दिल्ली

हाथरस केस: पॉपुलर फ्रंट पर सवाल, कार्रवाई में देरी क्यों?

Shiv Kumar Mishra
12 Oct 2020 5:46 AM GMT
हाथरस केस: पॉपुलर फ्रंट पर सवाल, कार्रवाई में देरी क्यों?
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एनआरसी और एनसीआर के मुद्दे पर दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर लखनऊ के घंटाघर तक चले धरना प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट का नाम सामने आया था. अगस्त महीने में बेंगलुरु हिंसा में भी इसी संगठन का हाथ होने की बात कही गई थी. अब उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड के बाद राज्य सरकार के स्तर पर कहा गया है और एफआईआर भी हुई है कि जातीय हिंसा कराने की कोशिश के पीछे पॉपुलर फ्रंट की है. इसके लिए संगठन को कुछ देशों से फंडिंग नहीं मिली साथ ही इस सिलसिले में कुछ गिरफ्तारियां भी की ग.

ई पिछले कई सालों से देश के विभिन्न हिस्सों में पापुलर फ्रंट के सक्रिय होने और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की बात अलग अलग राज्य सरकारों ने कहीं भी है. 2 साल पहले एनआईए ने भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कम समय में जिस तेजी से संगठन का विस्तार हुआ है वह चिंता की बात है और सरकार को इस पर सचेत रहने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि संगठन ने न सिर्फ संदिग्ध लोगों की बहाली की बल्कि उसके विस्तार पर पैसे भी लगाए हैं इनमें कट्टरता को बढ़ावा देने वाले साहित्य दूसरे कंटेंट भी बांटे गए.

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी लव जिहाद से संबंधित एक मामले में इस फ्रंट का नाम सामने आने के बाद इस पर बैन लगाने की संभावना व्यक्त की थी. जब संगठन पर चौतरफा सवाल उठे तो फ्रंट ने होम मिनिस्ट्री से लिखित आग्रह किया कि उन पर एक भी आरोप अब तक साबित नहीं हुआ है. संगठन अपना पूरा काम पूरी तरह से कानून के अंतर्गत करता है ऐसे में उस पर बैन लगाना पूरी तरह से गलत होगा अपने पक्ष में फ्रंट ने दिल्ली की ओर से एक रैली भी आयोजित की थी.

बताया गया कि जब बेंगलुरु में दंगा हुआ तब कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने संगठन पर बहन करने के लिए प्रस्ताव बनाया था लेकिन अंतिम समय में कार्रवाई नहीं हुई इस साल जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी संगठन के प्रति होम मिनिस्ट्री की अपनी रिपोर्ट दी थी.

गृह मंत्रालय का कहना है कि किसी संगठन पर लगाने के लिए प्रमाणिक तथ्यों की जरूरत होती है. अब तक जिस तरह की शिकायतें मिली है उनकी हम जांच कर रहे हैं सूत्रों का कहना है होम मिनिस्टर बहुत हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती है क्योंकि उसे डर है और बिना प्रमाणिक तथ्यों के उठाया गया कदम उसके लिए कोर्ट में मुश्किल पैदा कर देगा. पॉपुलर फ्रंट पर अगर लगता है तो कोर्ट में चुनौती जरूर दी जाएगी और इसके लिए प्रमाणिक तथ्यों की आवश्यकता होगी.

कई राज्यों में है सदस्य

इस संगठन का गठन 2006 में हुआ था हाल के महीने में इस संगठन का तेजी से विस्तार हुआ है. पिछले 2 सालों के अंदर केरल के अलावा उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र और राजस्थान सहित तमाम राज्यों में लाखों सदस्य जुड़े गए हैं. संगठन का दावा है कि मुस्लिम हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ता है संगठन ने अब तक तमाम मामलों में खुद का खुद पर लगे आरोपों को नकार दिया है. अब देखना यह है कि गृह मंत्रालय कब तक संगठन के खिलाफ कार्रवाई करता है या फिर पहले की तरह एक मुस्लिम विरोधी बात मान कर टाइप हो जाएगा.

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