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निर्भया केस: फांसी से पहले दोषी पवन फिर पंहुचा कोर्ट में, इस बार पुलिस कर्मियों पर लगाया बड़ा आरोप, 12 मार्च को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी जाएगी। इससे पहले दोषी पवन मंडोली जेल के दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर कराने के लिए कोर्ट पहुंचा है। उसने मारपीट का आरोप लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है।
निर्भया गैंगरेप के दोषी पवन ने दिल्ली स्थित मंडोली जेल के दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि इससे उसके सिर में चोटें आईं। कोर्ट ने इस मामले में जेल प्रबंधन को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।
2012 Delhi gang rape case: One of the death row convicts,Pawan moves Delhi court seeking registration of FIR against 2 policemen of Mandoli jail,alleging that they thrashed him, causing severe head injury. Court issues notice to jail admn seeking reply. Matter listed for March 12
— ANI (@ANI) March 11, 2020
इससे पहले निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में फांसी की सजा से बचने के लिए दोषियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल से गुहार लगाई थी। दोषी विनय शर्मा ने अपने वकील एपी सिंह के जरिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। एपी सिंह ने सीआरपीसी के सेक्शन 432 और 433 के तहत फांसी की सजा को निलंबित करने की मांग की है।
हालांकि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चार दोषियों में से एक मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 मार्च को सुनवाई करेगा। यह याचिक 6 को दायर की गई, वकील एम.एल.शर्मा ने याचिका दायर करते हुए आरोप लगया है कि इस मुकदमे में मुकेश के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील वृंदा ग्रोवर ने उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई। एम.एल.शर्मा के मुताबिक क्यूरेटिव पेटिशन दायर करने की समय सीमा तीन साल थी, जिसकी जानकारी मुकेश को नहीं दी गई। इसलिए मुकेश को नए सिरे से क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल करने का मौका दिया जाए।
दरअसल इससे पहले भी निर्भया के दोषियों के खिलाफ तीन बार डेथ वारंट जारी हो चुके हैं। लेकिन दोषियों ने कानूनी विकल्प की आड़ में हर बार फांसी की तारीख को टलवा दिया। यह चौथा मौका है जब अदालत ने नए सिरे से फांसी की तारीख तय की है। इस बार सरकार की तरफ से अदालत को एक रिपोर्ट पेश करते हुए बताया गया है कि दोषियों के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। इसी को ध्यान में रखते हुए अदालत ने दोषियों को 15 वें दिन फांसी पर लटकाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने दोषियों को उनके वकील व परिवार से मिलने की इजाजत भी जेल नियमावली के अनुसार दी है। दिल्ली की अदालत ने सभी दोषियों के खिलाफ चौथी बार डेथ वारंट जारी किया है, जिसके मुताबिक 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे सभी दोषियों को फांसी की सजा दी जानी है।