दिल्ली

निर्भया केस: दोषियों को नया डेथ वारंट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई हरी झंडी

Sujeet Kumar Gupta
11 Feb 2020 5:52 PM IST
निर्भया केस: दोषियों को नया डेथ वारंट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई हरी झंडी
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पिछली सुनवाई में केंद्र सरकारी की ओर पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि देश के लोगों का धैर्य आजमाया जा रहा है।

निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने के लिए हरी झंडी दे दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि तिहाड़ प्रशासन अब फांसी की नई तारीख जारी करवाने के लिए सत्र अदालत में याचिका डाल सकता है। इसके साथ ही अदालत ने चारों दोषियों को नोटिस जारी करते हुए उनकी अलग-अलग फांसी का मामला अपने पास स्थगित रखा है। इस पर 13 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।

पिछली सुनवाई में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने के पक्ष में केंद्र सरकार की अर्जी पर फौरन सुनवाई यह कहते हुए टाल दी कि दोषियों को हाईकोर्ट द्वारा तय किए गए सात दिनों की समयसीमा के भीतर कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने दिया जाए।

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दोषियों को नोटिस जारी करने के आग्रह को दरकिनार कर कहा, इससे मामले में और देरी होगी। हम इस मामले को 11 फरवरी को सुनेंगे और तब देखेंगे कि क्या दोषियों को नोटिस जारी करने की जरूरत है या नहीं।

इससे निराश मेहता ने कहा, इस मामले में देश के सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, दोषी मुकेश कुमार सिंह के दया याचिका समेत सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं। वहीं, अक्षय कुमार और विनय कुमार शर्मा की दया याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।

पवन ने अभी तक न तो सुधारात्मक और न ही दया याचिका ही दी है। सवाल यह है कि क्या सरकार को अंतहीन इंतजार करना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, किसी को कानूनी विकल्प लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने दोषियों को विकल्प आजमाने के लिए सात दिन का वक्त दिया है। यह इन्हें कानूनी सुरक्षा देता है।

जानिए अहम बातें

पिछली सुनवाई में केंद्र सरकारी की ओर पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि देश के लोगों का धैर्य आजमाया जा रहा है। उन्होंने तर्कों के साथ कहा कि क्या उस समय प्रशासन को सभी दोियों के विकल्प खत्म होने के लिए कहा जा सकता है जब दोषी पवन ने 2018 में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद कोई याचिका ही दाखिल नहीं की है।

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार की उस याचिका का खारिज कर दिया, जिसमें चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस पर सुनवाई की अपील की है।

हाई कोर्ट ने Delhi prison Manual का हवाला देते हुए कहा था कि सभी दोषियों को एकसाथ फांसी दी जाएगी, न कि अलग-अलग। नियमानुसार एक ही अपराध में सभी दोषियों को एकसाथ ही फांसी देने का प्रावधान है।

केंद्र सरकार निर्भया के चारों दोषयों को फांसी देने के लिए तर्क दे रही है कि वह अपने सभी कानूनी और संवैधानिक उपायों का प्रयोग कर चुके हैं।

गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में निर्भया के साथ राम सिंह (तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी), एक नाबागिग (यह तीन साल की सजा पूरी कर चुका है), मुकेश सिंह, अक्षय सिंह, विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने दरिंदगी की थी। सभी छह अपराधियों ने निर्भया के साथ न केवल सामूहिक दुष्कर्म किया, बल्कि उसे इस कदर शारीरिक प्रताड़ना दी कि उसकी इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद निचली अदालत के बाद दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चारों दोषियों (पवन, विनय, अक्षय और मुकेश) को फांसी की सजा सुना चुका है।

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