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निर्भया केस: रविवार को हुई सुनवाई तो क्या होगी फांसी? दो दोषियों के बचने का कोई विकल्प नही
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में रविवार के दिन भी इस मामले पर विशेष सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी पवन जानबूझकर दया याचिका दाखिल नहीं कर रहा है। यह सब कानूनी आदेश को कुंठित करने का सोचा-समझा मंसूबा है। हाईकोर्ट ने शनिवार को इस मामले में चारों दोषियों के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन और डीजी जेल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट से कहा कि दोषी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं. तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है तो दोषी पवन या तो क्यूरेटिव पिटिशन दायर कर सकता है, या दया याचिका. दूसरों को फांसी नहीं होगी. दोषी पवन जानबूझकर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं कर रहा है. वजह सबकुछ सोच-समझकर ऐसा कर रहा है।
सॉलिसिटर जनरल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पवन गुप्ता एक साथ दो अधिकारों का उपयोग कर रहा था. 2017 में दोषी पवन ने 225 दिन बाद रिव्यू याचिका दाखिल की थी. क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका अब तक दाखिल नहीं की गई है. अगर पवन दया याचिका दायर करने की नहीं सोचता है तो किसी भी दोषी को सजा नहीं दी जा सकती है.
केंद्र ने अपनी दलील में कहा कि अगर एक दोषी ने 90 दिनों के भीतर याचिका दाखिल नहीं करता है तो उसे फांसी देने से अधिकारियों को कोई नहीं रोक सकता है
बता दें निर्भया मामले में केंद्र की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील शुरू करने से पहले उन्होंने मामले से जुड़े घटनाक्रम का एक चार्ट कोर्ट को सौपा. तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि किन किन दोषियों की याचिका बाकी है. दोषियों द्वारा याचिका देरी से दखिल कर न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है.
तुषार मेहता ने कहा कि दोषी मुकेश की दया याचिका खरिज होने के बाद मुकेश ने राष्ट्रपति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहां से उसे राहत नही मिली. अक्षय की दया याचिका अभी राष्टपति के यहां लंबित है. दोषी मामले को लंबा खींचना चाह रहे हैं.
पवन ने नहीं दायर की क्युरेटिव याचिका
तुषार मेहता ने कहा कि पवन की तरफ से अभी क्युरेटिव याचिका भी नही दाखिल की गई है. मुकेश एक दोषी है. एसएलपी खारिज होने के 250 दिन बाद क्युरेटिव दायर किया है. यहां देरी करने का मामला साफ साफ देखा जा रहा है. दोषी अक्षय को मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को मंजूरी दी . इसने भी देरी की. इनके वकील ने लगातार एप्लीकेशन किया. ये भी डिले किया. विनय के मामले में भी यही हुआ. 225 दिन बाद रिव्यू दायर किया है. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई उसके बाद 225 दिन बाद मर्सी पिटीशन राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया.
दोषियों को फांसी देने में न हो देरी
तुषार मेहता ने कहा कि जब तक ये क्युरेटिव और मर्सी पेटिशन दायर नहीं करेंगे तब तक कोई इनको फांसी पर नहीं लटका सकता. ऐसा ये सोचते हैं. ये जान बुझ कर किया जा रहा है. ये न्याय के लिए फ्रस्ट्रेशन की स्थिति है. इन्होंने एक लड़की का सामूहिक रेप किया. उसके बॉडी के पार्ट्स से उसकी आंत को निकाल लिया. इसके आगे की जानकारी मैं नही कह सकता हूं. समाज के हित में और कानून के हित में निर्भया के गुनहगारों की फांसी में और विलंब नहीं होना चाहिए.
जिनके कानूनी विकल्प खत्म, उन्हें दी जाए फांसी
तुषार मेहता ने कहा कि जिन दोषियों के तमाम कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं उन्हें फांसी दी जा सकती है. ऐसा कोई नियम नहीं है कि चारों को फांसी एक साथ दिया जाएगा. ऐसे में हाई कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा कि अगर दोषी 4 हैं तो दो के कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं लेकिन दो के कानूनी विकल्प बचे हुए हैं. ऐसी स्थिति में क्या होगा?
तुषार मेहता ने जवाब में कहा कि उनको फांसी दी जा सकती है. तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जब तक एक अपराध के सभी दोषियों की अपील पर फैसला नहीं हो जाता, फांसी नहीं हो सकती है. लेकिन दोषियों की अपील खारिज होने के बाद अलग-अलग फांसी हो सकती है. एक साथ फांसी देने की कोई अनिवार्यता नहीं है.
