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निर्भया केस: कोर्ट रुम में निर्भया की मां फूट-फूट कर रोते हुए बोलती रह गई...लेकिन अदालत...
नई दिल्ली। दिल्ली की बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई हो रही है। निर्भया के माता-पिता द्वारा एक याचिका दायर की गई है, जिसमें चारों दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई है।
निर्भया की मां ने कोर्ट में कहा कि मेरे अधिकार का क्या हुआ? मैं हाथ जोड़कर खड़ी हूं, कृप्या दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया जाए। मैं भी इंसान हूं। इस केस के सात साल से अधिक हो गए हैं। यह बोलकर वह फूट-फूटकर रोने लगीं।
निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दया याचिका और क्यूरेटिव पेटिशन के कारण से दो बार (21 जनवरी और 1 फरवरी) फांसी की तारीख टालनी पड़ी है।कोर्ट ने फिलहाल अनिश्चितकालीन के लिए दोषियों की फांसी की तारीख टाल दी है।
निर्भया की मां रोते हुए कोर्ट से बाहर निकल गई। निकलते हुए उन्होंने कहा कि मैं अब भरोसा और विश्वास खोती जा रही हूं। कोर्ट को यह जरूर समझना होगा कि दोषी देरी करने के लिए लगातार हथकंडे अपना रहे हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दिल्ली हाईकोर्ट के 5 फरवरी के उस आदेश पर गौर किया, जिसमें चारों दोषियों को एक हफ्ते यानी 11 फरवरी तक कानूनी विकल्पों के प्रयोग का समय दिया गया था।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने 5 फरवरी को ही पटियाला हाउस कोर्ट का रुख कर डेथ वारंट जारी करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों को 7 दिन का समय दिया गया है और इससे पहले उनके खिलाफ डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा था कि जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है। न्यायाधीश ने कहा कि मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वारंट को तामील नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने तिहाड़ जेल की अर्जी खारिज कर करते हुए उसे फिर से अर्जी देने को कहा था। 11 फरवरी को दोषियों को दिया गया एक हफ्ते का समय पूरा हो गया है। इसी के चलते तिहाड़ जेल प्रशासन व निर्भया के माता-पिता ने मंगलवार को फिर पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार की याचिका पर निर्भया मामले के चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि नोटिस जारी करने से मामले में और देरी होगी। शीर्ष अदालत ने जेल अथॉरिटी को दोषियों की फांसी का नया डेथ वारंट जारी कराने के लिए निचली अदालत जाने की भी छूट दी।
मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी। केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी पर रोक लगाने के खिलाफ केंद्र की याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने मंगलवार को कहा, केंद्र और दिल्ली सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) लंबित होना निचली अदालत के लिए नया डेथ वारंट जारी करने में बाधा नहीं होगा। केंद्र व दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया, दोषियों की मौत की सजा पर अमल सिर्फ 'खुशी' के लिए नहीं है।
अधिकारी तो कानून के आदेश पर ही अमल कर रहे हैं। दोषियों की फांसी में देरी की कोशिशों का उल्लेख करते हुए मेहता ने कहा कि चार में से तीन दोषियों के सभी उपलब्ध विकल्प खत्म हो चुके हैं, लेकिन एक दोषी पवन गुप्ता ने न ही क्यूरेटिव याचिका और न ही दया याचिका दायर की है।
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की एक पैरामेडिक स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी थी. दोनों फिल्म देखकर घर लौटने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान वो वहां से गुजर रहे एक प्राइवेट बस में सवार हो गए. इस चलती बस में एक नाबालिग समेत छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट और गैंगरेप किया था. इसके बाद उन्होंने पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था. बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था. यहां 29 दिसंबर, 2012 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम 'निर्भया' दिया गया था।