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मनीष कश्यप से पहले भी कई पर लग चुका है इसी तरह के आरोपों पर NSA, देखिए डिटेल
बिहार के यूट्यूबर से खबरों तक सिलसिला शुरू करने वाले मनीष कश्यप के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्यवाही पर आज सवाल उठाने वाले क्या अब तक कई राज्यों में लगे इस कानून पर भी बोले। नहीं बोले तभी तो अब यही होगा। बार बार कुछ लोग कहते है जब हम खामोश होकर दूसरे का घर जलते देखेंगे तो किसी दिन जब हमारा जलेगा तब कोई नहीं आएगा। अभी भी समय है। बाकी अब इस कानून से मनीष कश्यप का पीछा कब छूटेगा यह तो मनीष कश्यप जानें लेकिन फिर एक बेगुनाह को बड़ी सजा दी जा रही है।
देखिए डिटेल
2018. किशोरचंद्रा वांगखेम. पत्रकार. पीएम और मणिपुर सीएम के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने पर NSA के तहत डिटेंशन.
मई 2021. मणिपुर के ऐक्टिविस्ट एरेंद्रो लीचोम्बन को एक फेसबुक पोस्ट पर जेल हुई, जिसमें उन्होंने लिखा था कि गोबर-गोमूत्र से कोरोना नहीं ठीक होता. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की शिकायत पर पुलिस लेचोमबाम को घसीटते हुए उनके घर से ले गई. NSA लगाया गया.
अप्रैल 2021. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 94 मामलों में यूपी सरकार द्वारा NSA लगाए जाने के आदेशों को कानून का बेजा इस्तेमाल बताते हुए रद्द किया. कोर्ट ने ये भी गौर किया कि पुलिस की FIR में कई जरूरी ब्योरे कट-पेस्ट किए गए थे. इन 94 में से करीब 41 मामले गोकशी से जुड़े थे. सभी आरोपित अल्पसंख्यक समुदाय से थे. इनमें से 30 केसों को कोर्ट ने रद्द कर दिया. 11 मामलों में केस बरकरार रखा, लेकिन आरोपितों को न्यायिक हिरासत में रखना जरूरी ना बताते हुए उन्हें जमानत दे दी.
फरवरी 2023. सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा पर कथित तौर से रामचरितमान के अंशों की फोटोकॉपी जलाने के लिए NSA लगाया गया. प्रदर्शनकारियों का दावा था कि उन्होंने ऐसे अंशों की फोटोकॉपी जलाई, जिनमें महिलाओं और दलितों से जुड़ी आपत्तिजनक टिप्पणियां हैं. इसके लिए IPC सेक्शन 142, 143, 153A, 295, 295A और 298 के अलावा NSA भी लगाई गई.
उत्तर प्रदेश में CAA-NRC प्रदर्शनकारियों पर NSA लगाए गए. कफील खान पर NSA लगाया गया, जिसपर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकारा और इसे हटा दिया. ये बस कुछ उदाहरण हैं. ऐसे मामलों की फेहरिस्त काफी लंबी है.
लेकिन अब दूसरों को सेलेक्टिव कहकर गाली देने वाले हिंदुत्ववादियों को मनीष कश्यप पर NSA लगने से परेशानी है. उन्हें ये सत्ता का दुराग्रह लगता है. जबकि मनीष कश्यप ने दो राज्यों के बीच वैमनस्य भड़काने, पैनिक फैलाने में भूमिका निभाई.
तब भी, किसी पर भी NSA जैसे मनमाने क़ानून नहीं लगने चाहिए. NSA, UAPA, सीडिशन, AFSPA. ये सारे कानून मनमाने हैं, इनका ज्यादातर इस्तेमाल संदिग्ध है. विरोधियों-आलोचकों को निशाना बनाया जाता है. ज्यादातर शोषित-वंचित-अल्पसंख्यक टारगेट किए जाते हैं. तब दिक्कत नहीं होती? तब कानून का तानाशाही इस्तेमाल विरोध के लायक नहीं लगता? 7/7