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केंद्र ने देशद्रोह कानून का बचाव किया, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को बाध्यकारी कहा
नई दिल्ली: केंद्र ने आज देशद्रोह कानून का बचाव किया और सुप्रीम कोर्ट से इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने को कहा। अदालत औपनिवेशिक युग के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
एक लिखित प्रस्तुतीकरण में, केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ को बताया कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य में राजद्रोह कानून को बरकरार रखने का फैसला बाध्यकारी है। इसने यह भी कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ कानून की वैधता की जांच नहीं कर सकती है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, एक संवैधानिक पीठ पहले ही समानता के अधिकार और जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों के संदर्भ में धारा 124 ए ,राजद्रोह कानून के सभी पहलुओं की जांच कर चुकी है। देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा सहित पांच पक्षों ने दायर की थीं।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने मंगलवार को देशद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।