दोषी फांसी से बचने के लिए रोज नए-नए दांव चल रहे हैं। अब एक दोषी मुकेश सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की है। ग्रोवर ने बताया कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है।
बतादें कि दिसंबर 2012 में पैरामेडिक की छात्रा और उसका एक दोस्त एक बस में सवार हुए थे। उस बस में छात्रा से छह लोगों ने दुष्कर्म को अंजाम दिया था। दोषियों ने पीड़िता और उसके दोस्त को चलती बस से नीचे फेंक दिया था। इसके बाद छात्रा की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
इस मामले में अदालत ने चार लोगों अक्षय, विनय, पवन और मुकेश को दोषी ठहराया था, जबकि मामले में एक अन्य आरोपी ने दोषी साबित होने से पहले ही खुदकुशी कर ली थी। छठा आरोपी नाबालिग था, जिसे बाल सुधार गृह में सजा पूरी करने पर छोड़ दिया गया।
गौरतलब है कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है. उच्चतम न्यायालय द्वारा मुकेश की दोषसिद्धी और मौत की सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका खारिज करने के बाद मुकेश कुमार सिंह ने दया याचिका दायर की थी।