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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बीते सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र का रुख जानना चाहा, जिसमें एक मुस्लिम पति द्वारा उसकी पत्नी अथवा पत्नियों की बिना लिखित अनुमति के द्विविवाह या बहु विवाह करने को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित किए जाने का अनुरोध किया गया है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की बेंच ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिका में मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहु विवाह को विनियमित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही कहा गया है कि इसके लिए पत्नी की लिखित अनुमति ली जाए और पति द्वारा न्यायिक अधिकारी से एक प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाए। जिसमें यह सत्यापित हो कि वह सभी पत्नियों की समान रूप से जिम्मेदारी उठाने में सक्षम हैं। इसके अलावा निकाह से पहले वह पूर्व में हुए विवाह के बारे में पूरी जानकारी घोषित करें।
याचिकाकर्ता ने मुस्लिम शादियों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराए जाने के लिए भी कानून बनाने का अनुरोध किया है। बता दें कि याचिकाकर्ता रेशमा ने दावा किया है कि शरीयत कानून के अंतर्गत केवल विशेष परिस्थितियों में ही एक मुस्लिम पति को द्विविवाह या बहू विभाग की अनुमति दी गई है और मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा पर अंकुश लगाने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए।
मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेशमा का पति उसे 'तलाक देने की योजना' बनाने के साथ ही बिना उसकी अनुमति के या उसे और उसके बच्चे के गुजर बसर का इंतजाम किए बिना ही दूसरी शादी करने जा रहा है। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की गई है।