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'24 घंटे का टाइम देते हैं...' : दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्यों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 24 में घंटे में कदम उठाइये वरना कोर्ट आदेश जारी करेगा. आपातकालीन हालात में असाधारण कदम उठाने की जरूरत है. हर बार नौकरशाही को बताने की जरूरत है कि क्या किया जाए ? केंद्र का आयोग भी कुछ नहीं कर पाया. सरकारी दावों के बावजूद भी प्रदूषण बढ़ रहा है. अब इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. इससे पहले आज CJI एनवी रमना ने दिल्ली में अभी भी कुछ स्कूल के खुले रहने पर खासी नाराजगी जताई. CJI ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपने स्कूल खोल दिए हैं, छोटे छोटे बच्चों को सुबह 6 बजे स्कूल जाना पड़ रहा है. मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
सीजेआई ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कहा कि हमने आपके बयानों को गंभीरता से लिया, अपने कई दावे किए कि स्कूल बंद कर दिए गए हैं, लेकिन सभी स्कूल बंद नहीं हुए हैं. तीन व चार साल के बच्चे अभी भी स्कूल जा रहे हैं. आपने लॉकडाउन लगाने पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन स्कूल खोल दिए, अब माता पिता घर से काम कर रहे हैं, जबकि बच्चों को स्कूल जाना पड़ रहा है. जवाब में दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्कूल बंद हैं, हम इस पर जांच करेंगे.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए विकास सिंह ने कहा कि प्रदूषण के लिए पराली अब कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन यह अगले साल फिर से होगा, लिहाजा इसके लिए नियम बनाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने कभी बैन की मांग नहीं की थी, लेकिन जो नियम हैं उन्हें लागू करने की जरूरत है. सेंट्रल विस्टा सार्वजनिक स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं हो सकता, इंडिया गेट के आसपास धूल का गुबार है, लिहाजा केवल प्रतिबंध से काम नहीं चलेगा, हमें जांच के लिए उड़न दस्ते की जरूरत है. नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. बिल्डर्स का कहना है कि वे नियमों का पालन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें निरीक्षण टीमों की जरूरत है.
इस पर दिल्ली सरकार के लिए सिंघवी ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण, वाहनों के प्रदूषण और धूल को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने कदम उठाए हैं. हम सेंट्रल विस्टा के आसपास धूल नियंत्रण से संबंधित मानदंडों की भी जांच कर रहे हैं. हम चालान भी कर रहे हैं. कल भी एक मंत्री ने सेंट्रल विस्टा में धूल की जांच की थी, हमारे पास इच्छाशक्ति है और हम कार्रवाई कर रहे हैं. हालांकि उनके जवाब से नाखुश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम वास्तविक धूल नियंत्रण चाहते हैं, सिर्फ रिपोर्ट नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के युवाओं को इंजन बंद करने की मुहिम में लगाने पर भी सवाल उठाए और इसे पॉपुलरिटी स्लोगन करार दिया. सीजेआई ने सरकार से पूछा, "आपने कहा था कि आपने टास्क फोर्स बनाया है, दिल्ली सरकार की ओर से कितनी टास्क फोर्स और केंद्र की ओर से कितनी हैं. क्या सबका अपना टास्क फोर्स होता है?" इस पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार की तरफ से सिंघवी ने कहा कि केवल एक GRAP ही है और हम भी बहुलता नहीं चाहते. वहीं SG तुषार मेहता ने बताया कि हमारे पास टास्क फोर्स है जिसकी निगरानी CQAM द्वारा की जा रही है. इसमें CPCB और अन्य संगठनों के सदस्य .
CJI ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हमें लग रहा है कुछ नहीं हो रहा है, प्रदूषण बढ़ रहा है, बस वक्त बर्बाद हो रहा है. जुर्माना लगाकर पैसा कमाना समस्या का समाधान नहीं है. मैं आप सबसे एक लेह मैन की तरह पूछना चाहता हूं वकील इतना बहस कर रहे हैं, हम आदेश पर आदेश जारी कर रहे हैं, तो फिर प्रदूषण बढ़ क्यों रहा है? उधर दिल्ली सरकार का कहना है कि वह प्रदूषण स्तर की जांच के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है. नवंबर में 1500 से अधिक पुराने प्रदूषणकारी वाहनों को जब्त किया गया था.
CJI ने पूछा, "हम जानना चाहते हैं कि कितने औद्योगिक स्थलों पर कार्रवाई की गई है? जब इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई तो AQAi निश्चित था, यदि आप जितने प्रयास बता रहे हैं उतने प्रयास किए गए हैं तो प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है? यही साधारण प्रश्न है जो आम आदमी पूछेगा. वकीलों के इतने तर्क और इतने सारे सरकारी दावे, लेकिन प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है?" जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "आपने आयोग का गठन किया, आज आयोग बताए कि प्रदूषण का मुख्य स्रोत कौन सा है? आपके पास विज्ञान और डेटा है." इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण और वाहनों से होने वाला प्रदूषण प्रमुख कारण है. इससे निपटने के लिए उद्योग बंद किए गए हैं. उधर सिंघवी का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि प्रदूषण के कारणों पर कोई सहमति है. हमें इस मुद्दे पर किसी IIT से रिपोर्ट लेनी चाहिए."