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दिल्ली: बेटी के लिए प्रेम सिंह दूध लेने गया तो वापस नहीं लौटा, तो मासूम अपनी माँ के आंसू पोंछ बोली पापा कब आयेंगे!
दिल्ली में हुई हिंसा के वावजूद भी अफवाहों का बाजार गर्म है देर रात भी किसी एन दिल्ली को सुलगाने की पूरी कोशिश की. कौन है जो जली हुई दिल्ली को अब और जलाना चाहता है. जो भी हो अब हम सबको मिलकर इस चुनौती से मुकाबला करना है. दिल्ली देश का दिल है और जब दिल ही कमजोर हो जायेगा तो हम कैसे जी पायेंगे.
दिल्ली हिंसा में जिन लोंगों ने अपनों को खोया है उनके घर जाकर देखो उनका क्या हाल है. उनके चूल्हे की राख आज भी बुझी हुई है. उनके आँखों में अब आंसू भी सुख चुके है, रोते रोते आंखे पथरा गई है. वहीँ इस खौफनाक मंजर को जानकर वो अंदर तक सिहर उठते है. क्योंकि दंगाइयों के हाथ मारे जाना एक वीभत्स मौत मिलना होता है. जिसके सोचने मात्र से ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है.
देखिये इस परिवार को जिसका मुखिया सुबह अपनी मासूम बेटी के लिए दूध लेने निकला था जो अब तक वापस नहीं आया न अब कभी आएगा क्योंकि वो इन 43 की संख्या में शामिल हो चूका था जो इस दंगे की भेंट चढ़ चुके थे. उनकी पत्नी सुनीता अपनी दो साल की बेटी के साथ अपने ब्रजपुरी स्थित निवास पर बेठी अब शून्य में निहार रही है पथरा चुकी आँखों में कभी कभी आंसू आ जाते है जिन्हें वो मासूम पोंछने का काम कर रही है.