दिल्ली

निर्भया : अक्षय की फांसी से पहले पत्नी ने दाखिल की तलाक की अर्जी, कहा- वह नहीं कहलाना चाहती रेपिस्ट की विधवा

Arun Mishra
17 March 2020 1:03 PM GMT
निर्भया : अक्षय की फांसी से पहले पत्नी ने दाखिल की तलाक की अर्जी, कहा- वह नहीं कहलाना चाहती रेपिस्ट की विधवा
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पत्नी ने तलाक के लिए मुकदमा दाखिल करते हुए कहा कि वह नहीं चाहती है कि वह उनकी विधवा कहलाए।

नई दिल्ली : निर्भया कांड के चार दोषियों में एक अक्षय ठाकुर की फांसी से पहले उसकी पत्नी पुनीता देवी ने औरंगाबाद फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की है। अक्षय बिहार के औरंगाबाद जिले का रहने वाला है। प्रधान न्यायाधीश रामलाल शर्मा की अदालत में अक्षय ठाकुर की पत्नी ने तलाक के लिए मुकदमा दाखिल करते हुए कहा कि उसके पति रेप के केस में सजायाफ्ता हुए हैं और उन्हें फांसी दी जानी है। वह नहीं चाहती है कि वह उनकी विधवा कहलाए।

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 (2) (कक) के तहत यह मुकदमा किया गया है। इस मामले की सुनवाई के लिए 19 मार्च की तिथि तय की गई है। परिवार न्यायालय में वाद संख्या 58/20 पर अब अगली तिथि को सुनवाई होगी।

पुनीता देवी के अधिवक्ता मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पीडि़त पत्नी को इस मामले में तलाक का अधिकार है। इसके लिए कानून में प्रावधान है और उसी लिहाज से यह वाद दाखिल किया गया है। न्यायालय के स्तर से इस पर सुनवाई होगी। इधर महिला अपने बच्चे के साथ अदालत परिसर में मौजूद रही और निराशा भी जताई। उसने कहा कि उसके पति निर्दोष हैं लेकिन अदालत ने जब उन्हें सजा दे दी है तो वह खुद को इससे अलग कर रही है।

उल्लेखनीय है कि अक्षय कुमार ठाकुर के खिलाफ डेथ वारंट जारी है और 20 मार्च को फांसी दिए जाने की तारीख तय की गई थी। इस कांड में सजा पा चुके एक अन्य आरोपी के परिजनों ने भी याचिका दाखिल की थी जो सोमवार को खारिज हो गई। अब अक्षय ठाकुर की पत्नी के स्तर से याचिका दाखिल होने से सजा में एक नई कानूनी अड़चन आती दिख रही है। हालांकि न्यायालय के स्तर से निर्णय आने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।

वहीं, निर्भया गैंगरेप का दूसरा दोषी मुकेश एक बार फिर कोर्ट की शरण में पहुंचा है. वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता एमएल शर्मा के माध्‍यम से पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि जिस दिन निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस दिन वह दिल्‍ली में ही नहीं था. इसलिए उसकी फांसी की सजा कैंसिल की जाए. मुकेश की याचिका में कहा गया है कि 17 दिसम्बर 2012 को दिल्ली पुलिस उसे राजस्थान से पकड़कर लाई थी. 16 दिसम्बर को वह दिल्ली में नही था.

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