दोषियों के वकील ने क्या कहा?
निर्भया के दोषियों की ओर से वकील एपी सिंह ने हाई कोर्ट में बहस गृह मंत्रालय की याचिका पढ़ने के साथ की है. याचिका में उठाए गए मुद्दों को अपने हिसाब से हाई कोर्ट में रख रहे हैं. एपी सिंह ने कहा कि सभी दोषी कानून में दिए गए प्रावधानों के मुताबिक ही अपने बचाव के विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कानून की किसी भी किताब में कहीं दया याचिका दायर करने के लिए कोई समय सीमा नहीं बताई गई है. अब सरकार को इस पर आपत्ति क्यों है?
दोषियों के वकील को कोर्ट की सलाह- सही दलीलें रखें
निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह से हाई कोर्ट ने कहा कि सही दलीलें रखें. कोर्ट ने कहा कि केवल प्रासंगिक तथ्य रखें. ब्लैक वारंट को कस्टडियल टॉर्चर कैसे माना जा सकता है. यह कहां से आज की सुनवाई के हिसाब से प्रासंगिक है. एपी सिंह ने कोर्ट में ऐसी दलीलें रखीं जिनमें लोगों को मौत की सजा दी गई लेकिन उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी. हाई कोर्ट ने कहा कि यह कैसे प्रासंगिक है? ऐसी परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. आप बताएं कि ऐसी क्या जरूरत है कि शनिवार और रविवार को सुनवाई हो रही है।
केंद्र ने कहा था- दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शनिवार को कहा था- दोषी कानूनी प्रकिया का फायदा उठा रहे हैं। वे एक-एक कर कानूनी बचाव के रास्ते अपना रहे हैं, ताकि इस जघन्य अपराध की सजा से बच सकें। दोषियों ने फांसी टालने को लेकर शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें कोई भी वजह ऐसी नहीं थी, जिसकी न्यायिक जांच की जा सके। यह केस इतिहास में ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी दोषी फांसी टालने के लिए बार-बार कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। अगर ऐसे ही प्रक्रिया का पालन होता रहा तो केस कभी खत्म ही नहीं होगा।
केंद्र ने कहा था- दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया
मेहता ने कहा- दोषियों ने फांसी टालने को लेकर शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इसमें कोई भी वजह ऐसी नहीं थी, जिसकी न्यायिक जांच की जा सके। यह केस इतिहास में ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें दोषियों ने लगातार कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद भी दोषी फांसी टालने के लिए बार-बार कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। अगर ऐसे ही प्रक्रिया का पालन होता रहा तो केस कभी खत्म ही नहीं होगा।
तिहाड़ जेल ने कहा था- अलग-अलग फांसी दे सकते हैं
दरअसल, शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी। अदालत इस मामले पर सुनवाई कर रही थी कि गुनहगारों को डेथ वॉरंट के हिसाब से 1 फरवरी (शनिवार) को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाए या नहीं। इस दौरान दोषियों में शामिल अक्षय, पवन और विनय की याचिका पर तिहाड़ प्रशासन ने कहा था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी दे सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि इस देश की अदालतें कानूनी उपायों में जुटे किसी भी दोषी से आंख मूंदकर भेदभाव नहीं कर सकतीं।
वकील ने कहा- दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था- एक दोषी की याचिका लंबित होने से बाकी दोषियों को फांसी देना गैर-कानूनी होगा। अभी दोषियों के पास दया याचिका समेत कानूनी विकल्प हैं। वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था- 7 साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ और सरकार बार-बार दोषियों के सामने झुक रही है।
दोषी अक्षय ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, मुकेश-विनय की खारिज हुईं
शनिवार को दोषी अक्षय ठाकुर ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेज दी। इसी दिन दोषी विनय शर्मा की दया याचिका भी खारिज हो गई। राष्ट्रपति दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका 17 जनवरी को ठुकरा चुके हैं। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज हुई। अब मुकेश के पास फांसी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। सिर्फ दोषी पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प हैं। शुक्रवार को उसने गैंगरेप के वक्त नाबालिग होने का दावा खारिज होने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पवन की रिव्यू पिटीशन ठुकराई।
चारों दोषियों की अभी क्या स्थिति
मुकेश सिंह और विनय शर्मा के दोनों विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।
अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो चुकी है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन।
पवन गुप्ता ने न तो क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है और न ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है।